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कोरोना वैक्सीन की कमी की याचिका को हाईकोर्ट ने माना औचित्यहीन, याचिका निराकृत की

प्रदेश में कोरोना वैक्सीन की कमी दूर करने के लिए ग्लोबल टेंडर की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को हाई कोर्ट ने वर्तमान समय में औचित्यहीन मानते हुए प्रकरण को निराकृत कर दिया है.

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Published : Sep 11, 2021, 10:33 AM IST

बिलासपुर : प्रदेश में कोरोना वैक्सीन की कमी (Corona vaccine shortage) दूर करने के लिए ग्लोबल टेंडर (global tender) की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका (Public interest litigation) को हाई कोर्ट (highcourt) ने वर्तमान समय में औचित्यहीन माना है. अब प्रदेश में पर्याप्त टीका उपलब्ध है. इसलिए प्रकरण को निराकृत कर दिया है.

याचिकाकर्ता वकील शैलेंद्र दुबे व हिमांशु पांडेय की ओर से 25 मई को याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा गया है कि मौजूदा स्थिति में वैक्सीन की पूर्ति करने के लिए देश में केवल दो कंपनियां काम कर रही हैं. इसकी वजह से कई राज्यों में वैक्सीन की कमी है. टीकाकरण अभियान भी रोकना पड़ा है. उत्तर प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक जैसे राज्यों ने वैक्सीन की कमी को देखते हुए ग्लोबल टेंडर जारी किया है. इसी तर्ज पर राज्य सरकार को भी टेंडर जारी करना चाहिए. याचिका में बताया गया कि प्रदेश में 21 मई तक 50.82 लाख लोगों को वैक्सीन लगी है. इसमें 45 प्लस और 18 प्लस दोनों आयु वर्ग शामिल हैं. जबकि आबादी 2.90 करोड़ है. देश के साथ ही प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर संभावित है, लेकिन वैक्सीन नहीं है. वैक्सीनेशन ऐसे ही चलता रहा तो सभी को टीका लगाने में डेढ़ से दो साल लग जाएंगे.

हाई कोर्ट की युगलपीठ में हुई मामले की सुनवाई

जबकि कोरोना की तीसरी लहर सितंबर-अक्टूबर में आने की आशंका जताई गई है. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट की युगलपीठ में हुई. इस दौरान शासन की तरफ से बताया गया कि वर्तमान में टीकाकरण को लेकर कोई समस्या नहीं है. सभी जगहों पर पर्याप्त टीका उपलब्ध है. देश में भी वैक्सीन को लेकर स्थिति सामान्य है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में ग्लोबल टेंडर की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने भी माना कि अब वैक्सीनेशन सुचारू रूप से चल रहा है. लिहाजा, अब प्रकरण में कोई नया तथ्य नहीं रह गया है. हाई कोर्ट ने याचिका को औचित्यहीन मानते हुए निराकृत कर दिया है.

बिलासपुर : प्रदेश में कोरोना वैक्सीन की कमी (Corona vaccine shortage) दूर करने के लिए ग्लोबल टेंडर (global tender) की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका (Public interest litigation) को हाई कोर्ट (highcourt) ने वर्तमान समय में औचित्यहीन माना है. अब प्रदेश में पर्याप्त टीका उपलब्ध है. इसलिए प्रकरण को निराकृत कर दिया है.

याचिकाकर्ता वकील शैलेंद्र दुबे व हिमांशु पांडेय की ओर से 25 मई को याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा गया है कि मौजूदा स्थिति में वैक्सीन की पूर्ति करने के लिए देश में केवल दो कंपनियां काम कर रही हैं. इसकी वजह से कई राज्यों में वैक्सीन की कमी है. टीकाकरण अभियान भी रोकना पड़ा है. उत्तर प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक जैसे राज्यों ने वैक्सीन की कमी को देखते हुए ग्लोबल टेंडर जारी किया है. इसी तर्ज पर राज्य सरकार को भी टेंडर जारी करना चाहिए. याचिका में बताया गया कि प्रदेश में 21 मई तक 50.82 लाख लोगों को वैक्सीन लगी है. इसमें 45 प्लस और 18 प्लस दोनों आयु वर्ग शामिल हैं. जबकि आबादी 2.90 करोड़ है. देश के साथ ही प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर संभावित है, लेकिन वैक्सीन नहीं है. वैक्सीनेशन ऐसे ही चलता रहा तो सभी को टीका लगाने में डेढ़ से दो साल लग जाएंगे.

हाई कोर्ट की युगलपीठ में हुई मामले की सुनवाई

जबकि कोरोना की तीसरी लहर सितंबर-अक्टूबर में आने की आशंका जताई गई है. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट की युगलपीठ में हुई. इस दौरान शासन की तरफ से बताया गया कि वर्तमान में टीकाकरण को लेकर कोई समस्या नहीं है. सभी जगहों पर पर्याप्त टीका उपलब्ध है. देश में भी वैक्सीन को लेकर स्थिति सामान्य है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में ग्लोबल टेंडर की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने भी माना कि अब वैक्सीनेशन सुचारू रूप से चल रहा है. लिहाजा, अब प्रकरण में कोई नया तथ्य नहीं रह गया है. हाई कोर्ट ने याचिका को औचित्यहीन मानते हुए निराकृत कर दिया है.

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