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अब बिन पानी खेत न होंगे सून, किसानों से चेहरे पर लौटेगा सुकून - पानी की समस्या

सरकार की एक योजना से किसानों को खेतों में भरपूर पानी मिलना संभव हो पाएगा. इससे न सिर्फ खेतों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी बल्कि किसान इससे समृद्ध हो सकेंगे.

किसानों से चेहरे पर लौटेगा सुकून
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Published : Jun 6, 2019, 3:32 PM IST

Updated : Jun 6, 2019, 4:04 PM IST

धमतरी: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है. इन दिनों धमतरी में किसानों के चेहरे खिल उठे हैं क्योंकि सरकार की एक योजना से उनके खेतों में भरपूर पानी मिलना संभव हो पाएगा. इससे न सिर्फ खेतों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी बल्कि किसान इससे समृद्ध हो सकेंगे.

किसानों से चेहरे पर लौटेगा सुकून

तकरीबन 25 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई
जिला मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर दूर मौजूद पोटियाडीह गांव में रुर्बन मिशन योजना के तहत शासन ने एक्वाडक्ट का निर्माण किया है. इससे अब इलाके के तकरीबन 25 हेक्टेयर असिंचित भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी. बता दें कि इससे पहले किसानों को सिंचाई के लिए नहर के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जाता था. लेकिन अब इस प्रोजेक्ट से सीधे किसानों को फायदा होगा.

रविशंकर शुक्ल बांध के जरिए सिंचाई
बताया जा रहा है कि एक्वाडक्ट प्रोजेक्ट लगाने के पीछे गांव में असिंचित एरिया को सिंचाई व्यवस्था से जोड़ने का उद्देश्य था. हालांकि किसानों को महानदी पर बने रविशंकर शुक्ल बांध के जरिए सिंचाई के लिए नहरों के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जाती है. इसी तरह इस गांव में भी नहर नाली के माध्यम से ग्रामीणों को पानी मुहैया कराया जा रहा था. लेकिन इस नहर से गांव के एक हिस्से में पानी पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा था. इसकी वजह से किसानों को सिंचाई के लिए अन्य व्यवस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ता था. सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी व्यवस्था न होने के कारण यहां के किसान सिर्फ एक ही फसल उगा पाते थे.

सिंचाई के साथ-साथ निस्तारी की समस्या दूर
यहां के किसान शासन से लंबे समय से सिंचाई सुविधा की मांग कर रहे थे. इस बीच जिला प्रशासन ने मनरेगा और रुर्बन मिशन योजना के तहत कार्ययोजना बनाकर तकरीबन 94.75 लाख की लागत से एक्वाडक्ट बनाया. इस एक्वाडक्ट में महानदी मुख्य नहर से सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है. इससे सिंचाई के साथ-साथ निस्तारी की समस्या भी दूर हो गई है.

किसानों में उत्साह
सिंचाई सुविधा मिलने से किसानों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. इधर जिला प्रशासन की ओर से किसानों को धान के आलावा दूसरी नकदी फसलों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. ताकि आने वाले समय में किसान पानी का सही और कम उपयोग कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकें.

धमतरी: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है. इन दिनों धमतरी में किसानों के चेहरे खिल उठे हैं क्योंकि सरकार की एक योजना से उनके खेतों में भरपूर पानी मिलना संभव हो पाएगा. इससे न सिर्फ खेतों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी बल्कि किसान इससे समृद्ध हो सकेंगे.

किसानों से चेहरे पर लौटेगा सुकून

तकरीबन 25 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई
जिला मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर दूर मौजूद पोटियाडीह गांव में रुर्बन मिशन योजना के तहत शासन ने एक्वाडक्ट का निर्माण किया है. इससे अब इलाके के तकरीबन 25 हेक्टेयर असिंचित भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी. बता दें कि इससे पहले किसानों को सिंचाई के लिए नहर के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जाता था. लेकिन अब इस प्रोजेक्ट से सीधे किसानों को फायदा होगा.

