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बेमेतरा में मौसंबी की खेती हुई कामयाब, एक पौधे में लगे 1 हजार से ज्यादा फल

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Published : Sep 18, 2020, 6:13 PM IST

पड़कीडीह में संजय गांधी शासकीय निकुंज उद्यान है. जहां मौसंबी की खेती की गई है. यहां एक पौधे में 700 से 1 हजार तक फल लगे हैं, जिससे लोगों को मौसंबी का भरपूर स्वाद मिल रहा है. वहीं संजय निकुंज उद्यान के वर्षों की मेनहत रंग लाई है. अब मौसंबी की खेती से सरकार और लोगों को भी फायदा हो रहा है.

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पड़कीडीह नर्सरी में मौसंबी की खेती

बेमेतरा: मौसंबी उत्पादन के लिए महाराष्ट्र के पुणे, औरंगाबाद, जलगांव और अमरावती को बेहतर माना जाता है. देश के कई राज्यों में महाराष्ट्र से मौसंबी के फल भेजे जाते हैं, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में भी मौसंबी की खेती की जा रही है. बेमेतरा के पड़कीडीह उद्यान में मौसंबी की खेती की गई है. जहां एक पेड़ पर हजार से भी ज्यादा फल लगे हैं. इससे सरकार के साथ दूसरों को भी फायदा हो रहा है.

पड़कीडीह नर्सरी में मौसंबी की खेती

दरअसल, संजय निकुंज पड़कीडीह नर्सरी में मौसंबी की खेती की गई है. संजय गांधी शासकीय निकुंज उद्यान में मौसंबी के पेड़ फल से लदे हुए हैं. यह उद्यान सरकारी है. इससे अब शासन और ठेकेदार को भी लाभ मिल रहा है. शासकीय उद्यान पड़कीडीह में वर्ष 2007-2008 में मौसंबी के पौधे रोपे गए थे, जो इस वर्ष बंपर फल दे रहे हैं.

Mosambi cultivation in Parkidih nursery
बेमेतरा में मौसंबी की खेती

Special: घर की छत को ही बना दिया किचन गार्डन, उगाई जा रही 50 तरह की फल-सब्जियां

सहायक उद्यान अधिकारी शिशिर ठाकुर ने बताया कि नर्सरी में मौसंबी के निवसेलर किस्म के 27 पौधे हैं, जिसकी नीलामी शासन के प्रकिया के तहत 60 हजार 300 में की गई है. नर्सरी में मौसंबी का बंपर फसल हुआ है.

एक पौधे में लगे 700 से 1 हजार तक फल
मौसंबी के पौधों की देख-रेख करने वाले उद्यान के कर्मचारी कुलेश्वर मानिकपुरी और गवंतर साहू ने बताया कि हमारी वर्षों की मेहनत रंग लाई है. एक पौधे में कम से कम 700 और अधिकतम 1 हजार फल लगे हैं. पूरे पौधे फलों से लदे हुए हैं.

सतत देखरेख और अनुकूल वातावरण से हुई बंपर पैदावार
संजय निकुंज उद्यान में पौधों की देख रेख करने वाले कुलेश्वर मानिकपुरी ने बताया कि वर्ष 2007-2008 में मौसंबी की खेती शुरू की गई थी, जिसके सतत देखरेख और क्षेत्र के अनुकूल वातावरण से मनचाहा उत्पादन हुआ है. अभी सप्ताहभर में एक बार फंगस रोग के मद्देनजर फंगीसाइड दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है. साथ ही प्रशासन को भी इसका फायदा मिल रहा है.

बेमेतरा: मौसंबी उत्पादन के लिए महाराष्ट्र के पुणे, औरंगाबाद, जलगांव और अमरावती को बेहतर माना जाता है. देश के कई राज्यों में महाराष्ट्र से मौसंबी के फल भेजे जाते हैं, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में भी मौसंबी की खेती की जा रही है. बेमेतरा के पड़कीडीह उद्यान में मौसंबी की खेती की गई है. जहां एक पेड़ पर हजार से भी ज्यादा फल लगे हैं. इससे सरकार के साथ दूसरों को भी फायदा हो रहा है.

पड़कीडीह नर्सरी में मौसंबी की खेती

दरअसल, संजय निकुंज पड़कीडीह नर्सरी में मौसंबी की खेती की गई है. संजय गांधी शासकीय निकुंज उद्यान में मौसंबी के पेड़ फल से लदे हुए हैं. यह उद्यान सरकारी है. इससे अब शासन और ठेकेदार को भी लाभ मिल रहा है. शासकीय उद्यान पड़कीडीह में वर्ष 2007-2008 में मौसंबी के पौधे रोपे गए थे, जो इस वर्ष बंपर फल दे रहे हैं.

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बेमेतरा में मौसंबी की खेती

Special: घर की छत को ही बना दिया किचन गार्डन, उगाई जा रही 50 तरह की फल-सब्जियां

सहायक उद्यान अधिकारी शिशिर ठाकुर ने बताया कि नर्सरी में मौसंबी के निवसेलर किस्म के 27 पौधे हैं, जिसकी नीलामी शासन के प्रकिया के तहत 60 हजार 300 में की गई है. नर्सरी में मौसंबी का बंपर फसल हुआ है.

एक पौधे में लगे 700 से 1 हजार तक फल
मौसंबी के पौधों की देख-रेख करने वाले उद्यान के कर्मचारी कुलेश्वर मानिकपुरी और गवंतर साहू ने बताया कि हमारी वर्षों की मेहनत रंग लाई है. एक पौधे में कम से कम 700 और अधिकतम 1 हजार फल लगे हैं. पूरे पौधे फलों से लदे हुए हैं.

सतत देखरेख और अनुकूल वातावरण से हुई बंपर पैदावार
संजय निकुंज उद्यान में पौधों की देख रेख करने वाले कुलेश्वर मानिकपुरी ने बताया कि वर्ष 2007-2008 में मौसंबी की खेती शुरू की गई थी, जिसके सतत देखरेख और क्षेत्र के अनुकूल वातावरण से मनचाहा उत्पादन हुआ है. अभी सप्ताहभर में एक बार फंगस रोग के मद्देनजर फंगीसाइड दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है. साथ ही प्रशासन को भी इसका फायदा मिल रहा है.

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