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SPECIAL: गुलजार बस्तर में पसरा सन्नाटा, घाटे में हैं पर्यटन से जुडे़ व्यवसाय

अप्रैल महीने में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पर्यटन उद्योग को भी लॉकडाउन किया गया था, जिसे अब तक नहीं खोला गया है. इसका बुरा प्रभाव बस्तर के टूरिज्म पर भी देखने को मिल रहा है. पर्यटन स्थलों को सुरक्षा के लिहाज से अब भी बंद रखा गया है, केवल ऐतिहासिक इमारतों को ही खोला गया है. ऐसे में यहां के होटल और ट्रैवल्स व्यवसाय को भारी नुकसान हो रहा है.

Bastar tourism business
घाटे में हैं पर्यटन से जुडे़ व्यवसाय
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Published : Aug 31, 2020, 9:29 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने देशभर में लगभग सभी सेक्टर्स को प्रभावित किया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बस्तर पर्यटन का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है. अप्रैल माह में बस्तर जिले में स्थित चित्रकोट, तीरथगढ़, कांगेर वैली जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया था, जो अब तक शुरू नहीं हो सका है. पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, लॉकडाउन के बाद से विभाग को लाखों रुपए का घाटा हुआ है.

घाटे में हैं पर्यटन से जुडे़ व्यवसाय

पर्यटन के बंद होने से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. रिसॉर्ट, होटल और ट्रैवल्स से जुडे़ व्यवसायियों और फुटकर व्यापारियों को लाखों का नुकसान हुआ है. पर्यटन का क्षेत्र अब तक कोरोना के नुकसान से पूरी तरह उबर नहीं पाया है. इस सेक्टर को अब भी राहत का इंतजार है.

दरअसल देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात की खूबसूरती को देखने के लिए नए साल के शुरू होते ही दूरदराज से पहुंचे पर्यटकों की भीड़ लग जाती थी. बता दें कि देश के साथ-साथ विदेशों से भी बड़ी संख्या में सैलानी अपनी गर्मियों की छुट्टी मनाने बस्तर पहुंचते थे. यहां प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पर्यटन स्थलों और सुंदरता से भरे पर्यावरण का लुत्फ उठाते थे. जिससे पर्यटन व्यवसाय और इससे जुड़े कारोबार भी तेजी से फल-फूल रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से पिछले 5 महीनों से बस्तर के पर्यटन स्थलों को पूरी तरह से आमजनों के लिए बंद कर दिया गया है.

पढ़ें: SPECIAL: 15 साल बाद भी नहीं बना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, बढ़ा कोरोना संक्रमण का खतरा

12 महीने गुलजार रहने वाले पर्यटन स्थलों को आज सैलानियों का इंतजार

चित्रकोट और तीरथगढ़ का अनुपम सौंदर्य देखने के लिए साल के 12 महीने पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता था. आए दिन चहल-पहल से भरा होता था, लेकिन आज इन स्थानों पर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है. इस शांत माहौल को देखकर लगता है कि पर्यटन को आज पर्यटकों का इंतजार है, लेकिन इसके फिर से गुलजार होने में कितना वक्त है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है.

पर्यटकों पर आश्रित व्यापार ठप

कोरोना वायरस के मद्देनजर पर्यटन बंद कर दिए जाने से सबसे ज्यादा प्रभावित यहां के फुटकर व्यापारी हुए हैं. जिनका व्यापार यहां आने वाले पर्यटकों पर ही आश्रित है. पिछले 5 महीनों से उनका व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. आलम यह है कि वे केवल दो वक्त की रोटी के लिए ही पैसे बड़ी मुश्किल से जुटा पा रहे हैं. इस कोरोना काल से केवल फुटकर व्यापारी ही नहीं बल्कि चित्रकोट में बने प्राइवेट रिसॉर्ट में भी पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. रिसॉर्ट मालिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ शासन ने अनलॉक 4.0 को लेकर जारी की गाइडलाइन

होटल और ट्रैवल्स व्यवसाय को नुकसान

जगदलपुर के होटल और ट्रैवल्स व्यवसाय पर भी आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है. होटल व्यवसायी संजय जैन का कहना है कि सितंबर माह से ही बस्तर के पर्यटन स्थल सैलानियों से गुलजार रहते थे. इससे उनका होटल व्यवसाय भी काफी अच्छा चलता था, लेकिन यह पहली बार है जब कोरोना की वजह से पिछले 5 महीनों से उनके होटल में कोई भी पर्यटक नहीं पहुंचा है. लिहाजा उन्हें 90% का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

ट्रैवल्स एजेंसी के मालिक संतोष सिंह ने बताया कि जनवरी माह से ही उनके यहां बुकिंग शुरू हो जाती थी और दूसरे राज्य और विदेशों से आए पर्यटकों से उनका व्यापार अच्छा रहता था. उनका ट्रैवल्स बिजनेस काफी तरक्की कर रहा था, लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 5 महीनों से बस्तर में ट्रैवल्स व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है.

पढ़ें: कोरोना संकट के बीच जेईई और नीट परीक्षा के आयोजन से क्या है नफा-नुकसान ?

