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बिलासपुर के तालाबों पर भू माफिया की नजर - सरोवर धरोहर योजना

बिलासपुर में तालाबों का अस्तित्व दम तोड़ रहा है. बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में लगभग 80 से 90 तालाब है. ज्यादातर तालाब में बेजा कब्जा होने लगा है. निगम की अनदेखी से तालाब गंदगी से पटने लगे हैंं. जिससे सभी का पानी सूख रहा है. कुसह तालाब जो निगम क्षेत्र में शामिल हुए क्षेत्रों में है. वहां की स्थिति भी काफी खराब है. शहर में जिन तालाबों का सरोवर धरोहर योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर उन्नयन किया गया. वह भी अब बर्बाद हो गया.Land mafia encroaching on ponds of Bilaspur

बिलासपुर के तालाबों पर भू माफिया की नजर
बिलासपुर के तालाबों पर भू माफिया की नजर
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Published : Nov 26, 2022, 3:10 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 6:47 PM IST

बिलासपुर : शहर किसी समय में तालाबों का शहर कहलाता था. यहां लगभग 80 से 90 बड़े तालाब थे. लेकिन समय के साथ होते बेजाकब्जा और यहां रहने वालों के द्वारा फेंके जाने वाले गंदगी और कचरे से तालाब पटने लगा है. अभी स्थिति ये है कि तालाबों में सिर्फ कचरा और मलबा ही रह गया है. पानी सूखने लगा है जिससे बिलासपुर शहर का जलस्तर रसातल पर जाता जा रहा है. निगम में जुड़े नए क्षेत्र से तालाबो की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन स्थिति वहां की भी यही है. निस्तारी के तालाब तो हैं. लेकिन इनकी भी स्थिति काफी खराब हैं. जिन तालाबों में लोग निस्तारी कर रहे हैं. वहां भी बेजा कब्जा होने लगा है. (Land mafia encroaching on ponds of Bilaspur)



सरोवर धरोहर में हुए थे सौंदर्यीकरण : बिलासपुर नगर निगम (Bilaspur Municipal Corporation) ने कुछ वर्ष पहले शहर के कुछ तालाबों को सरोवर धरोहर योजना (Sarovar Dharohar Yojana) में शामिल कर उनका उन्नयन किया गया था. लेकिन नगर निगम की अनदेखी और भू माफियाओं के कब्जे से तालाबों का अस्तित्व खत्म होने लगा है. आने वाले समय में स्थिति यह भी बन सकती है कि शहर के कई तालाबों का नामो निशान मिट जाएगा. वहां भू माफियाओं के द्वारा कॉलोनी बसाई जा सकती है. तालाबों का अस्तित्व खत्म होने से नगर निगम क्षेत्र में जलस्तर घटता चला जाएगा और भविष्य में पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू होगा. समय रहते भू माफियाओं के कब्जे से तालाब को खाली नहीं कराया गया तो भविष्य में पानी की बड़ी समस्या उत्पन्न होगी.


क्या है जिम्मेदारों का कहना : बिलासपुर नगर निगम के तालाबों में लगातार हो रहे बेजाकब्जा और दुर्दशा को लेकर नगर निगम के सभापति शेख नजीरुद्दीन ने कहा कि '' निगम क्षेत्र पहले बहुत छोटा था और उसमें लगभग 8 से 10 तालाब आते थे तो उस समय शहर के तीन तालाबों को सरोवर धरोहर योजना को लेकर जीर्णोद्धार किया गया था और अब उसका भी हाल बेहाल है.निगम क्षेत्र बढ़ने के बाद 80-90 तालाब हो गए है. सभी की जानकारी जाएगी, सभी के विकास और सरोवर धरोवर योजना को लेकर जीर्णोद्धार करने के लिए शासन को अवगत कराया जाएगा. सभापति शेख नजीरुद्दीन ने कहा कि जिन तालाबों में बेजाकब्जा हो रहा है. उनकी जानकारी लेंगे और बड़े बेजा कब्जा धारकों को खाली कराने के निर्देश दिए जाएंगे.''

ये भी पढ़ें- बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय की दरियादिली

निगम क्षेत्र का हुआ विस्तार : नगर निगम क्षेत्र लगभग 55 वार्डों का रहा. इसमें शहरी क्षेत्र शामिल थे. लेकिन कुछ साल पहले नगर निगम का विस्तार किया गया. इसमें 15 ग्राम पंचायत, 1 नगर पालिका और 3 नगर पंचायत को शामिल किया गया. इनके शामिल होने के बाद नगर निगम का क्षेत्रफल काफी बढ़ गया. निगम 70 वार्ड का हो गया. यानी नगर निगम बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. निगम में पहले 8 से 10 तालाब थे. जो बढ़कर 80 से 90 हो गए हैं. कुछ में निस्तारी हो रहा है. तो कुछ निस्तारी के लायक नहीं है. कुछ का पानी सूख गया है तो जहां पानी है वहां बेजा कब्जा भी हो रहा है. इससे निगम के तालाबों को संरक्षित करना अति आवश्यक हो गया है.

