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यहां बंजर भूमि पर 'सोना' उगा रहे हैं किसान, देश के लिए है नजीर

बेमेतरा जिले से सटे दुर्ग के धौराभाठा में फार्म हाउस के रूप में एक कृषि विश्वविद्यालय चल रहा है. जो आसपास के किसानों के साथ देश भर के किसानों के लिए एक नजीर बन चुका है.

farm house
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Published : May 18, 2019, 4:32 PM IST

Updated : May 18, 2019, 11:20 PM IST

बेमेतरा: इस देश की धरती और किसानों की मेहनत का ही कमाल है कि पथरीली जमीन पर भी यहां के किसान सोना उगा देते हैं. जिस एग्रो उद्योग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार आगे बढ़ रही है, उसे दस साल पहले ही बेमेतरा जिले से सटे दुर्ग के धौराभाठा में दो हरियाणवी किसान ने हकीकत में बदलकर दिखा दिया है. आज यहां फार्म हाउस नहीं एक कृषि विश्वविद्यालय चल रहा है. जो आसपास के किसानों के साथ देश भर के किसानों के लिए एक नजीर बन चुका है.

स्टोरी पैकेज.

आर्गेनिक फार्मिंग और बागवानी में बढ़ा है रुझान
जंगल और आदिवासियों की धरती छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में पानी की प्रचुरता तो है, लेकिन कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां पर पानी की भारी किल्लत है. जिसके बिना खेती को असंभव माना जाता है, लेकिन यहां कुछ ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने अपनी मेहनत से ऊबड़-खाबड़ और बंजर जमीन को भी हरा-भरा बना दिया है. बीते एक दशक से किसानों में आर्गेनिक फार्मिंग और बागवानी को लेकर तेजी से रुझान बढ़ा है. इसका एक उदाहरण बेमेतरा से सटे दुर्ग के धौराभाठा में देखने को मिला है. जहां हरियाणा से आये दो किसान अनिल शर्मा और वजीर सिंह लोहान ने 500 एकड़ में खेती कर यहां के लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है.

500 एकड़ में आधुनिक खेती
दुर्ग के धौराभाठा में पहले सिर्फ जंगल और ऊबर-खाबड़ जमीन ही दिखती थी, लेकिन यहीं पर 500 एकड़ ऐसी भी जमीन है. जहां पर अत्याधुनिक तरीके से अमरूद, सीताफल, नारियल, चीकू, मौसमी जैसी 18 से अधिक फलों की खेती हो रही है. ये खेत अब किसी प्रयोगशाला सा दिखता है, लेकिन ये खेत इतनी आसानी से नहीं बने, किसान अनिल शर्मा और वजीर सिंह की वर्षों की मेहनत से ये खेत उपजाऊ बन पाया है.

एक लाख 25 हजार पेड़ लगाए गए
'जहां चाह वहां राह' की तर्ज पर बंजर और बेकार जमीन पर भी आज 18 प्रकार के फल की पैदावार हो रही है. यहां कुल एक लाख 25 हजार पेड़ लगाए गए हैं. यहां उगाये गए सीताफल को देश के सबसे उन्नत किस्म के सीताफल का तमगा मिला है. जहां खेती से किसान अपने एक परिवार को पालने में असमर्थ हो रहे हैं, वहीं इस तरह की अत्याधुनिक खेती आसपास के आधा दर्जन गांवों के 300 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही है.

एक-एक बूंद पानी का होता है इस्तेमाल
ड्रीप एरिगेशन और वर्मी कम्पोस्ट से खेती ने यहां के लोगों को एक नया मुकाम दिया है. फार्म हाउस में पानी की कमी से निबटने के लिए 25 एकड़ में तालाब बनाया गया. वहीं वर्मी कम्पोस्ट के लिए गिर नस्ल की गाय भी यहां के किसान को समृद्ध बना रही है. पानी की एक बूंद भी व्यर्थ हो और पूरी तरह आर्गेनिक खेती के लिए यहां बारिश के पानी को तालाब में स्टोर किया जाता है. जिसके आसपास के कई गांवों का वाटर लेवल भी बढ़ा है.

