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बिलासुपर : भ्रष्टाचार के भेंट चढ़े पुल, हाथ लगाते ही जाते हैं टूट

बिलासपुर के पेंड्रा में मनरेगा के तहत बनाए जा रहे लाखो रुपयों की लागत से पुलिया निर्माण कार्य में जमकर भ्रस्टाचार करने का मामला सामने आया है.

घटिया स्तर का निर्माण कार्य
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Published : May 3, 2019, 12:49 AM IST

बिलासपुर: मनरेगा योजना के तहत निर्माण कराए जाने वाली 8 पुलियों को जनपद में बैठे अधिकारी और कर्मचारियों की ओर से मिलिभगत कर ठेकेदारों के माध्यम से निर्माण करा राषि का आहरण कर लिया गया, जबकि इन पुलियों का निर्माण ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार देते हुए कराया जाना था.

गुणवत्ताहीन हुआ पुल का निर्माण
पुलिया निर्माण कार्य में ठेकेदारों ने कमीशनखोरी के लालच में गुणवत्ताहीन कार्य करा कर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है. इसके साथ ही अधिकारी अपने आपको पूरे मामले से अनजान बता रहें है, तो साथ ही मनरेगा योजना अंतर्गत पुलियों का निर्माण ग्रामीणों से न कराकर ठेकेदारो से कराये जाने की मामले को गंभीर बताते हुए जांच के बाद कार्रवाई की बात कह रहे है.

अधिकारी और कर्मचारियों पर आरोप
मामला पेंड्रा जनपद पंचायत का है जहां पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी पर स्थानीय ठेकेदारों के साथ मिलकर एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने के आरोप लगे हैं. आरोप है कि इनकी ओर से पेंड्रा जनपद पंचायत के घाटबहरा ग्राम पंचायत में 6 लाख 12 हजार रुपयों की लागत से 8 पुलिया निर्माण कराया जाना था. शासन ने इनका निर्माण मनरेगा के तहत कराने के निर्देश जारी किए थे.

सहायक इंजीनियर को करनी थी मॉनिटरिंग
सरकार के आदेश के अनुसार सहायक( इंजीनियर) को मौके पर खड़े होकर अपने सामने पुल निर्माण करवाना था पर ठेकेदारों से मिलीभगत कर ये अधिकारी और कर्मचारियों की ओर से दायित्वों से पल्ला झाड़ते हुए इतना स्तरहीन निर्माणकार्य कराया गया कि पुलिया की ढलाई गुणवत्ताहीन होने की वजह से महज हाथ लगने से ही उखड़ रही है.

पुल का कराया गया था निर्माण
ग्रामीणों की माने तो गांवों में बरसात में नदियों में पानी भर जाता है, जिसके कारण ग्रामीणों के लिए इन मार्गो में आवागमन बन्द हो जाता है. इसके साथ ही सरकार गांववालों की परेशानी को देखते हुए जरूरत के हिसाब से घाटबहरा पंचायत में 6 लाख 12 हजार की लागत से 8 पुलियों का निर्माण कराया गया. ताकी ग्रामीणों को मदद मिल सके लेकिन सरकारी नुमाइंदे ही अपनी जेब भरने के लिए इस हद तक गुजर गए कि उन्होंने काम की गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा.

8 पुलिया का होना था निर्माण
पेंड्रा जनपद के दूरस्थ इलाके घाटबहरा पंचायत जो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां 2018-19 में मनरेगा के जरिए 8 पुलिया निर्माण होना था. मनरेगा का काम ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाना प्रतिबंधित है.

ठेकेदारों को दिया गया काम
अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया .8 पुलिया निर्माण हेतु कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत घाटबहरा को बनाया गया. सरपंच ने पुलिया का काम जनपद पंचायत के 3 ठेकेदारों को काम दे दिया, जिसे सरकार के नुमाइंदों ने भी कमीशन के चक्कर में मौन सहमति दे दी. इतना ही नहीं निर्माण में इतना घटिया मटेरियल का उपयोग हुआ कि पुलिया के ऊपर की ढलाई से हाथ रगड़ने में ही निकल गया.

पत्थर तोड़कर बनाया गया पुल
पुलिया के बेस में क्रेशर मेटल गिट्टी का उपयोग होना था, लेकिन तकनीकी सहायक के सामने वहीं से पत्थर तोड़ कर बेस में डाल कर ढलाई कर दी गई. छड़ और सीमेंट भी पर्यत मात्रा में नहीं डाला गया जिससे निर्माण के कुछ दिन बाद ही एक पुलिया धंसने लगी, जिसको लेकर आननफानन में तकनीकी सहायक सुधार कार्य भी कराया.

गुणवत्ताहीन काम कराने का आरोप
बडे पैमाने में हुए गुणवत्ताहीन कार्य और भ्रष्टाचार मामले में विभाग की ओर से भुगतान भी कर दिया गया. वहीं अब देखने वाली बात होगी कि पेंड्रा जनपद पंचायत में आए दिन नए नए भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद अब इस मामले में क्या कार्रवाही होती है.

