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Kanger Valley National Park: नेचुरल ब्यूटी से भरपूर है बस्तर का कांगेर वैली नेशनल पार्क, सुंदरता ऐसी की आप हो जाएंगे बस्तर के दीवाने !

home of hill myna बस्तर अपने आप में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र, बस्तर की संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य, झरने बस्तर को एक अलग पहचान देती है. ऐसे ही प्रकृति की सुंदरता को अपने अंदर समेटे हुए एक नेशनल पार्क से आपको रूबरू करवाते हैं. जिसे बस्तर में कांगेर वैली नेशनल पार्क कहा जाता है. जिसे करीब से निहारने के लिए भारत देश के अलावा विदेशों से भी हजारों की संख्या में पर्यटक प्रतिवर्ष खींचे चले आते हैं. bastar latest news

Kanger Valley National Park
बस्तर का कांगेर वैली नेशनल पार्क
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Published : Mar 12, 2023, 9:49 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: बस्तर का कांगेर वैली नेशनल पार्क बस्तर मुख्यालय जगदलपुर से महज 25 किलोमीटर की दूरी से शुरू हो जाता है. इस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी से पड़ा है. जो कि राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक बहती है. घने जंगलों से भरपूर नेशनल पार्क 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

1982 में मिला राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा: बस्तर के कांगेर घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में कई जलप्रपात, खूबसूरती को लेकर दफन गुफाएं, ऊंचे ऊंचे पहाड़, विशाल पेड़-पौधे, औषधि, जंगली फल फूल, मौसमी फल फूल, जंगली जानवर, विलुप्तप्राय प्रजाति, निवासी पक्षी, प्रवासी पक्षी और अन्य खूबसूरती पाई जाती है.

जलप्रपात और गुफाएं आकर्षण का केंद्र: इस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में बस्तर की जान कहा जाने वाला तीरथगढ़ जलप्रपात भी मौजूद है. जो 3 स्टेप से होकर गिरता है. लगभग 200 फीट की ऊंचाई से यह जलप्रपात दहाड़ते हुए नीचे गिरता है. इसके साथ ही गहरी कुटुमसर गुफा, कैलाश गुफा, दंडक गुफा, हरि गुफा और अन्य गुफाएं यहां मौजूद हैं. इस पार्क के पूर्वी हिस्से में रेतीले तट पर भैंसादरहा मौजूद है, जहां मगरमच्छ बहुत ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं.

पहाड़ी मैना का घर है कांगेर घाटी: इसके अलावा छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना भी इसी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है. इन दिनों इन पहाड़ी मैना की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इस उद्यान के कोलेंग के क्षेत्र में पहाड़ी मैना अक्सर देखे जाते हैं. पहाड़ी मैना मनुष्य की आवाज की हूबहू नकल करती है और आवाज निकालती है. यह एक प्रकार का हिल माइन (ग्रुकुला धर्मियोसा) है. जो मनुष्यों के आवाजों का अनुकरण करने में सक्षम हैं. साथ ही कांगेर घाटी में वनों का एक विशिष्ट मिश्रण है. जिसमें इमारती लकड़ी, सागौन, साल, टीक, बांस के पेड़ बहुतायत से पाया जाता है.

यह भी पढ़ें: world sparrow day 2023: आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व गौरैया दिवस, क्या है इसका महत्व


कांगेर घाटी की खासियत: कुछ समय पहले ही इस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में नारंगी चमगादड़, भेड़िया और पैंगोलिन देखने को मिला है. बस्तर का यह कांगेर वैली नेशनल पार्क वन्य जीव और प्रवासी तथा निवासी पक्षियों के सहवास के लिए अनुकूल माना जाता है. यही कारण है कि इस कांगेर वैली नेशनल पार्क में विलुप्तप्राय प्रजाति भी पाई जाती है.

सालभर लगा रहता है पर्यटकों का जमावड़ा: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को देखने के लिए सालभर पर्यटक हवाई मार्ग, रेलमार्ग और सड़क मार्ग से पहुंचते हैं. हालांकि मानसून के दौरान पार्क की सबसे बड़ी कुटुमसर गुफा को जून से नवंबर तक 6 महीने के लिए बंद किया जाता है. इस पार्क की सुंदरता को देखने के लिए पर्यटकों के लिए कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं

बस्तर: बस्तर का कांगेर वैली नेशनल पार्क बस्तर मुख्यालय जगदलपुर से महज 25 किलोमीटर की दूरी से शुरू हो जाता है. इस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी से पड़ा है. जो कि राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक बहती है. घने जंगलों से भरपूर नेशनल पार्क 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

1982 में मिला राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा: बस्तर के कांगेर घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में कई जलप्रपात, खूबसूरती को लेकर दफन गुफाएं, ऊंचे ऊंचे पहाड़, विशाल पेड़-पौधे, औषधि, जंगली फल फूल, मौसमी फल फूल, जंगली जानवर, विलुप्तप्राय प्रजाति, निवासी पक्षी, प्रवासी पक्षी और अन्य खूबसूरती पाई जाती है.

जलप्रपात और गुफाएं आकर्षण का केंद्र: इस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में बस्तर की जान कहा जाने वाला तीरथगढ़ जलप्रपात भी मौजूद है. जो 3 स्टेप से होकर गिरता है. लगभग 200 फीट की ऊंचाई से यह जलप्रपात दहाड़ते हुए नीचे गिरता है. इसके साथ ही गहरी कुटुमसर गुफा, कैलाश गुफा, दंडक गुफा, हरि गुफा और अन्य गुफाएं यहां मौजूद हैं. इस पार्क के पूर्वी हिस्से में रेतीले तट पर भैंसादरहा मौजूद है, जहां मगरमच्छ बहुत ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं.

पहाड़ी मैना का घर है कांगेर घाटी: इसके अलावा छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना भी इसी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है. इन दिनों इन पहाड़ी मैना की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इस उद्यान के कोलेंग के क्षेत्र में पहाड़ी मैना अक्सर देखे जाते हैं. पहाड़ी मैना मनुष्य की आवाज की हूबहू नकल करती है और आवाज निकालती है. यह एक प्रकार का हिल माइन (ग्रुकुला धर्मियोसा) है. जो मनुष्यों के आवाजों का अनुकरण करने में सक्षम हैं. साथ ही कांगेर घाटी में वनों का एक विशिष्ट मिश्रण है. जिसमें इमारती लकड़ी, सागौन, साल, टीक, बांस के पेड़ बहुतायत से पाया जाता है.

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कांगेर घाटी की खासियत: कुछ समय पहले ही इस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में नारंगी चमगादड़, भेड़िया और पैंगोलिन देखने को मिला है. बस्तर का यह कांगेर वैली नेशनल पार्क वन्य जीव और प्रवासी तथा निवासी पक्षियों के सहवास के लिए अनुकूल माना जाता है. यही कारण है कि इस कांगेर वैली नेशनल पार्क में विलुप्तप्राय प्रजाति भी पाई जाती है.

सालभर लगा रहता है पर्यटकों का जमावड़ा: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को देखने के लिए सालभर पर्यटक हवाई मार्ग, रेलमार्ग और सड़क मार्ग से पहुंचते हैं. हालांकि मानसून के दौरान पार्क की सबसे बड़ी कुटुमसर गुफा को जून से नवंबर तक 6 महीने के लिए बंद किया जाता है. इस पार्क की सुंदरता को देखने के लिए पर्यटकों के लिए कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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