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मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ की सीमा पर अवैध उत्खनन, मैकल पर्वत श्रृंखला पर मंडराया खतरा - Chhattisgarh Maikal mountain range

मैकल पहाड़ी एवं अमरकंटक के तराई क्षेत्र में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित ग्राम करंगरा एवं पवरा में हो रहे पत्थरों के लगातार उत्खनन से मैकल पहाड़ का अस्तित्व लगभग मिटने को है. वहीं छत्तीसगढ़ के इलाकों में अवैध उत्खनन से न सिर्फ जंगलों को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि राजस्व की भी बड़ी हानि हो रही है.स्थानीय लोग इस अवैध उत्खनन की वजह छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के बीच अब तक सीमा निर्धारण ना होने को बता रहे हैं. साथ ही सीमा निर्धारण के साथ अवैध खनन पर कार्यवाई की भी मांग कर रहे हैं.Illegal mining border of MP Chhattisgarh

मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ की सीमा पर अवैध उत्खनन
मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ की सीमा पर अवैध उत्खनन
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Published : Dec 1, 2022, 2:09 PM IST

Updated : Dec 1, 2022, 5:15 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही : अमरकंटक के तराई इलाके एवं मैकल पहाड़ी क्षेत्र में लगातार पत्थरों का उत्खनन जारी है. जिससे मैकल के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है. पत्थरों के उत्खनन से ऊंचे पहाड़ी इलाके सपाट नजर आ रहे हैं. कई जगह गहरे तालाब नुमा गड्ढे हो गए हैं. तो पहाड़ी की ऊंचाई इलाके में लंबे बड़े इलाके को खोदकर नदी की तरह बना दिया गया है. मध्य प्रदेश के इलाके में हुई खुदाई को लीज में हुई खुदाई बताया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ के इलाके में बिना लीज के चोरी छुपे अवैध तरीके से पहाड़ों को न सिर्फ खोदा गया है बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षो पहले लगाए गए सागौन के प्लांटेशन को भी खत्म कर पत्थरों की अवैध खुदाई करके नष्ट किया जा रहा है. Illegal mining border of MP Chhattisgarh

सीमा निर्धारण नहीं होने से हो रही चोरी : स्थानीय ग्रामीण भी क्षेत्र में हो रही लगातार खुदाई से परेशान हैं उनका कहना है कि ''छत्तीसगढ़ के इलाके में चोरी छुपे अवैध उत्खनन होता है पत्थरों को निकालकर ट्रैक्टरों में भेज दिया जाता है. अवैध उत्खनन कई वर्षों से लगातार बदस्तूर चोरी छिपे जारी है.वहीं जनप्रतिनिधियों का मानना है कि यह अवैध उत्खनन इसलिए हो रहा है कि इस इलाके में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के बीच सीमा का निर्धारण अब तक नहीं किया गया है. जिसका लाभ खनन माफिया लगातार उठाते आ रहे हैं.Chhattisgarh Maikal mountain range

कार्रवाई के नाम पर हो रहा दिखावा : मध्य प्रदेश की लीज के नाम पर छत्तीसगढ़ में अवैध खुदाई जारी है. कई बार कार्यवाही भी होती है. लेकिन सिर्फ दिखावे एवं खानापूर्ति के लिए जिसमें ट्रैक्टर चालकों को पकड़ लिया जाता है. जबकि पत्थर जहां खपाए जा रहे हैं उन क्रेशर संचालकों पर कार्यवाही नहीं होती. प्रतिदिन 40 से 50 हाईवा पत्थरों का अवैध उत्खनन एवं परिवहन इस इलाके से होता है. वही मामले में सांसद प्रतिनिधि कार्यवाही की मांग कर रहे हैं.

जांच चौकी किस काम की : छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश सीमा पर मध्यप्रदेश की ओर स्थित वनोपज जांच नाका में नियुक्त कर्मचारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लगभग 20 से 30 हाईवा पत्थर प्रतिदिन मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ की ओर जाता है. हमें जांच का अधिकार नहीं हैं. हम सिर्फ टीपी (ट्रक परमिट) देखकर वाहन जाने देते हैं.

क्यों आ रही है दिक्कत : सीमावर्ती इलाके में स्टोन क्रेशर (stone crusher) का बड़ा बाजार गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला है. लेकिन गौण खनिज के इस व्यापार से छत्तीसगढ़ सरकार को राजस्व की प्राप्ति कहीं से भी नहीं होती. क्रेशर संचालक फायदे में रहते हैं. फौरी तौर पर सीमावर्ती इलाके में खनिज विभाग को खनिज नाके लगाने चाहिए ताकि विभाग की सीधी नजर इन पर बनी रहे.छत्तीसगढ़ के इलाके में हुई अवैध उत्खनन को लेकर जब जिले के खनिज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने पूर्व में भी इस तरह की शिकायत आने की बात करते हुए शीघ्र ही खनिज विभाग की टीम भेजकर पूरे मामले की जांच कराने की बात कही. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि संबंधित इलाके में छत्तीसगढ़ सरकार ने उत्खनन के लिए किसी भी प्रकार की लीज नहीं दी है. वन विभाग ने करंगरा क्षेत्र के वन कर्मियों से अवैध उत्खनन पर रिपोर्ट मंगाई है. साथ ही यह भी कहा है कि बहुत जल्द छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश दोनों के 1 कर्मियों की संयुक्त टीम के साथ इलाके का दौरा कर जांच एवं कार्यवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें- बिलासपुर के तालाबों पर भूमाफिया की नजर

