बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सीनियर पायलट भर्ती के मामले में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट के पुराने जजमेंटों का हवाला दिया है. वरिष्ठ पायलट की नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी. याचिका में कहा गया था कि, उन्हें प्रतीक्षा सूची क्रमांक एक में रखा गया था और जिस वरिष्ठ पायलट की नियुक्ति की गई थी. वह निजी कारणों से अपना पद ग्रहण नहीं कर रहे थे. उनके पद ग्रहण नहीं करने की वजह से याचिकाकर्ता को मौका मिलना था, लेकिन याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित कर दिया गया. इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने उसकी याचिका को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है.
राज्य सरकार ने जारी किया था विज्ञापन: राज्य सरकार की ओर से सीनियर पायलट की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. विज्ञापन के बाद चयन समिति ने इस पद के लिए कप्तान एन बमन की नियुक्ति कर दी थी. याचिकाकर्ता को प्रतीक्षा सूची क्रमांक 1 में रखा था. कप्तान एन बमन ने किसी वजह से जार्ज नहीं लिया. याचिकाकर्ता युगल रात्रे ने सीनियर पायलट की नियुक्ति के लिए प्रतीक्षा सूची में रखा था, जिसे चयन समिति ने अयोग्य घोषित कर दिया है. अयोग्य घोषित होने के बाद युगल रात्रि ने इसे अनुचित बताया है. कोर्ट को बताया कि समीक्षा समिति ने इस आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया, क्योंकि याचिकाकर्ता को किंग एयर बी 200 को 50 घंटे चलाने का अनुभव नहीं था. राज्य शासन ने इन्हीं कारणों से नियुक्ति का दोबारा विज्ञापन जारी किया, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अक्टूबर 2022 में याचिका दायर की थी, जिसमें नियुक्ति पर स्टे ले लिया था.
6 अप्रैल को हुई थी याचिका की अंतिम सुनवाई: याचिका की अंतिम सुनवाई 6 अप्रैल 2023 को जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच में हुई. राज्य सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल संदीप दुबे ने तो, वहीं याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने पक्ष रखा. एडवोकेट जनरल संदीप दुबे ने बताया कि "याचिकाकर्ता को जिस चयन समिति ने प्रतीक्षा सूची में रखा था, उसने अनुभव नहीं होने पर ही उन्हें योग्य बताया था, जिसे रद्द कर दिया गया, क्योंकि किंग एयर बी-200 विमान में अत्यंत विशिष्ट व्यक्ति उड़ान भरते हैं. इसलिए राज्य शासन संचालक सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट रेगुलेशन बनाया गया. अत्यंत विशिष्ट व्यक्तियों के उड़ान के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए गए हैं." मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता युगल पात्रे की याचिका को खारिज कर दिया है.
अयोग्य घोषित करना चयन समिति का अधिकार: याचिका में दोनों पक्षों की सुनवाई हुई. उसके बाद हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से, पूर्व में पारित आदेशों का हवाला दिया. कोर्ट ने कहा कि "चयनित नहीं होने पर नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती." कोर्ट ने यह भी कहा कि "अत्यंत विशिष्ट व्यक्तियों की उड़ान के लिए पायलट की नियुक्ति करना एक गंभीर प्रक्रिया है. सिविल एविएशन विभाग संविधान के तहत संघ का विषय है. केंद्र शासन द्वारा जारी दिशानिर्देश के तहत शासन द्वारा नियुक्ति की जा रही है. इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया में कोई त्रुटि नहीं है."