सरगुजा: कहते हैं कि "जहां चाह वहां राह". इसका जीता जागता उदाहरण सरगुजा की बेटी उवर्शी बघेल है. उवर्शी को लोग बचपन में उलाहना देते थे कि पढ़ती नहीं है, खेलने पर ज्यादा ध्यान देती है. अब उसी खेल ने उर्वशी की जिन्दगी ही बदल दी है. 3 साल की उम्र से उर्वशी बास्केटबॉल खेलते हुए 4 बार नेशनल गेम में छत्तीसगढ़ बास्केटबॉल टीम की कप्तानी की. 2 गोल्ड, 1 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल जीते.
आइए आज हम आपको बताते हैं कहानी उर्वशी के संघर्ष की...
मां के मेहनत को उर्वशी ने किया साकार: उर्वशी बघेल सरगुजा की रहने वाली है. इसके पिता की मौत हो चुकी थी. अकेली मां 3 बेटियों के साथ एक बेटे की परवरिश कर रही थी. तब समाज के लोग इनको पूछते भी नहीं थे. कोई इनके घर नहीं आता जाता था.पति की मौत के बाद अकेली औरत ने बच्चों को किसी तरह पाला. आज इस बेटी ने मां के मेहनत को साकार कर दिया. जिस खेल की वजह से उसे लोग उलाहना देते थे, वही खेल उसके सफलता का कारण बन गया.
जो देते थे उलाहना, वहीं करते हैं तारीफ: दरअसल, 3 साल की उम्र से उर्वशी बास्केटबॉल खेल रही है.उसने 4 बार नेशनल गेम में छत्तीसगढ़ बास्केटबॉल टीम की कप्तानी की. 2 गोल्ड मेडल, 1 सिल्वर मेडल और 4 ब्रॉन्ज मेडल जीते. 19 साल की उर्वशी को अच्छे प्रदर्शन के कारण रेलवे नौकरी दे दी है. अब उसके परिवार को उसके खेल पर नाज है. अब लोग भी घर आने जाने लगे हैं. उलाहना देने में बजाय लोग ऊर्वशी की तारीफ कर रहे हैं.
क्या कहती है उर्वशी: उर्वशी से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उर्वशी ने बताया कि, "कभी सोचा नहीं था. बचपन में लोग कहते थे, पढ़ाई से ज्यादा खेलने पर ध्यान देती है. हमारे कोच सर ने मदद की है. हर समय वो हमारी हेल्प करते थे. शुरुआत में संसाधनों की कमी को लेकर दिक्कतें होती थी. मैदान की सुविधा न होने से परेशानी होती थी. लेकिन कोच सर ने हर मोड़ पर हेल्प किया है.रेलवे ने नौकरी दी है. मैंने 2 गोल्ड मेडल, 1 सिल्वर मेडल और 4 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं.
पिता की मौत के बाद अकेले इन बच्चों को पालना बड़ा मुश्किल था. 5 हजार की पेंशन में ही गुजारा करना पड़ता था. काफी दिक्कत होती थी. अब जाकर सब ठीक हुआ. अब लोग भी घर आते हैं. पहले तो कोई आता-जाता भी नहीं था. कोच राजेश सिंह ने काफी मदद की है. उनकी मदद से ही उर्वशी इस मुकाम पर पहुंची है. -सुमिला देवी, उर्वशी की मां
बता दें कि उर्वशी अब साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे बिलासपुर में जॉब करती है. उसे ग्रुप सी में टेक्नीशियन के पद पर साल 2022 में नियुक्त किया गया है.रेलवे की टीम से उसने ऑल इंडिया इंटर रेलवे बास्केटबॉल चैंपियनशिप के 2 टूर्नामेंट भी खेले हैं. अच्छी सैलरी और बेहतर संसाधनों ने उर्वशी और उसके परिवार का जीवन बेहतर बना दिया है. वहीं, पूरे क्षेत्र के लोग उर्वशी के सराहना कर रहे हैं.