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फाइटर फैमिली: बिलासपुर के इस परिवार ने कोरोना को हराया था

कोरोना महामारी को झेलते, लड़ते और विजय पाते एक साल बीत चुके हैं. इस एक साल में आपको ऐसे कई परिवार मिल जाएंगे, जो कोविड-19 से लड़े और जीते. बिलासपुर के रॉय परिवार से ETV भारत आपको मिलवा रहा है, जो कोरोना पर विजय पा कर मुस्कुरा रहे हैं और गा रहे हैं...।

One year of corona epidemic family of Bilaspur told etv bharat how whole family won battle against Corona
पूरे परिवार ने कोरोना से जीती जंग
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Published : Mar 23, 2021, 10:22 PM IST

Updated : Mar 24, 2021, 12:04 PM IST

बिलासपुर: कोरोना महामारी का एक साल बहुत डरावना रहा. किसी ने अपनों को खोया, तो कोई अपनों से बहुत दूर रहा. किसी ने लाख सावधानी बरती फिर भी इसकी चपेट में आ गया. कोई अकेले लड़ा और जीता, तो किसी के पूरे परिवार ने ये दु:ख झेला है. इन्हीं में से एक है शहर की रॉय फैमिली. परिवार के सभी सदस्यों ने ETV भारत से उस वक्त के एक्सपीरियंस शेयर किए हैं. वो अनुभव जो कभी डराते हैं, तो कभी हिम्मत से भर देते हैं.

पूरे परिवार ने कोरोना से जीती जंग

माता-पिता दो बच्चों के साथ खुशी-खुशी लॉकडाउन का वक्त काट रहे थे. पिछले साल 12 अगस्त को पता चला कि रेलवे में काम करने वाले शुभांकर रॉय कोरोना की चपेट में आ गए हैं. उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. वे दुआ मांगते रहे कि उनकी पत्नी और बच्चे इस महामारी से बचे रहें लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. उनका डर हकीकत में बदल गया. शुभांकर की पत्नी और दोनों बच्चियों की जांच हुई और जब रिपोर्ट आई तो सबके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. पूरा परिवार इस महामारी की चपेट में आ चुका था.

One year of corona epidemic family of Bilaspur told etv bharat how whole family won battle against Corona
शुभांकर रॉय का परिवार

वो 22 कोरोना वॉरियर्स, जो जनसेवा में न्योछावर हो गए

बीमारी में बेटियों को संभाला

शुभांकर की पत्नी अनामिका शहर के सिम्स अस्पताल में स्टाफ नर्स हैं. कोरोना के पीक अवर में वो स्टडी लीव पर थी. पति के बाद दोनों बेटियों और उनकी खुद की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पहले तो वो थोड़ा डर गईं. लेकिन खुद को संभालते हुए अपनी और दोनों बेटियों की केयर में जुट गई. अनामिका बताती हैं कि उन्होंने होम आइसोलेशन के लिए शहर के CMHO से संपर्क किया. उन्हें मदद और होम आइसोलेशन की इजाजत मिल गई.

One year of corona epidemic family of Bilaspur told etv bharat how whole family won battle against Corona
कोरोना से जीती जंग

वीडियो कॉल पर करते थे बात

अनामिका के पति जिला अस्पताल में इलाज करा रहे थे और वे दोनों बच्चियों के साथ घर पर थे. कोरोना पॉजिटिव का नोट घर के सामने चस्पा होने के बाद पड़ोसी भी उनसे दूर हो गए थे. अनामिका और शुभांकर एक-दूसरे से ऑडियो और वीडियो कॉल पर कनेक्ट रहते थे. आपस में बात कर पूरा परिवार एक-दूसरे को हिम्मत देता रहता था. वो दिन याद कर आज भी वे सब सहम जाते हैं.

स्वस्थ होने पर मनाई खुशी

अनामिका की मां भी पड़ोस में ही रहती हैं. वे बताती हैं कि जब उन्हें पता चला कि उनके दामाद, बेटी और दोनों नातिन को कोरोना हो गया है, तो वे काफी घबरा गईं. वे घर तो नहीं आ सकती थीं लेकिन बाहर ही जरूरत का सामान रखकर चली जाती थी. अनामिका की मां दीपाली मित्रा बताती हैं कि जब सब स्वस्थ हुए और शुभांकर अस्पताल से ठीक होकर घर वापस आए और तो उन्होंने पटाखे फोड़ कर उनका स्वागत किया.

