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बेमेतरा: खस्ताहाल भवन में काम कर तंगहाली की जिंदगी जी रहे बुनकर - बेमेतरा बुनकरों की परेशानी

जिले की देवरबीजा और बीजाभाट में समितियों की ओर से पिछले 40 साल से कपड़ा बुनाई का काम किया जा रहा है. देवरबीजा समिति के बुनकर कारखाने में जहां एक पंखा तक मौजूद नहीं है, वहीं बीजाभाट में जर्जर दीवारों और छतों के बीच कारीगर काम करने मजबूर हैं.

जर्जर भवन में कपड़ा बुनता बुनकर
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Published : Oct 29, 2019, 7:57 PM IST

बेमेतरा: जिले में बुनाई का काम करने वाले बुनकर बदहाली और तंगहाली में जिंदगी के दिन काटने को मजबूर हैं. जहां एक ओर इन्हें मिलने वाला मेहंताने में पिछले सात साल के कोई इजाफा नहीं किया है, वहीं ये एक जर्जर भवन में काम करने को मजबूर हैं. भवन की हालत इतनी खस्ताहाल है कि, वो कभी भी गिर सकता है.

असुविधा और अभाव में कपड़ा बुनते बुनकर

रेशम को बेशकीमती कपड़ों में तब्दील करने का हुनर रखन वाले ये उस्ताद आज भी पुराने परंपरागत उपकरणों के सहारे कपड़ों की बुनाई करने मजबूर हैं, जिसके बदले में इन्हें हर रोज 100 से 120 रुपये की दर से मेहनताना नसीब होता है.

भवन में नहीं है पंखे की व्यवस्था
जिले की देवरबीजा और बीजाभाट में समितियों की ओर से पिछले 40 साल से कपड़ा बुनाई का काम किया जा रहा है. देवरबीजा समिति के बुनकर कारखाने में जहां एक पंखा तक मौजूद नहीं है, वहीं बीजाभाट में जर्जर दीवारों और छतों के बीच कारीगर काम करने मजबूर हैं. यहां भवन की मरम्मत के साथ आधुनिक मशीनों की है, जिससे बुनकर सहज और सरल तरीके से बुनाई का कार्य कर सकें.

नहीं बढ़ाई गई मजदूरी
जिले के श्री राम बुनकर समिति बीजाभाट को 30 वर्ष पहले 1 एकड़ भूखंड सरकार की ओर से मिला था, जिसमें 40 फीसदी स्थान में भवन निर्माण हुआ था, जो वक्त के साथ कमजोर होता गया और अब जर्जर हो चुका है. कारीगर अर्जुन देवांगन, बैसौहा देवांगन, सावित्री बाई और पार्वती देवांगन ने बताया मजदूरी की दर नहीं बढ़ाई गई है और हम पुरानी मजदूरी पर ही काम कर रहे हैं, महंगाई के इस समय में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

चार महीने तक दिया जाता है प्रशिक्षण
हथकरघा उद्योग में काम करने वाले मजदूरों को पहले चार महीने तक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके बाद 24 रुपये प्रति मीटर की दर से मजदूरी दी जाती है. बता दें कि एक मजदूर एक दिन में महज चार मीटर कपड़ा ही बना पाता है, जिसकी वजह से उसे दिन में 100 से 120 रुपये की ही मजदूरी मिल पाती है.

बुनकर द्रोपती बाई देवांगन ने बताया की 'उन्होंने 4 महीने के प्रशिक्षण के बाद कपड़ा बुनकर का काम शुरू किया है, जिससे उन्हें दिन में बतौर मजदूरी 100-120 रुपए तक मिल जाता'. उन्होंने कहा कि, 'हम चाहते है कि महंगाई के जमाने मे सरकार प्रति मीटर मजदूरी दर में बढ़ोतरी करे'.

पढ़ें- मुंबई नहीं छत्तीसगढ़िया कलाकारों की राज्योत्सव में रहेगी धूम

समिति के संचालक बाबूलाल देवांगन ने बताया कि 'बिल्डिंग मरम्मत के लिए 1 लाख 48 हजार रुपये का स्टीमेट बनाकर भेजा गया था जो स्वीकृत हो चुका है और जल्द ही निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जाएगा. अब देखना है कि कब सरकार इन बुनकरों की सुध लेगी और कब उनके अच्छे दिन वापस आएंगे.

बेमेतरा: जिले में बुनाई का काम करने वाले बुनकर बदहाली और तंगहाली में जिंदगी के दिन काटने को मजबूर हैं. जहां एक ओर इन्हें मिलने वाला मेहंताने में पिछले सात साल के कोई इजाफा नहीं किया है, वहीं ये एक जर्जर भवन में काम करने को मजबूर हैं. भवन की हालत इतनी खस्ताहाल है कि, वो कभी भी गिर सकता है.

असुविधा और अभाव में कपड़ा बुनते बुनकर

रेशम को बेशकीमती कपड़ों में तब्दील करने का हुनर रखन वाले ये उस्ताद आज भी पुराने परंपरागत उपकरणों के सहारे कपड़ों की बुनाई करने मजबूर हैं, जिसके बदले में इन्हें हर रोज 100 से 120 रुपये की दर से मेहनताना नसीब होता है.

भवन में नहीं है पंखे की व्यवस्था
जिले की देवरबीजा और बीजाभाट में समितियों की ओर से पिछले 40 साल से कपड़ा बुनाई का काम किया जा रहा है. देवरबीजा समिति के बुनकर कारखाने में जहां एक पंखा तक मौजूद नहीं है, वहीं बीजाभाट में जर्जर दीवारों और छतों के बीच कारीगर काम करने मजबूर हैं. यहां भवन की मरम्मत के साथ आधुनिक मशीनों की है, जिससे बुनकर सहज और सरल तरीके से बुनाई का कार्य कर सकें.

