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बिलासपुर: जेल के कैदियों की पैरोल अवधि हाईकोर्ट ने 30 जून तक बढ़ाई

राज्य शासन ने बंदियों और कैदियों की पैरोल और जमानत की अवधि बढ़ाने का आग्रह हाईकोर्ट में किया था. अदालत ने राज्य सरकार के आग्रह पर कैदियों के पैरोल की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी है.

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Published : May 29, 2020, 6:18 PM IST

bilaspur highcourt
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

बिलासपुर: जेलों में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों को लेकर राज्य सरकार का आग्रह हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. राज्य शासन ने इन बंदियों और कैदियों की पैरोल और जमानत की अवधि बढ़ाने का आग्रह हाईकोर्ट में किया था. जिसके बाद अदालत ने राज्य सरकार के आग्रह पर कैदियों के पैरोल की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी है.

बता दें कि राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि कोरोना के मद्देनजर कैदियों को दी गई जमानत और पैरोल की अवधि समाप्त होने को है.

कोरोनावायरस के लक्षणों से हो सकती हैं समस्या

इसके साथ ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि, कैदियों जेल में वापस भेजा गया और इनमें से कोई भी कोरोना वायरस के लक्षणों के साथ जेल में पहुंच गया तो भारी समस्या पैदा हो सकती है. शासन की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही उन कैदियों की ओर से भी आवेदन दायर किए गए थे. जिन्होंने पेरोल की अवधि खत्म होने के पहले सरेंडर कर दिया था.

पैरोल की अवधि बढ़ने की कोई जानकारी

उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि, उन्हें पैरोल की अवधि बढ़ने की कोई जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने सरेंडर किया था. कैदियों के ओर से कहा गया है कि जब पैरोल की अवधि बढ़ा दी गई है, तो उन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए. लेकिन अब जेल प्रशासन उन्हें बाहर नहीं आने दे रहा है जो कि उनके साथ अन्याय है.

चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने की सुनवाई

मामले पर हाईकोर्ट ने हाईपॉवर कमेटी को ऐसे कैदियों के संबंध में विचार करने का आदेश जारी किए गए हैं. पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मैनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने की है.

बिलासपुर: जेलों में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों को लेकर राज्य सरकार का आग्रह हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. राज्य शासन ने इन बंदियों और कैदियों की पैरोल और जमानत की अवधि बढ़ाने का आग्रह हाईकोर्ट में किया था. जिसके बाद अदालत ने राज्य सरकार के आग्रह पर कैदियों के पैरोल की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी है.

बता दें कि राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि कोरोना के मद्देनजर कैदियों को दी गई जमानत और पैरोल की अवधि समाप्त होने को है.

कोरोनावायरस के लक्षणों से हो सकती हैं समस्या

इसके साथ ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि, कैदियों जेल में वापस भेजा गया और इनमें से कोई भी कोरोना वायरस के लक्षणों के साथ जेल में पहुंच गया तो भारी समस्या पैदा हो सकती है. शासन की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही उन कैदियों की ओर से भी आवेदन दायर किए गए थे. जिन्होंने पेरोल की अवधि खत्म होने के पहले सरेंडर कर दिया था.

पैरोल की अवधि बढ़ने की कोई जानकारी

उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि, उन्हें पैरोल की अवधि बढ़ने की कोई जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने सरेंडर किया था. कैदियों के ओर से कहा गया है कि जब पैरोल की अवधि बढ़ा दी गई है, तो उन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए. लेकिन अब जेल प्रशासन उन्हें बाहर नहीं आने दे रहा है जो कि उनके साथ अन्याय है.

चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने की सुनवाई

मामले पर हाईकोर्ट ने हाईपॉवर कमेटी को ऐसे कैदियों के संबंध में विचार करने का आदेश जारी किए गए हैं. पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मैनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने की है.

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