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Brake On Cataract Operation In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में 20 हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर ब्रेक, आई फ्लू ने रोके डॉक्टरों के हाथ - डॉ राजेश मिश्रा

Brake On Cataract Operation In Chhattisgarh आई फ्लू की वजह से बिलासपुर में करीब दो हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन टाल दिए गए. वायरस इतना फैल चुका है कि डॉक्टर आंखों का ऑपरेशन करने से पीछे हट रहे हैं. इसकी वजह से मोतियाबिंद के ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहे हैं.

Brake On Cataract Operation In Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में 20 हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर ब्रेक
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Published : Aug 14, 2023, 11:08 PM IST

छत्तीसगढ़ में 20 हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर ब्रेक

बिलासपुर: सिम्स मेडिकल कॉलेज के साथ ही जिले के शासकीय अस्पतालों में आई फ्लू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसकी वजह से अघोषित रूप से मोतियाबिंद सहित आंखों के अन्य ऑपरेशन टाल दिए गए हैं. बिलासपुर में 14 हजार ऑपरेशन होने थे, लेकिन जनवरी से अब तक 3838 ऑपरेशन हो पाए हैं. साथ ही रजिस्टर्ड मरीजों में ये संख्या दो हजार और बढ़ गई है, जिन्हें तत्काल ऑपरेशन की जरूरत है. आखों को खतरा होने और रोशनी जाने के अंदेशे से पूरे प्रदेश में अघोषित रूप से मोतियाबिंद का ऑपरेशन रुका हुआ है.

हर चौथा व्यक्ति आई फ्लू से पीड़ित: जिले में आई फ्लू का प्रकोप कम होने का नाम ही नहीं ले रहा. इस समस्या से हर चौथा व्यक्ति ग्रसित है और ज्यादातर यह समस्या बच्चों और बुजुर्गों में देखी जा रही है. आई फ्लू की वजह से मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन भी नहीं किया जा रहा है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्रालय ने मोतियाबिंद ऑपरेशन पर रोक लगा रखी है. यदि ऑपरेशन किया जाएगा तो इससे आंखों की रोशनी जाने का भी अंदेशा रहता है. यही वजह है कि मोतियाबिंद के मरीज का ऑपरेशन रुका हुआ है.

संक्रमण की वजह से नहीं किया जा रहा है ऑपरेशन: बिलासपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजेश शुक्ला के मुताबिक आई फ्लू की समस्या लगातार बनी हुई है. ऐसे में मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन किया जाएगा तो ऑपरेशन के पहले या ऑपरेशन के बाद यदि मरीज कंजेक्टिवाइटिस संक्रमण के संपर्क में आया तो उसके आंखों की रोशनी जा सकती है. यही वजह है कि बिलासपुर जिले में जनवरी से दिसंबर तक 14000 ऑपरेशन करने थे लेकिन अब तक 3838 ऑपरेशन हो पाए हैं. जिले में 2000 मरीजों को तत्काल मोतियाबिंद के ऑपरेशन की आवश्यकता है.

ऐसा नहीं है कि ऑपरेशन नहीं किया जा सकता. लेकिन समस्या और आंखों की रोशनी जाने के अंदेशा को देखते हुए ऑपरेशन नहीं किया जा रहा है. जैसे ही कंजेक्टिवाइटिस की समस्या खत्म हो जाएगी, जिले में फिर से मोतियाबिंद के ऑपरेशन शुरू कर दिए जाएंगे. -डॉ राजेश मिश्रा, सीएमएचओ, बिलासपुर

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प्रदेश में 20 हजार से ज्यादा मरीजों का होना है ऑपरेशन: पूरे प्रदेश में आई फ्लू की समस्या देखी जा रही है. इस समस्या की वजह से मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं किया जा रहा है, यदि इस समस्या से जुड़े मरीज किसी के संपर्क में आया हो तो ऑपरेशन के बाद उसकी आंखों की रोशनी भी जा सकती है. यही वजह है कि प्रदेश में अघोषित रूप से कंजेक्टिवाइटिस और आई फ्लू की वजह से मोतियाबिंद का ऑपरेशन रोक दिया गया है. सरकारी आंकड़ों में 12 से 14 हजार ऑपरेशन पिछले दो माह में किए जाने थे, इसी तरह निजी अस्पतालों में होने वाले ऑपरेशन का आंकड़ा अगर मिलाया जाए तो शासकीय और निजी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में लगभग 20 हजार से भी ज्यादा मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन रुक गया है.