बेमेतरा: इस देश की धरती और किसानों की मेहनत का ही कमाल है कि पथरीली जमीन पर भी यहां के किसान सोना उगा देते हैं. जिस एग्रो उद्योग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार आगे बढ़ रही है, उसे दस साल पहले ही बेमेतरा जिले से सटे दुर्ग के धौराभाठा में दो हरियाणवी किसान ने हकीकत में बदलकर दिखा दिया है. आज यहां फार्म हाउस नहीं एक कृषि विश्वविद्यालय चल रहा है. जो आसपास के किसानों के साथ देश भर के किसानों के लिए एक नजीर बन चुका है.

स्टोरी पैकेज.

आर्गेनिक फार्मिंग और बागवानी में बढ़ा है रुझान
जंगल और आदिवासियों की धरती छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में पानी की प्रचुरता तो है, लेकिन कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां पर पानी की भारी किल्लत है. जिसके बिना खेती को असंभव माना जाता है, लेकिन यहां कुछ ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने अपनी मेहनत से ऊबड़-खाबड़ और बंजर जमीन को भी हरा-भरा बना दिया है. बीते एक दशक से किसानों में आर्गेनिक फार्मिंग और बागवानी को लेकर तेजी से रुझान बढ़ा है. इसका एक उदाहरण बेमेतरा से सटे दुर्ग के धौराभाठा में देखने को मिला है. जहां हरियाणा से आये दो किसान अनिल शर्मा और वजीर सिंह लोहान ने 500 एकड़ में खेती कर यहां के लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है.

500 एकड़ में आधुनिक खेती
दुर्ग के धौराभाठा में पहले सिर्फ जंगल और ऊबर-खाबड़ जमीन ही दिखती थी, लेकिन यहीं पर 500 एकड़ ऐसी भी जमीन है. जहां पर अत्याधुनिक तरीके से अमरूद, सीताफल, नारियल, चीकू, मौसमी जैसी 18 से अधिक फलों की खेती हो रही है. ये खेत अब किसी प्रयोगशाला सा दिखता है, लेकिन ये खेत इतनी आसानी से नहीं बने, किसान अनिल शर्मा और वजीर सिंह की वर्षों की मेहनत से ये खेत उपजाऊ बन पाया है.

एक लाख 25 हजार पेड़ लगाए गए
'जहां चाह वहां राह' की तर्ज पर बंजर और बेकार जमीन पर भी आज 18 प्रकार के फल की पैदावार हो रही है. यहां कुल एक लाख 25 हजार पेड़ लगाए गए हैं. यहां उगाये गए सीताफल को देश के सबसे उन्नत किस्म के सीताफल का तमगा मिला है. जहां खेती से किसान अपने एक परिवार को पालने में असमर्थ हो रहे हैं, वहीं इस तरह की अत्याधुनिक खेती आसपास के आधा दर्जन गांवों के 300 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही है.

एक-एक बूंद पानी का होता है इस्तेमाल
ड्रीप एरिगेशन और वर्मी कम्पोस्ट से खेती ने यहां के लोगों को एक नया मुकाम दिया है. फार्म हाउस में पानी की कमी से निबटने के लिए 25 एकड़ में तालाब बनाया गया. वहीं वर्मी कम्पोस्ट के लिए गिर नस्ल की गाय भी यहां के किसान को समृद्ध बना रही है. पानी की एक बूंद भी व्यर्थ हो और पूरी तरह आर्गेनिक खेती के लिए यहां बारिश के पानी को तालाब में स्टोर किया जाता है. जिसके आसपास के कई गांवों का वाटर लेवल भी बढ़ा है.

Last Updated : May 18, 2019, 11:20 PM IST
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