बिना लीज के ही उत्खनन : छत्तीसगढ़ सरकार ने इस इलाके में उत्खनन की एक भी लीज स्वीकृत नहीं की है. मैंकल के क्षेत्र में जहां प्लांटेशन कर घने जंगल लगाकर संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है .वहां पत्थरों के लगातार उत्खनन से प्रकृति को गंभीर नुकसान तो पहुंच ही रहा है. साथ ही लोगों की आस्था के साथ-साथ मैंकल के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार को भी इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही : अमरकंटक के तराई इलाके एवं मैकल पहाड़ी क्षेत्र में लगातार पत्थरों का उत्खनन जारी है. जिससे मैकल के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है. पत्थरों के उत्खनन से ऊंचे पहाड़ी इलाके सपाट नजर आ रहे हैं. कई जगह गहरे तालाब नुमा गड्ढे हो गए हैं. तो पहाड़ी की ऊंचाई इलाके में लंबे बड़े इलाके को खोदकर नदी की तरह बना दिया गया है. मध्य प्रदेश के इलाके में हुई खुदाई को लीज में हुई खुदाई बताया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ के इलाके में बिना लीज के चोरी छुपे अवैध तरीके से पहाड़ों को न सिर्फ खोदा गया है बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षो पहले लगाए गए सागौन के प्लांटेशन को भी खत्म कर पत्थरों की अवैध खुदाई करके नष्ट किया जा रहा है. Illegal mining border of MP Chhattisgarh

सीमा निर्धारण नहीं होने से हो रही चोरी : स्थानीय ग्रामीण भी क्षेत्र में हो रही लगातार खुदाई से परेशान हैं उनका कहना है कि ''छत्तीसगढ़ के इलाके में चोरी छुपे अवैध उत्खनन होता है पत्थरों को निकालकर ट्रैक्टरों में भेज दिया जाता है. अवैध उत्खनन कई वर्षों से लगातार बदस्तूर चोरी छिपे जारी है.वहीं जनप्रतिनिधियों का मानना है कि यह अवैध उत्खनन इसलिए हो रहा है कि इस इलाके में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के बीच सीमा का निर्धारण अब तक नहीं किया गया है. जिसका लाभ खनन माफिया लगातार उठाते आ रहे हैं.Chhattisgarh Maikal mountain range

कार्रवाई के नाम पर हो रहा दिखावा : मध्य प्रदेश की लीज के नाम पर छत्तीसगढ़ में अवैध खुदाई जारी है. कई बार कार्यवाही भी होती है. लेकिन सिर्फ दिखावे एवं खानापूर्ति के लिए जिसमें ट्रैक्टर चालकों को पकड़ लिया जाता है. जबकि पत्थर जहां खपाए जा रहे हैं उन क्रेशर संचालकों पर कार्यवाही नहीं होती. प्रतिदिन 40 से 50 हाईवा पत्थरों का अवैध उत्खनन एवं परिवहन इस इलाके से होता है. वही मामले में सांसद प्रतिनिधि कार्यवाही की मांग कर रहे हैं.

जांच चौकी किस काम की : छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश सीमा पर मध्यप्रदेश की ओर स्थित वनोपज जांच नाका में नियुक्त कर्मचारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लगभग 20 से 30 हाईवा पत्थर प्रतिदिन मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ की ओर जाता है. हमें जांच का अधिकार नहीं हैं. हम सिर्फ टीपी (ट्रक परमिट) देखकर वाहन जाने देते हैं.

क्यों आ रही है दिक्कत : सीमावर्ती इलाके में स्टोन क्रेशर (stone crusher) का बड़ा बाजार गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला है. लेकिन गौण खनिज के इस व्यापार से छत्तीसगढ़ सरकार को राजस्व की प्राप्ति कहीं से भी नहीं होती. क्रेशर संचालक फायदे में रहते हैं. फौरी तौर पर सीमावर्ती इलाके में खनिज विभाग को खनिज नाके लगाने चाहिए ताकि विभाग की सीधी नजर इन पर बनी रहे.छत्तीसगढ़ के इलाके में हुई अवैध उत्खनन को लेकर जब जिले के खनिज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने पूर्व में भी इस तरह की शिकायत आने की बात करते हुए शीघ्र ही खनिज विभाग की टीम भेजकर पूरे मामले की जांच कराने की बात कही. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि संबंधित इलाके में छत्तीसगढ़ सरकार ने उत्खनन के लिए किसी भी प्रकार की लीज नहीं दी है. वन विभाग ने करंगरा क्षेत्र के वन कर्मियों से अवैध उत्खनन पर रिपोर्ट मंगाई है. साथ ही यह भी कहा है कि बहुत जल्द छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश दोनों के 1 कर्मियों की संयुक्त टीम के साथ इलाके का दौरा कर जांच एवं कार्यवाई की जाएगी.

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बिना लीज के ही उत्खनन : छत्तीसगढ़ सरकार ने इस इलाके में उत्खनन की एक भी लीज स्वीकृत नहीं की है. मैंकल के क्षेत्र में जहां प्लांटेशन कर घने जंगल लगाकर संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है .वहां पत्थरों के लगातार उत्खनन से प्रकृति को गंभीर नुकसान तो पहुंच ही रहा है. साथ ही लोगों की आस्था के साथ-साथ मैंकल के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार को भी इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है.

Last Updated : Dec 1, 2022, 5:15 PM IST
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