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सूखने की कगार पर है छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा तांदुला जलाशय

पखवाड़े भर से बारिश नहीं होने से जलाशय खुद प्यासे हैं. अगर बारिश नहीं हुई तो सूखा तो पड़ेगा ही पेयजल एवं निस्तारी की समस्या भी गहरा जाएगी. बालोद जिले का सबसे बड़ा और प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय तांदुला जुलाई में ही पानी के लिए तरस रहा है.

तांदुला जलाशय
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Published : Jul 17, 2019, 12:08 PM IST

बालोद: पखवाड़े भर से बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरने से जिले के सबसे बड़े जलाशय तांदुला में केवल 15 फीट ही पानी रह गया है. इससे किसान और जिला प्रशासन दोनों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं. वर्तमान में जलाशय की रौनक पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर है.

सूखने की कगार पर है छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा तांदुला जलाशय


मौजूदा जलस्तर को देखते हुए फसलों की सिंचाई के लिए पानी देने के बारे में भी सोचा नहीं जा सकता, तो कृषि का अंदाजा लगाया जा सकता है. अगर कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई, तो कृषि के लिए जलाशय से पानी नहीं मिलेगा और फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी.
पेयजल के लिए चाहिए 33 फीट पानी
जल संसाधन विभाग के अनुसार पेयजल के लिए 33 फीट पानी जरूरी है, लेकिन 33 फीट से भी आधा पानी यहां रह गया है. बारिश नहीं होने से उमस और गर्मी तेजी से बढ़ रही है, जिससे जलाशय का जलस्तर कम होते चला जा रहा है. भविष्य में पेयजल की भी समस्या आ सकती है. विभाग ने बताया कि गत दिनों जो बारिश हुई थी, उससे महज 1 फीट जलस्तर का इज़ाफा हुआ था. वर्तमान में तांदुला जलाशय की स्थिति चिंताजनक है.
एक नजर तांदुला जलाशय पर
तांदुला जलाशय से दुर्ग और बेमेतरा जिले में पानी की सप्लाई होती है. इसका निर्माण सन् 1912 में अंग्रेजों ने कराया था. यहां 38.15 फीट जलभराव की क्षमता है. वर्तमान में 15 फीट की स्थिति में जलस्तर मौजूद है. जलाशय से 23001 हेक्टेयर कृषि जमीन की सिंचाई होती है. इसके साथ ही कुछ माह निस्तारित तालाबों को भरने के लिए भी पानी दिया जाता है. वहीं ग्रीष्मकालीन फसलों को पकाने के लिए भी खेतों को भरपूर पानी दिया गया था.
किसानों की बढ़ी चिंता
बारिश नहीं होने से खेत सूखने की कगार पर हैं. खेतों में दरारें पड़ गई हैं. एक-एक बूंद पानी के लिए फसल तरस रही है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे दिख रही हैं.

बालोद: पखवाड़े भर से बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरने से जिले के सबसे बड़े जलाशय तांदुला में केवल 15 फीट ही पानी रह गया है. इससे किसान और जिला प्रशासन दोनों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं. वर्तमान में जलाशय की रौनक पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर है.

सूखने की कगार पर है छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा तांदुला जलाशय


मौजूदा जलस्तर को देखते हुए फसलों की सिंचाई के लिए पानी देने के बारे में भी सोचा नहीं जा सकता, तो कृषि का अंदाजा लगाया जा सकता है. अगर कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई, तो कृषि के लिए जलाशय से पानी नहीं मिलेगा और फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी.
पेयजल के लिए चाहिए 33 फीट पानी
जल संसाधन विभाग के अनुसार पेयजल के लिए 33 फीट पानी जरूरी है, लेकिन 33 फीट से भी आधा पानी यहां रह गया है. बारिश नहीं होने से उमस और गर्मी तेजी से बढ़ रही है, जिससे जलाशय का जलस्तर कम होते चला जा रहा है. भविष्य में पेयजल की भी समस्या आ सकती है. विभाग ने बताया कि गत दिनों जो बारिश हुई थी, उससे महज 1 फीट जलस्तर का इज़ाफा हुआ था. वर्तमान में तांदुला जलाशय की स्थिति चिंताजनक है.
एक नजर तांदुला जलाशय पर
तांदुला जलाशय से दुर्ग और बेमेतरा जिले में पानी की सप्लाई होती है. इसका निर्माण सन् 1912 में अंग्रेजों ने कराया था. यहां 38.15 फीट जलभराव की क्षमता है. वर्तमान में 15 फीट की स्थिति में जलस्तर मौजूद है. जलाशय से 23001 हेक्टेयर कृषि जमीन की सिंचाई होती है. इसके साथ ही कुछ माह निस्तारित तालाबों को भरने के लिए भी पानी दिया जाता है. वहीं ग्रीष्मकालीन फसलों को पकाने के लिए भी खेतों को भरपूर पानी दिया गया था.
किसानों की बढ़ी चिंता
बारिश नहीं होने से खेत सूखने की कगार पर हैं. खेतों में दरारें पड़ गई हैं. एक-एक बूंद पानी के लिए फसल तरस रही है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे दिख रही हैं.

