दंतेवाड़ा: जिले के ब्लॉक गीदम के एक छोटे से गांव बिंजाम की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कोसा से धागा निकालकर अपनी कमाई का जरिया बढ़ाया है. पहले इस गांव की महिलाएं सिर्फ खेती, घर के बाड़ी व जंगली उत्पादों से जीविकोपार्जन कर रही थी, लेकिन अब समूह की महिलाओं ने कोसा से धागा निकालने की कला सीखकर कमाई का स्रोत बढ़ा लिया है. महिलाएं इसके जरिए आत्मनिर्भर बन रही हैं.
स्व सहायता समूह की महिलाओं को कलेक्टर दीपक सोनी और सीईओ अश्वनी देवांगन ने यह आइडिया दिया. जिसके बाद से महिलाओं ने रोजगार का अवसर बढ़ाने के लिए इस कला को सीखा और लगन से इस काम को कर रही हैं. महिलाओं ने प्रशिक्षण के दौरान ही 12 हजार रूपये का धागा बनाकर अपने कमाई को बढ़ाया. प्रशिक्षण के उपरांत स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कोसा से धागा निकालने की कला को निखारते हुए निरंतर इस कार्य को कर रही हैं और प्रतिमाह 3 से 4 किलो धागा बनाने का लक्ष्य निर्धारित कर धागा बना रही हैं.
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प्रति किलो 1 हजार से 15 सौ तक का लाभ धागा बनाने से प्राप्त हो रहा है. इस प्रकार एक माह में चार से पांच हजार की आमदनी महिलाओं को मिल रही है. कोसा से धागा निकालने का कार्य छत्तीसगढ़ के कुछ चुनिंदा जगहों पर ही किया जाता है. पारंपरिक रूप से यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती आ रही है. अर्थात एक बार सीखने के बाद कमाई का जरिया कला के रूप में समाहित हो जाता है.
महिलाओं की चमक रही किस्मत
स्व-सहायता समूह की महिलाएं कोसा खरीदी से लेकर धागा बनाने से बेचने तक का काम सीख चुकी हैं. कोसा से धागा निकालने की प्रक्रिया में सबसे पहले दीदीया कोसे की ग्रेडिंग करती हैं. ग्रेडिंग के बाद प्रतिदिन के हिसाब से कोसा उबाला जाता है. उबले हुए कोसी से धागा बनाया जाता है. धागा पैकिंग कर व्यापारियों को बेच दिया जाता है. प्राप्त पैसे से कोसे का पैसा रेशम विभाग को दिया जाता है. वही बचे हुए पैसे से महिलाएं अपना व्यवसाय आगे बढ़ा रही हैं.आत्मनिर्भर की राह खुलने से महिलाओं की किस्मत भी कोसे से कपड़े की तरह चमकेगी.