बिलासपुर: इन दिनों लोगों में पेट्स को लेकर काफी क्रेज हैं. कुत्ते के अलावा लोग अन्य जानवरों को भी पेट्स की तरह रखते हैं. इन पेट्स में बदलते मौसम के साथ ही बीमारियां भी होती है. खासकर मानसून में जानवरों को काफी दिक्कतें होती है. मानसून में इनका खासा ख्याल रखने की जरूरत है.
बारिश में पेट्स के सेहत का ख्याल रखने की जानकारी वेटनरी डॉक्टर्स ने दी है. उन्होंने बताया कि बारिश में अलग-अलग तरह की बीमारियां होती है. मानसून सीजन काफी सेंसेटिव होता है. ऐसे में पेट्स का खासा ख्याल रखने की जरूरत है.
मानसून में अधिकतर पेट्स में फंगल इन्फेक्शन की शुरुआत पैर से होती है. सबसे ज्यादा गीला वहीं रहता है. पंजों में नमी बनी रहती है. जिसकी वजह से पेट्स में फंगल इन्फेक्शन की शुरुआत पंजों से होती है. पानी में भीगने या नहलाने के बाद अच्छे से उन्हें ड्राई नहीं किया जाए, तो शरीर के अन्य हिस्सों में भी फंगल इन्फेक्शन पनपने लगते हैं. इसे रोकने के लिए पेट्स एनिमल्स के शरीर को अच्छे से सुखाया जाना चाहिए. -पीयूष दुबे, वेटनरी डॉक्टर
मॉनसून में कैसे होती है बीमारी: शहर के जाने-माने वेटरनरी डॉक्टर की मानें तो मानसून में पेट्स में कई बीमारियां होती है. उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. उन्हें बैक्टीरियल से लेकर वायरल और फंगल इनफेक्शन का खतरा होता है. इसके अलावा पैरासिटिक इंफेक्शन का खतरा रहता है. ऐसे में जरूरी है कि बारिश के दिनों में अपने पेट्स में खासकर डॉग को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. बरसात के दिनों में पेट्स में डायरिया, फूड प्वॉइजनिंग, इनडाइजेशन और इन्फेक्शन जैसी बीमारियां होती है. डॉग और कैट रवेदार जानवर हैं. ऐसे में मानसून में उन्हें फंगल इनफेक्शन ज्यादा होता है. इसलिए जानवरों की कई तरह की दवाइयां आती है, जिसे चिकित्सकीय सलाह पर उन्हें बारिश में दिया जाना चाहिए. जानवरों में मानसून के पहले टीकाकरण करना चाहिए. इससे मानसून में जानवरों को बीमारियों से बचाया जा सकता है.
"पैरासाइट से पेट्स को बचाने के लिए जानवरों को पानी से बचाना चाहिए. उनके बारिश में भीगने के दौरान बाल पूरे गीले हो जाते हैं. इनमें किन्नी, कीड़े भी निकलते हैं. अगर कीड़े हो जाए तो उन्हें अच्छे से सुखाना चाहिए. क्योंकि इससे इंफेक्शन होने के बाद उनमें स्किन में चलने वाले कीड़े पैदा हो जाते हैं. इससे उन्हें काफी नुकसान होता है. -दुर्गेश नंदनी सोनी, वेटनरी डॉक्टर
मानसून में पालतू जानवरों के निगरानी की जरूरत: मानसून में पेट्स को खास निगरानी की जरूरत पड़ती है. यदि आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उन्हें दवा देनी चाहिए. कई दवाइयां 1 महीने से लेकर 3 महीने तक दी जाती है.
आप अपने पेट्स को जिस जगह पर रख रहे हैं. वहां ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है. आपका पेट जिस जगह में बंधा रहता है, उसे हर दो या 4 दिन के अंदर साफ करना चाहिए. जिससे गंदगी होने से पैदा होने वाले परजीवी (पैरासाइट) आपके पेट्स के शरीर में ना आ सकें. इसके अलावा मानसून में पेट्स के बिस्तर को हर दो या 4 दिन में बदल देना चाहिए, ताकि उन्हें नमी से बचाया जा सके.