Intro:बालोद

एंकर - सावन लगने को है खेती का मुख्य सत्र चल रहा है पखवाड़े भर से बारिश नहीं जलाशय खुद प्यासे हैं अगर बारिश नही हुई तो सूखा तो पड़ेगा ही पेयजल एवं निस्तारी की समस्या भी आ सकती है बालोद जिले का सबसे बड़ा और प्रदेश का सबसे तीसरा सबसे बड़ा जलाशय तांदुला जुलाई माह में ही पानी को तरस रहा है तांदुला का जलस्तर गिरने से ना केवल बालोद बल्कि दुर्ग और बेमेतरा जिले के लोगों की भी चिंता बढ़ गई है क्योंकि तांदुला जीवनदायिनी जलाशय कहलाती है यहां से ही पानी पड़ोस जिलों में भेजा जाता है।




Body:वीओ - जुलाई का महीना आधा खत्म होने जा रहा है विगत पखवाड़े भर से बारिश नहीं हुई है जिसके कारण तांदुला जलाशय में केवल 15 फीट पानी शेष रह गया है और तो और इसके कारण जिगर जिलों में भी पानी सप्लाई प्रभावित हो सकती हैं वर्तमान में जलाशय की रौनक पूरी तरह चली गई है विभाग द्वारा इसके लिए भी चिंता प्रकट की जा रही है मौजूदा जलस्तर को देखते हुए फसल के लिए पानी देने के बारे में भी सोचा नहीं जा सकता तो फसलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर बारिश नहीं हुई तो जलाशयों से पानी नहीं दिया जाएगा और फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।

पेयजल के लिए चाहिए 33 फ़ीट पानी

जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पेयजल के लिए भी पानी देने के लिए 33 फीट पानी का होना जरूरी है परंतु 35 फीट से भी आधा पानी यहां रह गया है और तो और गर्मी के कारण तेजी से पानी का जलस्तर कम होता जा रहा है विभाग ने बताया कि विगत दिनों जो बारिश हुई थी उसमें महज 1 फीट जलस्तर का इजाफा हुआ था बाकी तांदुला जलाशय की स्थिति चिंताजनक है पेयजल की भी समस्या भविष्य में आ सकती है अगर तांदुला का जलस्तर कम रहता है तो आसपास के क्षेत्र का भी जलस्तर काफी कम हो जाता है यह भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है

एक नजर तांदुला पर

तांदुला जलाशय का निर्माण 1912 में अंग्रेजों द्वारा किया गया था यहां 38. 15 फीट जलभराव की छमता है वर्तमान में 15 फीट की स्थिति में जल है और 23001 हेक्टेयर कृषि जमीन पर तांदुला जलाशय से सिंचाई होता है इसके साथ ही 12 से तालाबों में तांदुला जलाशय से निस्तारी के लिए पानी दिया जाता है कुछ माह पूर्व निस्तारित तालाबों को भरने के लिए भी तांदुला से पानी छोड़ा गया था वही ग्रीष्म काल में भी खेतों को भरपूर पानी दिया गया था।


Conclusion:समस्या जला सके कम होने के साथ ही खत्म नहीं होती जलाशा के पानी कम होने से क्षेत्र का जलस्तर कम होता है प्रश्नों के लिए पानी नहीं दिया जा सकता और पेयजल के लिए भी नहीं दिया जा सकता आने वाले दिनों में अगर बारिश नहीं होती है तो जिले की स्थिति को चिंताजनक होगी ही साथ ही पड़ोसी जिलों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ सकता है अभी तक किसानों से पानी के लिए कोई मांग नहीं आई है अगर बारिश नहीं हुई तो क्षेत्र के किसान पानी की मांग लेकर अधिकारियों के समक्ष पहुंचने लग जाएंगे जिले के खेत सूखे की चपेट में हैं खेतों में दरारें पड़ गई हैं एक एक बूंद पानी के लिए हंसने तरस रही है भविष्य अंधेरा नजर आ रहा है किसानों के माथे पर भी चिंताएं स्पष्ट दिख रही है।

बाइट - सी एम मौरवी, एसडीओ तांदुला
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