न्यूज स्टोरी.

बिलासपुर: मनरेगा योजना के तहत निर्माण कराए जाने वाली 8 पुलियों को जनपद में बैठे अधिकारी और कर्मचारियों की ओर से मिलिभगत कर ठेकेदारों के माध्यम से निर्माण करा राषि का आहरण कर लिया गया, जबकि इन पुलियों का निर्माण ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार देते हुए कराया जाना था.

गुणवत्ताहीन हुआ पुल का निर्माण
पुलिया निर्माण कार्य में ठेकेदारों ने कमीशनखोरी के लालच में गुणवत्ताहीन कार्य करा कर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है. इसके साथ ही अधिकारी अपने आपको पूरे मामले से अनजान बता रहें है, तो साथ ही मनरेगा योजना अंतर्गत पुलियों का निर्माण ग्रामीणों से न कराकर ठेकेदारो से कराये जाने की मामले को गंभीर बताते हुए जांच के बाद कार्रवाई की बात कह रहे है.

अधिकारी और कर्मचारियों पर आरोप
मामला पेंड्रा जनपद पंचायत का है जहां पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी पर स्थानीय ठेकेदारों के साथ मिलकर एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने के आरोप लगे हैं. आरोप है कि इनकी ओर से पेंड्रा जनपद पंचायत के घाटबहरा ग्राम पंचायत में 6 लाख 12 हजार रुपयों की लागत से 8 पुलिया निर्माण कराया जाना था. शासन ने इनका निर्माण मनरेगा के तहत कराने के निर्देश जारी किए थे.

सहायक इंजीनियर को करनी थी मॉनिटरिंग
सरकार के आदेश के अनुसार सहायक( इंजीनियर) को मौके पर खड़े होकर अपने सामने पुल निर्माण करवाना था पर ठेकेदारों से मिलीभगत कर ये अधिकारी और कर्मचारियों की ओर से दायित्वों से पल्ला झाड़ते हुए इतना स्तरहीन निर्माणकार्य कराया गया कि पुलिया की ढलाई गुणवत्ताहीन होने की वजह से महज हाथ लगने से ही उखड़ रही है.

पुल का कराया गया था निर्माण
ग्रामीणों की माने तो गांवों में बरसात में नदियों में पानी भर जाता है, जिसके कारण ग्रामीणों के लिए इन मार्गो में आवागमन बन्द हो जाता है. इसके साथ ही सरकार गांववालों की परेशानी को देखते हुए जरूरत के हिसाब से घाटबहरा पंचायत में 6 लाख 12 हजार की लागत से 8 पुलियों का निर्माण कराया गया. ताकी ग्रामीणों को मदद मिल सके लेकिन सरकारी नुमाइंदे ही अपनी जेब भरने के लिए इस हद तक गुजर गए कि उन्होंने काम की गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा.

8 पुलिया का होना था निर्माण
पेंड्रा जनपद के दूरस्थ इलाके घाटबहरा पंचायत जो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां 2018-19 में मनरेगा के जरिए 8 पुलिया निर्माण होना था. मनरेगा का काम ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाना प्रतिबंधित है.

ठेकेदारों को दिया गया काम
अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया .8 पुलिया निर्माण हेतु कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत घाटबहरा को बनाया गया. सरपंच ने पुलिया का काम जनपद पंचायत के 3 ठेकेदारों को काम दे दिया, जिसे सरकार के नुमाइंदों ने भी कमीशन के चक्कर में मौन सहमति दे दी. इतना ही नहीं निर्माण में इतना घटिया मटेरियल का उपयोग हुआ कि पुलिया के ऊपर की ढलाई से हाथ रगड़ने में ही निकल गया.

पत्थर तोड़कर बनाया गया पुल
पुलिया के बेस में क्रेशर मेटल गिट्टी का उपयोग होना था, लेकिन तकनीकी सहायक के सामने वहीं से पत्थर तोड़ कर बेस में डाल कर ढलाई कर दी गई. छड़ और सीमेंट भी पर्यत मात्रा में नहीं डाला गया जिससे निर्माण के कुछ दिन बाद ही एक पुलिया धंसने लगी, जिसको लेकर आननफानन में तकनीकी सहायक सुधार कार्य भी कराया.

गुणवत्ताहीन काम कराने का आरोप
बडे पैमाने में हुए गुणवत्ताहीन कार्य और भ्रष्टाचार मामले में विभाग की ओर से भुगतान भी कर दिया गया. वहीं अब देखने वाली बात होगी कि पेंड्रा जनपद पंचायत में आए दिन नए नए भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद अब इस मामले में क्या कार्रवाही होती है.