नहीं बढ़ाई गई मजदूरी
जिले के श्री राम बुनकर समिति बीजाभाट को 30 वर्ष पहले 1 एकड़ भूखंड सरकार की ओर से मिला था, जिसमें 40 फीसदी स्थान में भवन निर्माण हुआ था, जो वक्त के साथ कमजोर होता गया और अब जर्जर हो चुका है. कारीगर अर्जुन देवांगन, बैसौहा देवांगन, सावित्री बाई और पार्वती देवांगन ने बताया मजदूरी की दर नहीं बढ़ाई गई है और हम पुरानी मजदूरी पर ही काम कर रहे हैं, महंगाई के इस समय में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

चार महीने तक दिया जाता है प्रशिक्षण
हथकरघा उद्योग में काम करने वाले मजदूरों को पहले चार महीने तक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके बाद 24 रुपये प्रति मीटर की दर से मजदूरी दी जाती है. बता दें कि एक मजदूर एक दिन में महज चार मीटर कपड़ा ही बना पाता है, जिसकी वजह से उसे दिन में 100 से 120 रुपये की ही मजदूरी मिल पाती है.

बुनकर द्रोपती बाई देवांगन ने बताया की 'उन्होंने 4 महीने के प्रशिक्षण के बाद कपड़ा बुनकर का काम शुरू किया है, जिससे उन्हें दिन में बतौर मजदूरी 100-120 रुपए तक मिल जाता'. उन्होंने कहा कि, 'हम चाहते है कि महंगाई के जमाने मे सरकार प्रति मीटर मजदूरी दर में बढ़ोतरी करे'.

पढ़ें- मुंबई नहीं छत्तीसगढ़िया कलाकारों की राज्योत्सव में रहेगी धूम

समिति के संचालक बाबूलाल देवांगन ने बताया कि 'बिल्डिंग मरम्मत के लिए 1 लाख 48 हजार रुपये का स्टीमेट बनाकर भेजा गया था जो स्वीकृत हो चुका है और जल्द ही निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जाएगा. अब देखना है कि कब सरकार इन बुनकरों की सुध लेगी और कब उनके अच्छे दिन वापस आएंगे.

Intro:एंकर- जिले में कपड़ा बनाने वाले बुनकर कारीगीर आज भी पुराने उपकरण के सहारे कपड़ा बुनाई का कार्य कर रहे हैं 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी बुनाई की दर नहीं बढ़ाई गई है एवं महज 100 -120 रुपये रोजी के हिसाब से बुनाई के कार्य किए जा रहे हैं यह कारीगर पुराने जर्जर भवन में जान जोखिम में डालकर बुनाई का कार्य कर रहे हैं जिसकी शासन को कोई परवाह नहीं है।
बता दें कि जिले में 2 सरकारी बुनकर समिति अभी कार्यरत है देवरबीजा एवं बीजाभाट में समितियो द्वारा विगत 40 वर्षों से कपड़ा बुनाई का कार्य किया जा रहा है देवरबीजा समिति में जहां एक पंखा भी नहीं है वही बीजाभाट में जर्जर दीवारों एवं गिरती छतों के बीच कारीगिर काम करने मजबूर हैं यहां भवन की मरम्मत की जरूरत है एवं आधुनिक मशीन की आवश्यकता है जिससे बुनकर सहज और सरल तरीके से बुनाई का कार्य कर सकें।Body:जिले के श्री राम बुनकर समिति बीजाभाट को विगत 30 वर्ष पूर्व 1 एकड़ भूखंड सरकार की ओर से प्राप्त हुआ था जिसमें 40 फ़ीसदी स्थान में भवन निर्माण हुआ है अब 30 वर्ष बाद भवन की स्थिति जर्जर है और जर्जर भवन में ही कारगिर कपड़ा बुनाई के कार्य कर रहे हैं कारगिर अर्जुन देवांगन बैसौहा देवांगन सावित्रीबाई पार्वती देवांगन ने बताया मजदूरी की दर नहीं बढ़ाई गई है और हम पुराने मजदूरी पर ही कार्य कर रहे हैं जबकि महंगाई के इस समय में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है।
बता दे कि हथकरघा उद्योग में कार्य करने के पहले 4 माह उन्हें बकायदा प्रशिक्षण दिया जाता है जिसके बाद 24 प्रति मीटर कपड़ा बनाने पर दिए जाते हैं 1 दिन में बुनाई के पश्चात 4 मीटर तक के कपड़े बनाए जाते हैं यानी दिन भर मेहनत करने के बाद मजदूरों को 100 -120 ही मिल पाती है।Conclusion:बुनकर द्रोपती बाई देवांगन ने बताया की 4 महीने प्रशिक्षण के बाद कपड़ा बुनकर का काम शुरू की हूँ 100-120 रु तक मिल जाता है हम चाहते है कि महंगाई के जमाने मे सरकार प्रति मीटर मजदूरी दर में बढ़ोतरी करे।
समिति के संचालक बाबूलाल देवांगन ने बताया भवन बिल्डिंग मरम्मत के लिए 1लाख 48 हज़ार का स्टीमेट भेजा गया था जो स्वीकृत हो चुका है जल्द ही निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जाएगा।
बाईट-1-अर्जुन देवांगन बुनकर
बाईट-2-पार्वती देवांगन बुनकर
बाईट-3-,बाबूलाल देवांगन संचालक समिति
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