सरकार नहीं दे रही ध्यान

संजय जैन और संतोष सिंह ने बताया कि पर्यटन से जुडे़ और पूरी तरह घाटे में चल रहे उनके व्यवसाय को सरकार से कोई रियायत नहीं दी गई है, लिहाजा उन्हें टैक्स चुकाने के साथ अपने कर्मचारियों को भी तनख्वाह देनी पड़ रही है. वाहनों के बीमा का शुल्क भी बढ़ा दिया गया है. बिजली बिल माफ करने की अपील भी सरकार से की गई थी, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया है.

बस्तर: कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने देशभर में लगभग सभी सेक्टर्स को प्रभावित किया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बस्तर पर्यटन का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है. अप्रैल माह में बस्तर जिले में स्थित चित्रकोट, तीरथगढ़, कांगेर वैली जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया था, जो अब तक शुरू नहीं हो सका है. पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, लॉकडाउन के बाद से विभाग को लाखों रुपए का घाटा हुआ है.

घाटे में हैं पर्यटन से जुडे़ व्यवसाय

पर्यटन के बंद होने से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. रिसॉर्ट, होटल और ट्रैवल्स से जुडे़ व्यवसायियों और फुटकर व्यापारियों को लाखों का नुकसान हुआ है. पर्यटन का क्षेत्र अब तक कोरोना के नुकसान से पूरी तरह उबर नहीं पाया है. इस सेक्टर को अब भी राहत का इंतजार है.

दरअसल देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात की खूबसूरती को देखने के लिए नए साल के शुरू होते ही दूरदराज से पहुंचे पर्यटकों की भीड़ लग जाती थी. बता दें कि देश के साथ-साथ विदेशों से भी बड़ी संख्या में सैलानी अपनी गर्मियों की छुट्टी मनाने बस्तर पहुंचते थे. यहां प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पर्यटन स्थलों और सुंदरता से भरे पर्यावरण का लुत्फ उठाते थे. जिससे पर्यटन व्यवसाय और इससे जुड़े कारोबार भी तेजी से फल-फूल रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से पिछले 5 महीनों से बस्तर के पर्यटन स्थलों को पूरी तरह से आमजनों के लिए बंद कर दिया गया है.

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12 महीने गुलजार रहने वाले पर्यटन स्थलों को आज सैलानियों का इंतजार

चित्रकोट और तीरथगढ़ का अनुपम सौंदर्य देखने के लिए साल के 12 महीने पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता था. आए दिन चहल-पहल से भरा होता था, लेकिन आज इन स्थानों पर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है. इस शांत माहौल को देखकर लगता है कि पर्यटन को आज पर्यटकों का इंतजार है, लेकिन इसके फिर से गुलजार होने में कितना वक्त है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है.

पर्यटकों पर आश्रित व्यापार ठप

कोरोना वायरस के मद्देनजर पर्यटन बंद कर दिए जाने से सबसे ज्यादा प्रभावित यहां के फुटकर व्यापारी हुए हैं. जिनका व्यापार यहां आने वाले पर्यटकों पर ही आश्रित है. पिछले 5 महीनों से उनका व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. आलम यह है कि वे केवल दो वक्त की रोटी के लिए ही पैसे बड़ी मुश्किल से जुटा पा रहे हैं. इस कोरोना काल से केवल फुटकर व्यापारी ही नहीं बल्कि चित्रकोट में बने प्राइवेट रिसॉर्ट में भी पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. रिसॉर्ट मालिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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होटल और ट्रैवल्स व्यवसाय को नुकसान

जगदलपुर के होटल और ट्रैवल्स व्यवसाय पर भी आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है. होटल व्यवसायी संजय जैन का कहना है कि सितंबर माह से ही बस्तर के पर्यटन स्थल सैलानियों से गुलजार रहते थे. इससे उनका होटल व्यवसाय भी काफी अच्छा चलता था, लेकिन यह पहली बार है जब कोरोना की वजह से पिछले 5 महीनों से उनके होटल में कोई भी पर्यटक नहीं पहुंचा है. लिहाजा उन्हें 90% का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

ट्रैवल्स एजेंसी के मालिक संतोष सिंह ने बताया कि जनवरी माह से ही उनके यहां बुकिंग शुरू हो जाती थी और दूसरे राज्य और विदेशों से आए पर्यटकों से उनका व्यापार अच्छा रहता था. उनका ट्रैवल्स बिजनेस काफी तरक्की कर रहा था, लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 5 महीनों से बस्तर में ट्रैवल्स व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है.

पढ़ें: कोरोना संकट के बीच जेईई और नीट परीक्षा के आयोजन से क्या है नफा-नुकसान ?

सरकार नहीं दे रही ध्यान

संजय जैन और संतोष सिंह ने बताया कि पर्यटन से जुडे़ और पूरी तरह घाटे में चल रहे उनके व्यवसाय को सरकार से कोई रियायत नहीं दी गई है, लिहाजा उन्हें टैक्स चुकाने के साथ अपने कर्मचारियों को भी तनख्वाह देनी पड़ रही है. वाहनों के बीमा का शुल्क भी बढ़ा दिया गया है. बिजली बिल माफ करने की अपील भी सरकार से की गई थी, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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