बिलासपुर : शहर किसी समय में तालाबों का शहर कहलाता था. यहां लगभग 80 से 90 बड़े तालाब थे. लेकिन समय के साथ होते बेजाकब्जा और यहां रहने वालों के द्वारा फेंके जाने वाले गंदगी और कचरे से तालाब पटने लगा है. अभी स्थिति ये है कि तालाबों में सिर्फ कचरा और मलबा ही रह गया है. पानी सूखने लगा है जिससे बिलासपुर शहर का जलस्तर रसातल पर जाता जा रहा है. निगम में जुड़े नए क्षेत्र से तालाबो की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन स्थिति वहां की भी यही है. निस्तारी के तालाब तो हैं. लेकिन इनकी भी स्थिति काफी खराब हैं. जिन तालाबों में लोग निस्तारी कर रहे हैं. वहां भी बेजा कब्जा होने लगा है. (Land mafia encroaching on ponds of Bilaspur)



सरोवर धरोहर में हुए थे सौंदर्यीकरण : बिलासपुर नगर निगम (Bilaspur Municipal Corporation) ने कुछ वर्ष पहले शहर के कुछ तालाबों को सरोवर धरोहर योजना (Sarovar Dharohar Yojana) में शामिल कर उनका उन्नयन किया गया था. लेकिन नगर निगम की अनदेखी और भू माफियाओं के कब्जे से तालाबों का अस्तित्व खत्म होने लगा है. आने वाले समय में स्थिति यह भी बन सकती है कि शहर के कई तालाबों का नामो निशान मिट जाएगा. वहां भू माफियाओं के द्वारा कॉलोनी बसाई जा सकती है. तालाबों का अस्तित्व खत्म होने से नगर निगम क्षेत्र में जलस्तर घटता चला जाएगा और भविष्य में पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू होगा. समय रहते भू माफियाओं के कब्जे से तालाब को खाली नहीं कराया गया तो भविष्य में पानी की बड़ी समस्या उत्पन्न होगी.


क्या है जिम्मेदारों का कहना : बिलासपुर नगर निगम के तालाबों में लगातार हो रहे बेजाकब्जा और दुर्दशा को लेकर नगर निगम के सभापति शेख नजीरुद्दीन ने कहा कि '' निगम क्षेत्र पहले बहुत छोटा था और उसमें लगभग 8 से 10 तालाब आते थे तो उस समय शहर के तीन तालाबों को सरोवर धरोहर योजना को लेकर जीर्णोद्धार किया गया था और अब उसका भी हाल बेहाल है.निगम क्षेत्र बढ़ने के बाद 80-90 तालाब हो गए है. सभी की जानकारी जाएगी, सभी के विकास और सरोवर धरोवर योजना को लेकर जीर्णोद्धार करने के लिए शासन को अवगत कराया जाएगा. सभापति शेख नजीरुद्दीन ने कहा कि जिन तालाबों में बेजाकब्जा हो रहा है. उनकी जानकारी लेंगे और बड़े बेजा कब्जा धारकों को खाली कराने के निर्देश दिए जाएंगे.''

ये भी पढ़ें- बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय की दरियादिली

निगम क्षेत्र का हुआ विस्तार : नगर निगम क्षेत्र लगभग 55 वार्डों का रहा. इसमें शहरी क्षेत्र शामिल थे. लेकिन कुछ साल पहले नगर निगम का विस्तार किया गया. इसमें 15 ग्राम पंचायत, 1 नगर पालिका और 3 नगर पंचायत को शामिल किया गया. इनके शामिल होने के बाद नगर निगम का क्षेत्रफल काफी बढ़ गया. निगम 70 वार्ड का हो गया. यानी नगर निगम बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. निगम में पहले 8 से 10 तालाब थे. जो बढ़कर 80 से 90 हो गए हैं. कुछ में निस्तारी हो रहा है. तो कुछ निस्तारी के लायक नहीं है. कुछ का पानी सूख गया है तो जहां पानी है वहां बेजा कब्जा भी हो रहा है. इससे निगम के तालाबों को संरक्षित करना अति आवश्यक हो गया है.

Last Updated : Nov 26, 2022, 6:47 PM IST
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