Intro:01.05_CG_MUKESH_BLS_PULIYA_AVB
बिलासपुर पेंड्रा में मनरेगा के तहत बनाए जा रहे लाखो रुपयों की लागत से पुलिया निर्माण कार्य में जमकर भ्रस्टाचार करने का मामला सामने आया है। मनरेगा योजना के तहत निर्माण कराये जाने वाले 8 पुलियों को जनपद में बैठे अधिकारी और कर्मचारियों ने मिलिभगत कर ठेकेदारों के माध्यम से निर्माण करा राषि का आहरण कर लिया गया जबकि इन पुलियो का निर्माण ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार देते हुये कराया जाना था । वहीं पुलिया निर्माण कार्य में ठेकेदारों ने कमिषनखोरी के लालच में गुणवत्ताहीन कार्य करा कर जमकर भ्रष्टाचार किया है वही अधिकारी अपने आपको पूरे मामले से अनजान बतला रहें है तो साथ ही मनरेगा योजना अंतर्गत पुलियों का निर्माण ग्रामीणों से न करा कर ठेकेदारो के द्वारा निर्माण कराये जाने की मामले को गंभीर बतला जांच के बाद कड़ी कार्यवाही किये जाने की बात कह रहे है।
दरअसल पूरा मामला पेंड्रा जनपद पंचायत का है जहां पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी स्थानीय ठेकेदारों के साथ मिलकर एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। जिसमे इनके द्वारा पेंड्रा जनपद पंचायत के घाटबहरा ग्राम पंचायत में 6 लाख 12 हजार रुपयों की लागत से 8 पुलिया निर्माण कराया जाना था जिसे मनरेगा के तहत बनाए जाने वाले महात्मा गांधी रोजगार गारंटी के तहत बनाए जाने वाले निर्माण कार्यो में शासन के दिशा निर्देश के अनुसार तकनीकी सहायक( इंजीनयर) को मौके पर खड़े होकर अपने सामने निर्माण करवाना है पर ठेकेदारों से मिलीभगत कर ये अधिकारी और कर्मचारी अपने दायित्वो से पल्ला झाड़ते हुए इतना स्तरहीन निर्माणकार्य कराया गया कि पुलिया की ढलाई गुणवत्ताहीन होने से हाथ से उखड़ रही है। ग्रामीणों की माने तो गांवो में बरसात में नदियों में पानी भर जाता है जिसके कारण ग्रामीणों के लिए इन मार्गो में आवागमन बन्द हो जाता है जिसके लिए सरकार गांव वालों की परेशानी को देखते हुए जरूरत की हिसाब से घाटबहरा पंचायत में 6 लाख 12 हजार की लागत से 8 पुलियो का निर्माण करवाई। जिससे ग्रामीणों को मदद मिल सके लेकिन सरकारी नुमाइंदे ही अपनी जेब भरने के लिए इस हद तक गुजर गए कि उनको उस कार्य की गुणवत्ता का कोई भी ख्याल नही रखा।
पेंड्रा जनपद के दूरस्थ इलाका घाटबहरा पंचायत जो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है जंहा 2018-19 में मनरेगा से 8 पुलिया निर्माण होना था मनरेगा का कार्य ठेकेदारों के माध्यम से कराये जाने हेतु पूर्णतः प्रतिबंधित है पर अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत कर भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया गया। 8 पुलिया निर्माण हेतु कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत घाटबहरा को बनाया गया सरपंच ने पुलिया का काम जनपद पंचायत के 3 ठेकेदारों को काम दे दिया जिसे सरकार के नुमाइंदों ने भी कमीशन के चक्कर मे मौन सहमति दे दी इतना ही नही निर्माण में इतना घटिया मटेरियल का उपयोग हुआ कि पुलिया के ऊपर की ढलाई हांथ से रगड़ने में ही निकल रही है वही पुलिया के बेश मे क्रेशर मेटल गिट्टी का उपयोग होना था लेकिन तकनीकी सहायक के सामने वहीँ से पत्थर तोड़ कर बेस में डाल कर ढलाई कर दी गई छड़ और सीमेंट भी पर्यत मात्रा में नही डाला गया जिससे निर्माण के दिनां बाद ही एक पुलिया धंसने लग गई जिसको लेकर आननफानन में तकनीकी सहायक सोम ने सुधार कार्य भी कराया । बडे पैमाने में हुये गुणवत्ताहीन कार्य और भ्रष्टाचार मामले विभाग ने भुगतान भी कर दिया गया वहीं अब देखने वाली बात होगी कि पेंड्रा जनपद पंचायत में आये दिन नये नये भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद अब इस मामले में क्या कार्यवाई कार्य होती है ।

बाईट 1 - धरम िंसह स्थानीय ग्रामीण
बाईट 2 - बेद कुंवर , सरपंच जनप्रतिनिधि
बाईट 3 - सीएल धृतलहरे , सीइओ पेंड्राBody:01.05_CG_MUKESH_BLS_PULIYA_AVBConclusion:01.05_CG_MUKESH_BLS_PULIYA_AVB
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