छत्तीसगढ़ में 20 हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर ब्रेक

बिलासपुर: सिम्स मेडिकल कॉलेज के साथ ही जिले के शासकीय अस्पतालों में आई फ्लू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसकी वजह से अघोषित रूप से मोतियाबिंद सहित आंखों के अन्य ऑपरेशन टाल दिए गए हैं. बिलासपुर में 14 हजार ऑपरेशन होने थे, लेकिन जनवरी से अब तक 3838 ऑपरेशन हो पाए हैं. साथ ही रजिस्टर्ड मरीजों में ये संख्या दो हजार और बढ़ गई है, जिन्हें तत्काल ऑपरेशन की जरूरत है. आखों को खतरा होने और रोशनी जाने के अंदेशे से पूरे प्रदेश में अघोषित रूप से मोतियाबिंद का ऑपरेशन रुका हुआ है.

हर चौथा व्यक्ति आई फ्लू से पीड़ित: जिले में आई फ्लू का प्रकोप कम होने का नाम ही नहीं ले रहा. इस समस्या से हर चौथा व्यक्ति ग्रसित है और ज्यादातर यह समस्या बच्चों और बुजुर्गों में देखी जा रही है. आई फ्लू की वजह से मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन भी नहीं किया जा रहा है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्रालय ने मोतियाबिंद ऑपरेशन पर रोक लगा रखी है. यदि ऑपरेशन किया जाएगा तो इससे आंखों की रोशनी जाने का भी अंदेशा रहता है. यही वजह है कि मोतियाबिंद के मरीज का ऑपरेशन रुका हुआ है.

संक्रमण की वजह से नहीं किया जा रहा है ऑपरेशन: बिलासपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजेश शुक्ला के मुताबिक आई फ्लू की समस्या लगातार बनी हुई है. ऐसे में मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन किया जाएगा तो ऑपरेशन के पहले या ऑपरेशन के बाद यदि मरीज कंजेक्टिवाइटिस संक्रमण के संपर्क में आया तो उसके आंखों की रोशनी जा सकती है. यही वजह है कि बिलासपुर जिले में जनवरी से दिसंबर तक 14000 ऑपरेशन करने थे लेकिन अब तक 3838 ऑपरेशन हो पाए हैं. जिले में 2000 मरीजों को तत्काल मोतियाबिंद के ऑपरेशन की आवश्यकता है.

ऐसा नहीं है कि ऑपरेशन नहीं किया जा सकता. लेकिन समस्या और आंखों की रोशनी जाने के अंदेशा को देखते हुए ऑपरेशन नहीं किया जा रहा है. जैसे ही कंजेक्टिवाइटिस की समस्या खत्म हो जाएगी, जिले में फिर से मोतियाबिंद के ऑपरेशन शुरू कर दिए जाएंगे. -डॉ राजेश मिश्रा, सीएमएचओ, बिलासपुर

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प्रदेश में 20 हजार से ज्यादा मरीजों का होना है ऑपरेशन: पूरे प्रदेश में आई फ्लू की समस्या देखी जा रही है. इस समस्या की वजह से मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं किया जा रहा है, यदि इस समस्या से जुड़े मरीज किसी के संपर्क में आया हो तो ऑपरेशन के बाद उसकी आंखों की रोशनी भी जा सकती है. यही वजह है कि प्रदेश में अघोषित रूप से कंजेक्टिवाइटिस और आई फ्लू की वजह से मोतियाबिंद का ऑपरेशन रोक दिया गया है. सरकारी आंकड़ों में 12 से 14 हजार ऑपरेशन पिछले दो माह में किए जाने थे, इसी तरह निजी अस्पतालों में होने वाले ऑपरेशन का आंकड़ा अगर मिलाया जाए तो शासकीय और निजी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में लगभग 20 हजार से भी ज्यादा मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन रुक गया है.

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