अंबिकापुर: देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. बाजारों में नोताओं की चुनावी शोरगुल भी शुरू हो चुका है, लेकिन इन सबके बीच बैनर-पोस्टर का क्रेज कम होते दिख रहा है.
एक दौर था जब देश में आम चुनाव के दौरान शहर-गांव की गलियां बैनरों-पोस्टरों से पटी रहती थी. चुनाव आते ही प्रिंटिंग प्रेस में पोस्टर्स और होर्डिंग्स की छपाई महीनों पहले से ही शुरू हो जाती थी, लेकिन इंटरनेट और सोशल साइट्स के चलन में आने से प्रिंटिंग प्रेस के कारोबार में भारी गिरावट आई है. प्रत्याशी अब बैनर-पोस्टर कम ही छपाई करवाते हैं. इससे प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.
सोशल मीडिया की वजह से पड़ा असर
डिजिटल युग में लोग अपना ज्यादातर समय टेलीविजन और मोबाइल के सामने बिता रहे हैं. गांव हो या शहर हर जगह संचार क्रांति की होड़ मची हुई है. ऐसे में प्रचार प्रसार का बेहतर जरिया सोशल मीडिया बन चुका है. इसलिए राजनीतिक चुनाव प्रचार के लिए बैनर और पोस्टर लगाने के बजाय अब सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी सोशल मीडिया पर ज्यादा प्रचार-प्रसार पर विश्वास कर रहे हैं.
हर दल कर रहे प्रचार-प्रसार का दावा
फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर हर प्लेटफार्म पर जमकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसके लिए बकायदा सभी पार्टियों ने आईटी सेल बना रखा है. पार्टी के प्रत्याशियों के हर हलचल और दौरे को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. हर पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है.
प्रिंटिंग प्रेस के संचालक नौशाद अली बताते हैं, 'जब से डिजिटल इंडिया और संचार क्रांति का दौर शुरू हुआ है, लोग प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. जन्मदिन हो या शादी प्रचार-प्रसार का माध्यम सोशल मीडिया बन गया है. ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टी अपने पार्टी का प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं. इस कारण प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार लगभग न के बराबर हो गया है.'