बिलासपुर : हिंदी दिवस के अवसर पर मंगलवार को हाईकोर्ट (High Court) ने अनूठी पहल (Unique initiative) करते हुए 22 साल पुराने प्रकरण में हिंदी में निर्णय दिया. इतना ही नहीं आदेश भी हिंदी में ही जारी किया. बता दें कि यह प्रकरण 22 साल पुराना है और मंगलवार को हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे ने इस प्रकरण में हिंदी में सुनवाई की और हिंदी में ही आदेश जारी किया है. प्रकरण की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 22 साल से अदालत का चक्कर काट रहे अभियुक्त को राहत दी है. इसके साथ बंधक बनाकर छेड़खानी की सजा को यथावत रखा है. जबकि, एट्रोसिटी एक्ट (Atrocities Act) के तहत दी गई सजा से दोष मुक्त कर दिया है.
बता दें कि महासमुंद जिला अंतर्गत पिथौरा थाना क्षेत्र के बेचरापाली निवासी बाबूलाल नायक वर्ष 1999 में 28 साल का था. तब उसके खिलाफ पड़ोसी महिला ने बंधक बनाकर छेड़खानी करने का आरोप लगाया था. इस प्रकरण में पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 342, 354 व अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर कार्रवाई की. इस दौरान वह करीब 25 दिन तक जेल में रहा. इस बीच रायपुर के विशेष न्यायालय एट्रोसिटी में चालान प्रस्तुत होने पर विचारण चला. 29 जनवरी 2002 को निचली अदालत ने अभियुक्त पर दोषसिद्ध करते हुए सजा सुनाई. इसके तहत धारा 342 के तहत 6 माह का सश्रम कारावास एवं पांच सौ रुपये अर्थदंड, धारा 354 के तहत 9 माह सश्रम कारावास व एक हजार रुपये अर्थदंड के साथ ही एट्रोसिटी एक्ट के तहत सजा सुनाई.
इस फैसले के खिलाफ अभियुक्त ने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की. सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस रजनी दुबे ने अभियुक्त की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है. कोर्ट ने आरोपित को धारा 342 व 354 के तहत दोष सिद्ध को सही ठहराया है. जबकि, एट्रोसिटी एक्ट की सजा से आरोपित को दोष मुक्त कर दिया है.