बालोद: डौंडी नगर पंचायत में दो ऐसा वार्ड जहां पर प्रत्याशी निकाय चुनाव में खड़े तो होते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं. इसमें सभी वार्ड के लोग जीते हुए प्रत्याशी का भरपूर साथ देते हैं. माजरा सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन लोगों ने चुनाव बहिष्कार के लिए ये प्रक्रिया अपनाया है.
दरअसल, बालोद जिले के डौंडी नगर पंचायत के एक गांव उकारी को 2007 में डौंडी नगर पंचायत में शामिल कर दिया गया था. इसके बाद इस गांव से दो पंचों को पार्षद बना दिया गया, लेकिन इसकी प्रक्रिया ग्रामीणों को समझ नहीं आने के चलते उनका पूरा कार्यकाल बिना किसी काम के ही बीत गए. इसके बाद लोगों ने गांव में विकास कार्य न होने का आरोप लगाते हुए, इस तरह के चुनाव बहिष्कार का तरीका अपनाया है.
ग्राम पंचायत में जोड़ने की मांग
ग्रामीणों के मुताबिक नगर पंचायत से जुड़ने के बाद इस गांव के ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिलता है और न ही किसी योजना का लाभ उन्हें दिया जाता जाता है. ऊपर से नगर पंचायत से जुड़ने के बाद ग्रामीणों को अब टैक्स भी चुकाना पड़ रहा है. इससे नाराज ग्रामीण अब फिर से उकारी गांव को नगर पंचायत से हटाकर ग्राम पंचायत में जोड़ने की मांग कर रहे हैं.
किसी ने नहीं सुनी गुहार
लोगों ने बताया कि प्रशासन से लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को गांव को ग्राम पंचायत में शामिल करने के लिए चिट्ठी लिख चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन ने उनकी मांगों पर कभी ध्यान नहीं दिया.