बिलासपुर : बिलासपुर रेलवे स्टेशन में फुट ओवर ब्रिज का काम पिछले चार सालों से अटका है.जिसके कारण स्टेशन के दोनों ओर बसे 15 गांव के लोग परेशान हैं. चुचुहियापारा, सिरगिट्टी और गणेश नगर के निवासी काफी तकलीफों का सामना कर रहे हैं. उन्हें रेलवे लाइन के दूसरी ओर शहर की तरफ आने के लिए रेल लाइन पार करनी पड़ती है.रेल लाइन पार करते समय जान का खतरा बना रहता है. स्कूली छात्र छात्राओं को रोजाना दोनों समय आने जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है.
रेल लाइन में हो चुका है हादसा : कुछ साल पहले इसी तरह से रेलवे लाइन पार करते समय दो ट्रेनों के बीच सैकड़ों लोग फंस गए थे, बीच में भी ट्रेन के आने से कई लोग ट्रेन की चपेट में आए थे. जिनसे सभी की मौत हो गई थी. अब आने वाले समय में इसी तरह की घटना ना हो इसके लिए रेलवे ने कोई इंतजाम नहीं किए हैं.जिन रेल अधिकारियों को इस समस्या का हल निकालना चाहिए वो नींद में सो रहे हैं.
क्यों पार करनी पड़ती है पटरी ? : बिलासपुर जोनल मुख्यालय बिलासपुर रेलवे स्टेशन के दूसरी ओर 15 गांव हैं. इन गांव में लगभग 3 लाख की जनसंख्या है. रेल लाइन के इस पार आने जाने के लिए फुट ओवर ब्रिज हुआ करता था. जो कई साल पहले टूट चुका है. रेलवे ने नया एफओबी बनाने का काम शुरू किया था.लेकिन इस काम को 4 साल बाद भी पूरा नहीं किया गया है. इसलिए आम लोगों को रोजाना शहर में आने जाने के लिए पटरी पार करनी पड़ती है.सुबह से लेकर रात तक लोग अपनी जान खतरे में डालते हैं. कई बार मालगाड़ी खड़े रहने पर बच्चे इंजन के केबिन , डिब्बे और बीच या पीछे के केबिन पर चढ़कर लाइन पार करते हैं. इस तरह के काम करना उनकी मजबूरी है. रेलवे अधिकारियों को कई बार इस मामले की जानकारी दी गई है.लेकिन वो इस मामले में कोई भी कदम नहीं उठा रहे.
क्या है रहवासियों का कहना ? : गणेश नगर में रहने वाले सुरेश ने बताया कि वह बच्चों को लेकर लाइन पार करते हैं. कई बार बच्चे अकेले ही स्कूल जाने के लिए लाइन पार करके जाते हैं. जिनके जाने से लेकर घर वापस लौटने तक उन्हें अपने बच्चों की चिंता रहती है.इसी तरह गणेश ने कहा कि उनका गांव सालों से ब्रिज पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन रेलवे को आम जनता की सहूलियत से कोई सरोकार नहीं है. यही वजह है कि रेलवे फुट ओवर ब्रिज तैयार करने में दिलचस्पी नहीं ली जा रही.
हाईकोर्ट ने मामले पर लिया संज्ञान : इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने संज्ञान लेते हुए रेलवे अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस ने एफओबी तैयार नहीं होने के साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था में क्या किया गया है इसकी जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कहा कि रेलवे ऑफिसर क्या कर रहे हैं. उन्हें यह पता है कि नहीं कि कौन सा काम अधिक जरूरी है और कौन सा नहीं. इस तरह से हजारों बच्चों की जिंदगियों को रेल पटरी के भरोसे पर छोड़ना बेहद शर्मनाक है. हाई कोर्ट ने केंद्र शासन और रेलवे से साफ कहा है कि आप एफओबी का क्या करेंगे और कैसे करेंगे. इन सब की पूरी विस्तृत जानकारी 48 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करें. इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को है.