धमतरी: छत्तीसगढ़ के सहकारी समिति के कर्मचारी गुरुवार से शहर के गांधी मैदान में धरने पर हैं. इन कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल से किसानों की मुसीबतें बढ़ सकती है. इसके साथ ही शासन की योजनाओं पर भी बुरा असर पड़ सकता है. बता दें कि प्रदेश में कुल 2058 प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियां हैं, जहां से धान खरीदी, राशन वितरण, खाद बीज, ऋण वितरण का काम होता है. ये तमाम योजनाए किसानों से जुड़ी हुई है. हड़ताल के कारण ये सभी योजनाएं अचानक थम गई है.
सहकारी समितियां सहकारिता की रीड की हड्डी: प्रदेश की 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जाती है. जैसे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खाद बीज, के सी सी ऋण वितरण, वर्मी खाद, आदि का सफल संचालन शत प्रतिशत किया जाता है. भारत एक कृषि प्रधान देश है. सहकारिता के माध्यम से गांव गरीब किसानों की सेवा की जाती है. प्रदेश के 2058 सहकारी समितियां सहकारिता की रीड की हड्डी और प्रथम सीढ़ी है, जहां सहकारी समितियों में 13 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं. हालांकि सहकारी समितियों के कर्मचारियों को सम्मान जनक वेतन और नियमित सुविधाएं नहीं मुहैया हो पा रही है.
कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग: सहकारी समिति के कर्चारियों की सरकार से नियमितीकरण की मांग है. इनकी अन्य मांगों में सरकारी कर्मचारियों के समान वेतन और सीधी भर्ती पर रोक लगाना और कर्मचारियों को बैंक के खाली पदों पर भर्ती देना है. सहकारी समिति के तीन सूत्रीय मांगों के कारण हड़ताल पर बैठने से छत्तीसगढ़ के तकरीबन 30 लाख किसानों पर प्रभाव पड़ सकता है.