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इंटरनेट ने उड़ाई प्रिंटिंग प्रेस संचालकों की नींद, रोजी-रोटी का संकट

एक दशक पहले तक चुनाव में प्रिंटिंग प्रेस का जलवा रहता था. चुनाव आते ही प्रिंटिंग प्रेस में पोस्टर्स और होर्डिंग्स की छपाई महीनों पहले से ही शुरू हो जाती थी, लेकिन इंटरनेट और सोशल साइट्स के चलन में आने से प्रिंटिंग प्रेस के कारोबार में भारी गिरावट आई है. प्रत्याशी अब बैनर-पोस्टर कम ही छपाई करवाते हैं. इससे प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.

प्रिंटिंग प्रेस
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Published : Apr 12, 2019, 8:34 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अंबिकापुर: देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. बाजारों में नोताओं की चुनावी शोरगुल भी शुरू हो चुका है, लेकिन इन सबके बीच बैनर-पोस्टर का क्रेज कम होते दिख रहा है.

एक दौर था जब देश में आम चुनाव के दौरान शहर-गांव की गलियां बैनरों-पोस्टरों से पटी रहती थी. चुनाव आते ही प्रिंटिंग प्रेस में पोस्टर्स और होर्डिंग्स की छपाई महीनों पहले से ही शुरू हो जाती थी, लेकिन इंटरनेट और सोशल साइट्स के चलन में आने से प्रिंटिंग प्रेस के कारोबार में भारी गिरावट आई है. प्रत्याशी अब बैनर-पोस्टर कम ही छपाई करवाते हैं. इससे प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.

सोशल मीडिया की वजह से पड़ा असर

डिजिटल युग में लोग अपना ज्यादातर समय टेलीविजन और मोबाइल के सामने बिता रहे हैं. गांव हो या शहर हर जगह संचार क्रांति की होड़ मची हुई है. ऐसे में प्रचार प्रसार का बेहतर जरिया सोशल मीडिया बन चुका है. इसलिए राजनीतिक चुनाव प्रचार के लिए बैनर और पोस्टर लगाने के बजाय अब सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी सोशल मीडिया पर ज्यादा प्रचार-प्रसार पर विश्वास कर रहे हैं.

हर दल कर रहे प्रचार-प्रसार का दावा

फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर हर प्लेटफार्म पर जमकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसके लिए बकायदा सभी पार्टियों ने आईटी सेल बना रखा है. पार्टी के प्रत्याशियों के हर हलचल और दौरे को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. हर पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है.

प्रिंटिंग प्रेस के संचालक नौशाद अली बताते हैं, 'जब से डिजिटल इंडिया और संचार क्रांति का दौर शुरू हुआ है, लोग प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. जन्मदिन हो या शादी प्रचार-प्रसार का माध्यम सोशल मीडिया बन गया है. ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टी अपने पार्टी का प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं. इस कारण प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार लगभग न के बराबर हो गया है.'

अंबिकापुर: देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. बाजारों में नोताओं की चुनावी शोरगुल भी शुरू हो चुका है, लेकिन इन सबके बीच बैनर-पोस्टर का क्रेज कम होते दिख रहा है.

एक दौर था जब देश में आम चुनाव के दौरान शहर-गांव की गलियां बैनरों-पोस्टरों से पटी रहती थी. चुनाव आते ही प्रिंटिंग प्रेस में पोस्टर्स और होर्डिंग्स की छपाई महीनों पहले से ही शुरू हो जाती थी, लेकिन इंटरनेट और सोशल साइट्स के चलन में आने से प्रिंटिंग प्रेस के कारोबार में भारी गिरावट आई है. प्रत्याशी अब बैनर-पोस्टर कम ही छपाई करवाते हैं. इससे प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.

सोशल मीडिया की वजह से पड़ा असर

डिजिटल युग में लोग अपना ज्यादातर समय टेलीविजन और मोबाइल के सामने बिता रहे हैं. गांव हो या शहर हर जगह संचार क्रांति की होड़ मची हुई है. ