धमतरी: धमतरी में 20 लाख के 5 इनामी नक्सलियों को मारने के बाद अब सुरक्षा बल इस बेल्ट से ही नक्सलियों को उखाड़ने की तैयारी में है. डीआईजी नक्सल के नेतृत्व में धमतरी के 50 गांव को फोर्स ने घेर लिया है. इधर, सूचना तंत्र बिखरने के बाद नक्सली बेहद कमजोर हो चुके हैं. 18 जून से 6 जुलाई तक धमतरी में 20 लाख के 5 इनामी नक्सलियों को ढेर करने के बाद सुरक्षा बलों का उत्साह सातवें आसमान पर है. वहीं दूसरी ओर नक्सली लगातार मात खाने के बाद बैकफुट पर हैं.
सूचना तंत्र भी ध्वस्त
पुलिस की इस कामयाबी का दूसरा मतलब यह भी है कि नक्सलियों का सबसे ताकतवर हथियार यानी की उनका सूचना तंत्र भी ध्वस्त हो चुका है. ये बताता है कि नक्सली अभी सबसे कमजोर स्थिति में है और युद्ध नीति भी यही कहती है कि जब दुश्मन कमजोर हो तब उस पर पूरी ताकत से हमला करना चाहिए.
50 गांवों की घेराबंदी
छतीसगढ़ पुलिस ने भी इसी नीति पर चलते हुए धमतरी के नक्सल प्रभावित इलाके के 50 गांव की घेराबंदी कर दी है. डीएफ, सीआरपीएफ डीआरजी, एसटीएफ की संयक्त टीम अत्याधुनिक अस्त्र शस्त्र के साथ जंगल में घुस चुकी है. ये समय बरसात के मौसम के कारण भी नक्सलियों को घरने के लिए भी मुफीद माना जा रहा है. वही धमतरी में सीतानदी के कमांडर सीमा के मारे जाने के बाद सीतानदी दलम भी कमजोर स्थिति में है. अब जो बड़े नक्सली लीडर जो सीतानदी इलाके में बच गए है. सत्यम गावड़े हार्डकोर नक्सली रुपेश दीपक टिकेश और जानसी गावड़े इन्ही के तलाश के लिए घेराबंदी की गयी है. अगर सुरक्षाबल इन्हें भी पकड़ लेते हैं या मार गिराते हैं, तो धमतरी सहित गरियांबंद और ओडिशा से लगे इलाके में माओवाद की कमर पूरी तरह टूट जाएगी.
सत्यम गावड़े सबसे बड़ी चुनौती
माओवादियों के इस पूरे कुनबे में सत्यम गावड़े ही सबसे बड़ी चुनौती है जो की जानसी गावड़े का पति है और साल 2007 से माओवादियों से जुड़ा हुआ है. कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना इलाके के कुरसेबोड़ का रहने वाला सत्यम गावड़े एक बार गिरफ्तार भी हो चुका है, लेकिन पर्याप्त सबूतों की कमी के चलते वो रिहा हो गया और फिर से नक्सली गतिविधि में सक्रिय हो गया है.
बता दें की इन नक्सलियों के खिलाफ थाने में धारा 307,147,148 और भारतीय दंड विधान सहित व 25 आर्म्स एक्ट के तहत शून्य पर अपराध दर्ज किया गया है.