रविशंकर शुक्ल बांध के जरिए सिंचाई
बताया जा रहा है कि एक्वाडक्ट प्रोजेक्ट लगाने के पीछे गांव में असिंचित एरिया को सिंचाई व्यवस्था से जोड़ने का उद्देश्य था. हालांकि किसानों को महानदी पर बने रविशंकर शुक्ल बांध के जरिए सिंचाई के लिए नहरों के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जाती है. इसी तरह इस गांव में भी नहर नाली के माध्यम से ग्रामीणों को पानी मुहैया कराया जा रहा था. लेकिन इस नहर से गांव के एक हिस्से में पानी पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा था. इसकी वजह से किसानों को सिंचाई के लिए अन्य व्यवस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ता था. सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी व्यवस्था न होने के कारण यहां के किसान सिर्फ एक ही फसल उगा पाते थे.

सिंचाई के साथ-साथ निस्तारी की समस्या दूर
यहां के किसान शासन से लंबे समय से सिंचाई सुविधा की मांग कर रहे थे. इस बीच जिला प्रशासन ने मनरेगा और रुर्बन मिशन योजना के तहत कार्ययोजना बनाकर तकरीबन 94.75 लाख की लागत से एक्वाडक्ट बनाया. इस एक्वाडक्ट में महानदी मुख्य नहर से सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है. इससे सिंचाई के साथ-साथ निस्तारी की समस्या भी दूर हो गई है.

किसानों में उत्साह
सिंचाई सुविधा मिलने से किसानों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. इधर जिला प्रशासन की ओर से किसानों को धान के आलावा दूसरी नकदी फसलों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. ताकि आने वाले समय में किसान पानी का सही और कम उपयोग कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकें.

Intro:छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है यहां के किसान कृषि पर ही निर्भर है और इन दिनों धमतरी के किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वह इसलिए कि अब शासन की योजनाओं के मदद से उन्हें खेतों में भरपूर पानी मिलना संभव हो पाएगा जिससे न सिर्फ खेतों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी बल्कि किसान इससे समृद्ध हो सकेंगे.Body:जिला मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर दूर मौजूद पोटियाडीह गांव में रुर्बन मिशन योजना के तहत शासन ने एक्वाडक्ट का निर्माण किया है जिससे अब इलाके के तकरीबन 25 हेक्टेयर असिंचित भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी.बता दें कि इससे पहले किसानों को सिंचाई के लिए नहर के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जाता था लेकिन अब इस प्रोजेक्ट से सीधे किसानों को लाभ होगा.

बताया जा रहा है कि एक्वाडक्ट प्रोजेक्ट लगाने के पीछे मंशा यह है कि गांव में असिंचित एरिया को सिंचाई व्यवस्था से जोड़ने था.हालांकि किसानों को कृषि के लिए महानदी स्थित रविशंकर शुक्ल बांध के जरिए सिंचाई के लिए नहरों के माध्यम से जल की व्यवस्था की जाती है.इसी तरह इस गांव में भी नहर नाली के माध्यम से ग्रामीणों को पानी मुहैया कराया जा रहा था लेकिन इस नहर से एक हिस्से में पानी पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा था.जिसके वजह से किसानों को सिंचाई के लिए अन्य व्यवस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ता था.सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण यहां के किसान सिर्फ एक ही फसल ले पाते थे.



यहां के किसान लंबे समय से सिंचाई सुविधा की मांग शासन से कर रहे थे.इस बीच जिला प्रशासन ने मनरेगा और रूर्बन मिशन योजना के तहत कार्ययोजना बनाकर तकरीबन 94.75 लाख की लागत से एक्वाडक्ट बनाया.अब इस एक्वाडक्ट में महानदी मुख्य नहर से सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है.जिसकी वजह से सिंचाई के साथ निस्तारी की समस्या भी दूर हो गयाी है.सिंचाई सुविधा मिलने से किसान काफी उत्साह देखा जा रहा है.इधर जिला प्रशासन व्दारा किसानों को धान के आलावा अन्य नगदी फसलों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है जिससे आने वाले समय में किसान पानी का सही और कम उपयोग कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सके.

बाईट....पुनीत राम,किसान(लाल बनियान में)
बाईट....बिसन राम,किसान(हरे बनियान में)
बाईट....मोतीराम सिन्हा,पंचायत प्रतिनिधि (गमछा पहने हुए)

रामेश्वर मरकाम धमतरी Conclusion:
Last Updated : Jun 6, 2019, 4:04 PM IST
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