धमतरी: निकाय चुनाव के परिणाम भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए स्पष्ट जनादेश साबित नहीं हुआ है.धमतरी नगर निगम में सत्ता अब निर्दलियों की मर्जी से बनेगी. इधर एक बागी ने कांग्रेस के सामने समर्थन के बदले कठिन शर्त रख दी है. शर्त ये है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जिन कार्यकर्ताओं को बागी करार देकर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. उन्हें वापस पार्टी में सम्मिलित करें अन्यथा वह कांग्रेस को समर्थन नहीं देगा.
एक नगर निगम और 5 नगर पंचायतों सहित कुल 6 निकाय है. इनमें से 3 नगर पंचायतो में भाजपा जीती, तो दो में कांग्रेस का कब्जा हुआ है. भाजपा की सबसे बुरी हार पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के गृह नगर कुरूद में हुई. जहां 15 वार्ड में से सिर्फ एक में ही भाजपा जीती, जबकि 2 में निर्दलीय और 12 में कांग्रेस जीती. इधर सबसे बुरा पेच धमतरी नगर निगम का फंसा. 40 वार्डों में 18 में कांग्रेस जीती, तो वहीं 17 में भाजपा जीती. पांच निर्दलीय पार्षद जीत कर आए.
कांग्रेस के बागी पार्षद ने समर्थन के बदले रख दी शर्त
बता दें कि बहुमत के लिए 21 सीटों का आंकड़ा किसी के पास नहीं है. ऐसे में निर्दलीय के समर्थन से ही सत्ता तक पहुंचा जा सकता है. बागियों में 2 भाजपा के हैं और दो कांग्रेस के हैं. वहीं पांचवा निर्दलीय भूमिगत हो गया हैं. निर्दलियों ने आगे की योजना के बारे में पूछने पर कहा कि वो अपने वार्ड की जनता से चर्चा कर के ही कोई फैसला लेंगे, लेकिन कांग्रेस के एक बागी पार्षद ने समर्थन के बदले शर्त रख दी है. बागी रूपेश राजपूत ने साफ कहा है कि हाल में जितने कांग्रेसियों को पार्टी से निकाला गया है. उन्हें वापस लिया जाए तभी वो कांग्रेस को समर्थन देंगे.
135 साल के इतिहास को बदल देगी कांग्रेस
बहरहाल ऐसी स्थित में ये अभी कह पाना मुश्किल है कि धमतरी की सत्ता में 135 साल का इतिहास दोहराते हुए भाजपा लौटेगी या इतिहास बदल कर कांग्रेस सत्ता में काबिज हो जाएगी. इसके लिए सिर्फ इंतजार ही किया जा सकता है.