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बालोद : चौखट पर दीप जलाकर सिंधी समाज ने किया पितृ मोक्ष तर्पण - Pitra Moksha Balod

सिंधी समाज ने 15 मुखी दीप जलाकर पितृ मोक्ष किया. प्रत्येक घरों के बाहर जलते हुए दीप के सामने बच्चों से लेकर बड़ों ने अपने पितृरों को वापस उनके घर भेजकर दीपदान के साथ ही पूर्वजों का पितृ मोक्ष किया.

Pitra Moksha celebrated in Balod
पितृ मोक्ष
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Published : Sep 18, 2020, 5:41 PM IST

बालोद : 15 दिवस के पितृपक्ष के बाद गुरुवार को पितृ मोक्ष किया गया. छत्तीसगढ़ में अलग-अलग समाज अपने-अपने ढंग से पितृ मोक्ष करते हैं. छत्तीसगढ़ के रहवासियों की ओर से घरों में पकवान बनाकर नदी नालों में तर्पण देकर ब्राह्मण भोज के माध्यम से पितृ मोक्ष किया जाता है. नगर के सिंधी समाज ने अपने-अपने घरों के सामने 15 मुखी दीप जलाकर पितृ मोक्ष किया. पितृमोक्ष अमावस्या के साथ गुरुवार को सोलह श्राद्ध का समापन हुआ. इसी के अगले दिन से अधिकमास भी शुरू हो जाएगा. नदी, तालाब और सरोवरों के घाटों पर लोग अपने पूर्वजों को तर्पण देकर विदाई की कामना की.

सिंधी समाज ने किया पितृ मोक्ष
बालोद नगर के सिंधी कॉलोनी में गुरुवार की शाम घरों के बाहर 15 मुखी दीप जलते नजर आए. प्रत्येक घरों के बाहर जलते हुए दीप के सामने बच्चों से लेकर बड़ों ने अपने पितृरों को वापस उनके घर भेजकर दीपदान के साथ ही पूर्वजों का पितृ मोक्ष किया. यह पकवाड़ा अपने पितरों के पूर्वजों को याद करने के लिए विशेष होता है. उनके सुख शांति के लिए यह पितृ पर्व मनाया जाता है, जो कि विशेष होता है. उनके सुख शांति के लिए यह पितृ पर्व मनाया जाता है.

पढ़ें : SPECIAL : शेल्टर होम में नहीं मिली जगह, आसमान-जमीन के बीच बना लिया 'आशियाना'

दीप जलाकर किया पितरों को याद
सिंधी समाज ने दीप जलाकर पितरों को याद किया. अपने घर की चौखट पर दीप जलाकर पितरों को याद करते हुए पितृ मोक्ष पितृ तर्पण करते हैं. सिंधी समाज के लोग पूरे पितृ मोक्ष करने घरों की चौखट पर पहुंचे. सिंधी समाज के लोगों ने बताया कि पूर्वजों के जमाने से यह परंपरा चली आ रही है.

बालोद : 15 दिवस के पितृपक्ष के बाद गुरुवार को पितृ मोक्ष किया गया. छत्तीसगढ़ में अलग-अलग समाज अपने-अपने ढंग से पितृ मोक्ष करते हैं. छत्तीसगढ़ के रहवासियों की ओर से घरों में पकवान बनाकर नदी नालों में तर्पण देकर ब्राह्मण भोज के माध्यम से पितृ मोक्ष किया जाता है. नगर के सिंधी समाज ने अपने-अपने घरों के सामने 15 मुखी दीप जलाकर पितृ मोक्ष किया. पितृमोक्ष अमावस्या के साथ गुरुवार को सोलह श्राद्ध का समापन हुआ. इसी के अगले दिन से अधिकमास भी शुरू हो जाएगा. नदी, तालाब और सरोवरों के घाटों पर लोग अपने पूर्वजों को तर्पण देकर विदाई की कामना की.

सिंधी समाज ने किया पितृ मोक्ष
बालोद नगर के सिंधी कॉलोनी में गुरुवार की शाम घरों के बाहर 15 मुखी दीप जलते नजर आए. प्रत्येक घरों के बाहर जलते हुए दीप के सामने बच्चों से लेकर बड़ों ने अपने पितृरों को वापस उनके घर भेजकर दीपदान के साथ ही पूर्वजों का पितृ मोक्ष किया. यह पकवाड़ा अपने पितरों के पूर्वजों को याद करने के लिए विशेष होता है. उनके सुख शांति के लिए यह पितृ पर्व मनाया जाता है, जो कि विशेष होता है. उनके सुख शांति के लिए यह पितृ पर्व मनाया जाता है.

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दीप जलाकर किया पितरों को याद
सिंधी समाज ने दीप जलाकर पितरों को याद किया. अपने घर की चौखट पर दीप जलाकर पितरों को याद करते हुए पितृ मोक्ष पितृ तर्पण करते हैं. सिंधी समाज के लोग पूरे पितृ मोक्ष करने घरों की चौखट पर पहुंचे. सिंधी समाज के लोगों ने बताया कि पूर्वजों के जमाने से यह परंपरा चली आ रही है.

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