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चुनाव बहिष्कार का नया तरीका, पहले लड़ते हैं चुनाव फिर दे देते हैं इस्तीफा

डौंडी नगर पंचायत के उकारी के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का नया तरीका अपनाया है. यहां सभी लोग मिलकर पहले पार्षद का चुनाव लड़वाते हैं, फिर चुने हुए पार्षद को इस्तीफा दिला देते हैं.

New way to boycott elections in balod
चुनाव बहिष्कार करने का नया तरीका
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Published : Dec 16, 2019, 2:59 PM IST

Updated : Dec 16, 2019, 3:32 PM IST

बालोद: डौंडी नगर पंचायत में दो ऐसा वार्ड जहां पर प्रत्याशी निकाय चुनाव में खड़े तो होते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं. इसमें सभी वार्ड के लोग जीते हुए प्रत्याशी का भरपूर साथ देते हैं. माजरा सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन लोगों ने चुनाव बहिष्कार के लिए ये प्रक्रिया अपनाया है.

चुनाव बहिष्कार का नया तरीका

दरअसल, बालोद जिले के डौंडी नगर पंचायत के एक गांव उकारी को 2007 में डौंडी नगर पंचायत में शामिल कर दिया गया था. इसके बाद इस गांव से दो पंचों को पार्षद बना दिया गया, लेकिन इसकी प्रक्रिया ग्रामीणों को समझ नहीं आने के चलते उनका पूरा कार्यकाल बिना किसी काम के ही बीत गए. इसके बाद लोगों ने गांव में विकास कार्य न होने का आरोप लगाते हुए, इस तरह के चुनाव बहिष्कार का तरीका अपनाया है.

ग्राम पंचायत में जोड़ने की मांग

ग्रामीणों के मुताबिक नगर पंचायत से जुड़ने के बाद इस गांव के ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिलता है और न ही किसी योजना का लाभ उन्हें दिया जाता जाता है. ऊपर से नगर पंचायत से जुड़ने के बाद ग्रामीणों को अब टैक्स भी चुकाना पड़ रहा है. इससे नाराज ग्रामीण अब फिर से उकारी गांव को नगर पंचायत से हटाकर ग्राम पंचायत में जोड़ने की मांग कर रहे हैं.

किसी ने नहीं सुनी गुहार

लोगों ने बताया कि प्रशासन से लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को गांव को ग्राम पंचायत में शामिल करने के लिए चिट्ठी लिख चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन ने उनकी मांगों पर कभी ध्यान नहीं दिया.

बालोद: डौंडी नगर पंचायत में दो ऐसा वार्ड जहां पर प्रत्याशी निकाय चुनाव में खड़े तो होते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं. इसमें सभी वार्ड के लोग जीते हुए प्रत्याशी का भरपूर साथ देते हैं. माजरा सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन लोगों ने चुनाव बहिष्कार के लिए ये प्रक्रिया अपनाया है.

चुनाव बहिष्कार का नया तरीका

दरअसल, बालोद जिले के डौंडी नगर पंचायत के एक गांव उकारी को 2007 में डौंडी नगर पंचायत में शामिल कर दिया गया था. इसके बाद इस गांव से दो पंचों को पार्षद बना दिया गया, लेकिन इसकी प्रक्रिया ग्रामीणों को समझ नहीं आने के चलते उनका पूरा कार्यकाल बिना किसी काम के ही बीत गए. इसके बाद लोगों ने गांव में विकास कार्य न होने का आरोप लगाते हुए, इस तरह के चुनाव बहिष्कार का तरीका अपनाया है.

ग्राम पंचायत में जोड़ने की मांग

ग्रामीणों के मुताबिक नगर पंचायत से जुड़ने के बाद इस गांव के ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिलता है और न ही किसी योजना का लाभ उन्हें दिया जाता जाता है. ऊपर से नगर पंचायत से जुड़ने के बाद ग्रामीणों को अब टैक्स भी चुकाना पड़ रहा है. इससे नाराज ग्रामीण अब फिर से उकारी गांव को नगर पंचायत से हटाकर ग्राम पंचायत में जोड़ने की मांग कर रहे हैं.

किसी ने नहीं सुनी गुहार

लोगों ने बताया कि प्रशासन से लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को गांव को ग्राम पंचायत में शामिल करने के लिए चिट्ठी लिख चुके हैं, लेकिन शासन-प्रशासन ने उनकी मांगों पर कभी ध्यान नहीं दिया.

Intro:बालोद

बालोद जिले के डौंडी नगर पंचायत अंतर्गत दो ऐसा वार्ड  जहां पर लोग निकाय चुनाव में प्रत्याशी तो  खड़े करते है .लेकिन चुनाव जीतने के बाद इन प्रत्याशियों को अपने पार्षद पद से इस्तीफा दिलवाकर इस निर्वाचन का विरोध भी प्रकट करते है यह माजरा सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लग रहा हो लेकिन इन लोगो ने चुनावी प्रक्रिया का विरोध प्रकट करने का जो यह तरीका अपनाया आखिर इसके पीछे के कारण क्या है आइए आपको बताते हैं।Body:वीओ - दरअसल बालोद जिले के डौंडी नगर पंचायत अंतर्गत एक गांव उकारी जिसे 2007 से शासन ने इस गांव को डौंडी नगर पंचायत में शामिल कर लिया और यहां पर पदस्थ दो पंचो को पार्षद बना दिया गया लेकिन इसकी प्रक्रिया ग्रामीणों को समझ नही आने के चलते यह कार्यकाल तो पूरा कर लिए लेकिन उसके बाद से आज तक इस गांव के ग्रामीण इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए प्रत्याशी को जिताकर उनसे इस्तीफा दिलवा  देते है मामले मे ग्रामीणों की माने तो नगर पंचायत में जुड़ने के बाद इस गांव के ग्रामीणों को न रोजगार मूलक कार्य का लाभ मिल पाता है और न ही किसी योजना का लाभ यही नही नगर पंचायत में जुड़ने के बाद ग्रामीणों निकाय के टैक्स का अलग भार इनपर पड़ रहा है जिसके चलते ग्रामीण अपने गांव को नगर पंचायत से हटाकर ग्राम पंचायत में जोड़ने स्थानीय प्रशासन सहित मुख्यमंत्री व राज्यपाल को चिट्ठी लिख चुके है लेकिन शासन प्रशासन द्वारा उनके मांगो पर ध्यान नही देने के चलते इस निकाय चुनाव को ग्रामीण अपने तरीके से विरोध प्रकट करते नजर आ रहे है
Conclusion:इन ग्रामीणों ने अपनी समस्या हर उस व्यक्ति तक पहुचाई जो इनकी समस्या को हल कर सकते थे मगर किसी ने इनकी नही सुनी यही वजह की डोंडी नगर पंचायत के ये दो वार्ड14- 15 हमेशा पार्षद के बिना ही रहते है 

बाइट 1 - ज्ञानसिंह मरकाम ग्रामीण

बाइट 2- देवनाथ मसीहा ग्रामीण
Last Updated : Dec 16, 2019, 3:32 PM IST
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