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नगर सरकारः धमतरी में इतिहास बदलने की आस में कांग्रेस - धमतरी राजनीतिक न्यूज

धमतरी नगर पालिक निगम प्रदेश का सबसे पुराना नगरीय निकाय है और आज तक यहां कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आ सकी. इस बार भाजपा और कांग्रेस जीत के अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं.

Congress claims to change history of Dhamtari municipality
धमतरी नगर पालिका का इतिहास बदलने का दावा
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Published : Nov 29, 2019, 10:19 PM IST

धमतरीः प्रदेश में आगामी 21 दिसंबर को नगरीय निकायों का चुनाव होना है. धमतरी नगर पालिक निगम प्रदेश का सबसे पुराना नगरीय निकाय है और आज तक यहां कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आ सकी. इस बार भाजपा और कांग्रेस जीत के अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं. कांग्रेस इस बार पहले से मजबूत अवस्था में है ऐसे में क्या इस बार धमतरी नगर निगम के इतिहास में बदलाव आएगा और कांग्रेस सत्ता में काबिज हो सकेगी.

धमतरी नगरीय निकाय चुनाव

जिले में प्रदेश का सबसे बड़ा बांध रविशंकर जलाशय है, जिससे जिले के साथ अन्य कई जिलों और इस्पात नगरी भिलाई में पानी सप्लाई किया जाता है. अंग्रेजों के शासन के समय धमतरी को म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन बनाया गया था.

कांग्रेस कर रही है गढ़ जीतने की तैयारी
धमतरी निकाय 135 साल पुराना है, जिसका राजनीतिक इतिहास दिलचस्प है. देश की सत्ता में दशकों तक काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी धमतरी निकाय में कभी नहीं जीत सकी. स्थानीय प्रशासन में जनसंघ के दौर से लेकर वर्तमान बीजपी आज तक सत्ता में अपना कब्जा बनाई हुई है. धमतरी का मतदाता इस मामले में शुरू से एकतरफा ही चला है, लेकिन इस बार कांग्रेस की उम्मीदें और विश्वास पहले से ज्यादा ऊंची हो गई है. पहला कारण प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापसी ,दूसरा EVM की जगह बैलेट पेपर से मतदान और तीसरा महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव है. कांग्रेस ने अबकी बार धमतरी पालिका निगम का इतिहास बदलने का लक्ष्य रखा है जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है.

अंदुरूनी घात का डर
धमतरी नगर पालिक निगम में कांग्रेस की हारने की वजह पार्टी के अंदर की गुटबाजी, खींचतान को माना जाता रहा है. इसी कारण भीतरघात और खुलाघात होता रहा है. इसी वजह से बीते विधानसभा चुनाव में धमतरी की सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई. ये मर्ज कांग्रेस के लिये हमेशा घातक साबित हुई है. पार्टी में सीनियर कार्यकर्ता इस बार पार्टी के अंदर के दगाबाजों से सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं और आगाह कर रहे हैं.

टिकट वितरण में सावधानी बरतना बेहद जरूरी
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक धमतरी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस बार गुटबाजी का कोई असर दिखाई नहीं देता है. कांग्रेस को धमतरी निकाय का किला फतह करने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट और शार्प इलेक्शन मैनेजमेंट बेहद जरूरी होगा.

धमतरीः प्रदेश में आगामी 21 दिसंबर को नगरीय निकायों का चुनाव होना है. धमतरी नगर पालिक निगम प्रदेश का सबसे पुराना नगरीय निकाय है और आज तक यहां कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आ सकी. इस बार भाजपा और कांग्रेस जीत के अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं. कांग्रेस इस बार पहले से मजबूत अवस्था में है ऐसे में क्या इस बार धमतरी नगर निगम के इतिहास में बदलाव आएगा और कांग्रेस सत्ता में काबिज हो सकेगी.

धमतरी नगरीय निकाय चुनाव

जिले में प्रदेश का सबसे बड़ा बांध रविशंकर जलाशय है, जिससे जिले के साथ अन्य कई जिलों और इस्पात नगरी भिलाई में पानी सप्लाई किया जाता है. अंग्रेजों के शासन के समय धमतरी को म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन बनाया गया था.

कांग्रेस कर रही है गढ़ जीतने की तैयारी
धमतरी निकाय 135 साल पुराना है, जिसका राजनीतिक इतिहास दिलचस्प है. देश की सत्ता में दशकों तक काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी धमतरी निकाय में कभी नहीं जीत सकी. स्थानीय प्रशासन में जनसंघ के दौर से लेकर वर्तमान बीजपी आज तक सत्ता में अपना कब्जा बनाई हुई है. धमतरी का मतदाता इस मामले में शुरू से एकतरफा ही चला है, लेकिन इस बार कांग्रेस की उम्मीदें और विश्वास पहले से ज्यादा ऊंची हो गई है. पहला कारण प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापसी ,दूसरा EVM की जगह बैलेट पेपर से मतदान और तीसरा महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव है. कांग्रेस ने अबकी बार धमतरी पालिका निगम का इतिहास बदलने का लक्ष्य रखा है जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है.

