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महाशिवरात्रि: दुधावा बांध के बीच में है शिव मंदिर, पानी कम होने पर होता है दर्शन

धमतरी जिले के दुधावा बांध के बीचों-बीच शिव जी का एक अनोखा मंदिर है. जो कि लगभग छठवीं शताब्दी की बताई जा रही है. इस मंदिर का पुरातात्विक महत्व भी काफी दिलचस्प है. जानिए क्या है महत्व.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
धमतरी: दुधावा बांध के बीच में है शिव मंदिर
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Published : Feb 21, 2020, 3:33 PM IST

Updated : Feb 21, 2020, 3:39 PM IST

धमतरी: जिले के दुधावा बांध के बीचों-बीच शिव जी का एक अनोखा मंदिर है. जो लगभग छठवीं शताब्दी का बताया जा रहा है. दुधावा बांध के अंदर स्थित इस मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. लेकिन इस मंदिर का पुरातात्विक महत्व भी काफी दिलचस्प है.

दुधावा बांध के बीच में है शिव मंदिर

देवखूंट में है छठवीं शताब्दी का शिव मंदिर

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर नगरी ब्लॉक में भुरसी डोंगरी पंचायत के आश्रित देवखूंट गांव के पास दुधावा बांध के बीचों-बीच देउर मंदिर है. यह मंदिर पांच सालों में एक बार खुलता है. इस मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में तत्कालीन राजा व्याघ्र राज ने करवाया था. तब यहां बांध नहीं था. उस समय यह स्थान देवखूंट गांव में था और यहां 5 नदियों का संगम था, जिसमें महानदी, सीतानदी, कुकरैल नदी, बालगंगा और गॉवत्स नदी शामिल है. कुछ सालों बाद कांकेर रियासत के राजा ने इस क्षेत्र को अपनी रियासत में मिला लिया उसके बाद इस क्षेत्र का विकास हुआ.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
शिव मंदिर
shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
दुधावा बांध के बीच में स्थित शिव मंदिर

बांध बन जाने के कारण डूब गया था मंदिर

बाद में यहां बांध का निर्माण कराया गया था. बांध का निर्माण करवाए जाने के कारण ये मंदिर डूब गया, जिसके बाद देवखूंट गांव को सीतानदी के किनारे दोबारा बसाया गया. मंदिर के अंदर स्वयंभू शिवलिंग आज भी मौजूद है. शिवलिंग के अलावा अन्य देवताओं की मूर्तियां भी थी, जिन्हें ग्रामीणों ने नए देवखूंट में मंदिर बना कर स्थापित कर दिया है लेकिन शिवलिंग के स्वयंभू रूप होने के कारण उसे वहीं रहने दिया गया है.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
शिव जी की पूजा

पुरातत्व विभाग ने की थी प्राचीन मूर्तियों को ले जाने की कोशिश

2002 में जब बांध पूरी तरह से खाली हुआ तब दुनिया के सामने ये मंदिर आया. उस समय पुरातत्व विभाग ने प्राचीन मूर्तियों को ले जाने की पहल की थी. लेकिन तब 34 गांव के लोगों ने इसका विरोध कर दिया था. उस समय जनभावना को देखते हुए पुरातत्व विभाग पीछे हट गए. इस तरह से ये देश के प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक कहा जा सकता है.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
शिवलिंग का स्वयंभू रूप

पानी कम होने पर ही होता है शिव जी का दर्शन

जानकारी के मुताबिक इस मंदिर में शिव के दर्शन तभी हो पाते हैं जब बांध में पानी कम होता है. यहां तक जाने के लिए नाव का ही सहारा है. शिवरात्रि में यहां क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं. इस मंदिर को आज तक लोगों की आस्था ने बचा कर रखा है. अगर सरकार ध्यान दें तो दुनिया के सामने इस पुरातात्विक संपदा को बेहतर ढंग से प्रस्तुत और संरक्षित किया जा सकता है.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
पूजा करने शिव मंदिर जाते श्रद्धालु

धमतरी: जिले के दुधावा बांध के बीचों-बीच शिव जी का एक अनोखा मंदिर है. जो लगभग छठवीं शताब्दी का बताया जा रहा है. दुधावा बांध के अंदर स्थित इस मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. लेकिन इस मंदिर का पुरातात्विक महत्व भी काफी दिलचस्प है.

दुधावा बांध के बीच में है शिव मंदिर

देवखूंट में है छठवीं शताब्दी का शिव मंदिर

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर नगरी ब्लॉक में भुरसी डोंगरी पंचायत के आश्रित देवखूंट गांव के पास दुधावा बांध के बीचों-बीच देउर मंदिर है. यह मंदिर पांच सालों में एक बार खुलता है. इस मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में तत्कालीन राजा व्याघ्र राज ने करवाया था. तब यहां बांध नहीं था. उस समय यह स्थान देवखूंट गांव में था और यहां 5 नदियों का संगम था, जिसमें महानदी, सीतानदी, कुकरैल नदी, बालगंगा और गॉवत्स नदी शामिल है. कुछ सालों बाद कांकेर रियासत के राजा ने इस क्षेत्र को अपनी रियासत में मिला लिया उसके बाद इस क्षेत्र का विकास हुआ.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
शिव मंदिर
shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
दुधावा बांध के बीच में स्थित शिव मंदिर

बांध बन जाने के कारण डूब गया था मंदिर

बाद में यहां बांध का निर्माण कराया गया था. बांध का निर्माण करवाए जाने के कारण ये मंदिर डूब गया, जिसके बाद देवखूंट गांव को सीतानदी के किनारे दोबारा बसाया गया. मंदिर के अंदर स्वयंभू शिवलिंग आज भी मौजूद है. शिवलिंग के अलावा अन्य देवताओं की मूर्तियां भी थी, जिन्हें ग्रामीणों ने नए देवखूंट में मंदिर बना कर स्थापित कर दिया है लेकिन शिवलिंग के स्वयंभू रूप होने के कारण उसे वहीं रहने दिया गया है.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
शिव जी की पूजा

पुरातत्व विभाग ने की थी प्राचीन मूर्तियों को ले जाने की कोशिश

2002 में जब बांध पूरी तरह से खाली हुआ तब दुनिया के सामने ये मंदिर आया. उस समय पुरातत्व विभाग ने प्राचीन मूर्तियों को ले जाने की पहल की थी. लेकिन तब 34 गांव के लोगों ने इसका विरोध कर दिया था. उस समय जनभावना को देखते हुए पुरातत्व विभाग पीछे हट गए. इस तरह से ये देश के प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक कहा जा सकता है.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
शिवलिंग का स्वयंभू रूप

पानी कम होने पर ही होता है शिव जी का दर्शन

जानकारी के मुताबिक इस मंदिर में शिव के दर्शन तभी हो पाते हैं जब बांध में पानी कम होता है. यहां तक जाने के लिए नाव का ही सहारा है. शिवरात्रि में यहां क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं. इस मंदिर को आज तक लोगों की आस्था ने बचा कर रखा है. अगर सरकार ध्यान दें तो दुनिया के सामने इस पुरातात्विक संपदा को बेहतर ढंग से प्रस्तुत और संरक्षित किया जा सकता है.

shiva mandir situated in middle of  Dudhwa Dam dhamtari
पूजा करने शिव मंदिर जाते श्रद्धालु
Last Updated : Feb 21, 2020, 3:39 PM IST
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