कोरोना मरीजों की संख्या में दुर्ग ने रायपुर को पछाड़ा

मिसाल बनी ये फाइटर फैमिली

आज यह परिवार एक फाइटर फैमिली और खुशमिजाज परिवार के रूप में एक मिसाल कायम कर चुका है. रॉय परिवार गीत-संगीत का शौकीन है. ये परिवार जब एक साथ सुर छेड़ता है तो ऐसा लगता है मानों कठिन चुनौतियों का सामना कर जिंदगी जीने का गीत गा रहे हों. ईश्वर इन्हें यूं ही हंसता-मुस्कुराता रखे.

बिलासपुर: कोरोना महामारी का एक साल बहुत डरावना रहा. किसी ने अपनों को खोया, तो कोई अपनों से बहुत दूर रहा. किसी ने लाख सावधानी बरती फिर भी इसकी चपेट में आ गया. कोई अकेले लड़ा और जीता, तो किसी के पूरे परिवार ने ये दु:ख झेला है. इन्हीं में से एक है शहर की रॉय फैमिली. परिवार के सभी सदस्यों ने ETV भारत से उस वक्त के एक्सपीरियंस शेयर किए हैं. वो अनुभव जो कभी डराते हैं, तो कभी हिम्मत से भर देते हैं.

पूरे परिवार ने कोरोना से जीती जंग

माता-पिता दो बच्चों के साथ खुशी-खुशी लॉकडाउन का वक्त काट रहे थे. पिछले साल 12 अगस्त को पता चला कि रेलवे में काम करने वाले शुभांकर रॉय कोरोना की चपेट में आ गए हैं. उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. वे दुआ मांगते रहे कि उनकी पत्नी और बच्चे इस महामारी से बचे रहें लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. उनका डर हकीकत में बदल गया. शुभांकर की पत्नी और दोनों बच्चियों की जांच हुई और जब रिपोर्ट आई तो सबके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. पूरा परिवार इस महामारी की चपेट में आ चुका था.

One year of corona epidemic family of Bilaspur told etv bharat how whole family won battle against Corona
शुभांकर रॉय का परिवार

वो 22 कोरोना वॉरियर्स, जो जनसेवा में न्योछावर हो गए

बीमारी में बेटियों को संभाला

शुभांकर की पत्नी अनामिका शहर के सिम्स अस्पताल में स्टाफ नर्स हैं. कोरोना के पीक अवर में वो स्टडी लीव पर थी. पति के बाद दोनों बेटियों और उनकी खुद की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पहले तो वो थोड़ा डर गईं. लेकिन खुद को संभालते हुए अपनी और दोनों बेटियों की केयर में जुट गई. अनामिका बताती हैं कि उन्होंने होम आइसोलेशन के लिए शहर के CMHO से संपर्क किया. उन्हें मदद और होम आइसोलेशन की इजाजत मिल गई.

One year of corona epidemic family of Bilaspur told etv bharat how whole family won battle against Corona
कोरोना से जीती जंग

वीडियो कॉल पर करते थे बात

अनामिका के पति जिला अस्पताल में इलाज करा रहे थे और वे दोनों बच्चियों के साथ घर पर थे. कोरोना पॉजिटिव का नोट घर के सामने चस्पा होने के बाद पड़ोसी भी उनसे दूर हो गए थे. अनामिका और शुभांकर एक-दूसरे से ऑडियो और वीडियो कॉल पर कनेक्ट रहते थे. आपस में बात कर पूरा परिवार एक-दूसरे को हिम्मत देता रहता था. वो दिन याद कर आज भी वे सब सहम जाते हैं.

स्वस्थ होने पर मनाई खुशी

अनामिका की मां भी पड़ोस में ही रहती हैं. वे बताती हैं कि जब उन्हें पता चला कि उनके दामाद, बेटी और दोनों नातिन को कोरोना हो गया है, तो वे काफी घबरा गईं. वे घर तो नहीं आ सकती थीं लेकिन बाहर ही जरूरत का सामान रखकर चली जाती थी. अनामिका की मां दीपाली मित्रा बताती हैं कि जब सब स्वस्थ हुए और शुभांकर अस्पताल से ठीक होकर घर वापस आए और तो उन्होंने पटाखे फोड़ कर उनका स्वागत किया.

कोरोना मरीजों की संख्या में दुर्ग ने रायपुर को पछाड़ा

मिसाल बनी ये फाइटर फैमिली

आज यह परिवार एक फाइटर फैमिली और खुशमिजाज परिवार के रूप में एक मिसाल कायम कर चुका है. रॉय परिवार गीत-संगीत का शौकीन है. ये परिवार जब एक साथ सुर छेड़ता है तो ऐसा लगता है मानों कठिन चुनौतियों का सामना कर जिंदगी जीने का गीत गा रहे हों. ईश्वर इन्हें यूं ही हंसता-मुस्कुराता रखे.

Last Updated : Mar 24, 2021, 12:04 PM IST
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