अंदुरूनी घात का डर
धमतरी नगर पालिक निगम में कांग्रेस की हारने की वजह पार्टी के अंदर की गुटबाजी, खींचतान को माना जाता रहा है. इसी कारण भीतरघात और खुलाघात होता रहा है. इसी वजह से बीते विधानसभा चुनाव में धमतरी की सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई. ये मर्ज कांग्रेस के लिये हमेशा घातक साबित हुई है. पार्टी में सीनियर कार्यकर्ता इस बार पार्टी के अंदर के दगाबाजों से सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं और आगाह कर रहे हैं.

टिकट वितरण में सावधानी बरतना बेहद जरूरी
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक धमतरी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस बार गुटबाजी का कोई असर दिखाई नहीं देता है. कांग्रेस को धमतरी निकाय का किला फतह करने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट और शार्प इलेक्शन मैनेजमेंट बेहद जरूरी होगा.

Intro:धमतरी नगर निगम प्रदेश का सबसे पुराना नगरीय निकाय है और आज तक यहां कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आ सकी.एक बार फिर से चुनाव सामने है ऐसे में जाहिर है यहां तैयारियां जोरो पर होगी.भाजपा और कांग्रेस की जीत के अपने अपने दावे है लेकिन सवाल यही है कि क्या इस बार इतिहास बदलेगा क्योंकि इस निकाय में कांग्रेस कभी सत्ता पर काबिज नही हो सकी है.

Body:धमतरी क्षेत्र में अंग्रेजो ने काफी विकास किया.बांध,नहर, अस्पताल,स्कूल बनाए और बनाई म्यूनिसिपल जिसे बाद में नगर पालिका कहा गया.आज वो नगर निगम हो गया है ये छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना नगरीय निकाय है.आज इसकी उम्र 135 साल हो चुकी है.इस दिलचस्प जानकारियो की कड़ी में एक रोचक जानकारी ये भी है कि देश को आजादी दिलाने वाली देश और प्रदेशो में लगातार दशको तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी धमतरी निकाय में कभी नहीं जीत सकी.यहां जब जनसंघ था तब और उसके बाद भाजपा बनी तब से सिर्फ भगवा सत्ता ही रही है.धमतरी का मतदाता इस मामले में शुरू से एकतरफा ही चला है लेकिन इस बार कांग्रेस की उम्मीदें और विश्वास पहले से ज्यादा ऊंची हो गई है.पहला कारण प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापसी दूसरा ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान और तीसरा महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव.कांग्रेस ने अब की बार इतिहास बदलने का लक्ष्य रखा है और इसकी तैयारी भी चल रही है.

अब तक कांग्रेस यहां क्यो मात खाती रही इसका जवाब भी समझना महत्वपूर्ण है.इसकी सिर्फ एक ही वजह है पार्टी के अंदर की गुटबाजी,खीचतान,अपनापन परायापन क्योंकि इसी कारण भीतरघात और खुलाघात होता रहा है.इसी वजह से बीते विधानसभा चुनाव में धमतरी की सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई.ये मर्ज कांग्रेस के लिये हमेशा कोढ़ साबित हुई है.पार्टी में चुनाव जीतते हारते अपने बाल सफेद कर चुके सीनियर लीडर इस बार भी पार्टी के अंदर के दगाबाजो से सावधान रहने की सलाह दे रहे है और आगाह कर रहे है.




 



Conclusion:भले ही प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता हो लेकिन इस बात का धमतरी के कांग्रेस में गुटबाजी पर कोई असर दिखाई नहीं देता है.इस बार भी अगर निकाय चुनाव में टिकट वितरण में चूक हुई तो ये कोढ़ में खाज साबित होगा. अगर धमतरी निकाय का किला कांग्रेस फतह करना चाहती है तो एक्स्ट्रा एक्सपर्ट और शार्प इलेक्शन मैनेजमेंट बेहद जरूरी है.

बाईट_01 मोहन लालवानी,जिलाध्यक्ष कांग्रेस (गमछे में)
बाईट_02 भोलाराम साहू,चुनाव प्रभारी कांग्रेस (ब्लैक जैकेट में)
बाईट_03 रंजीत छाबड़ा,स्थानीय(पगड़ी में)

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
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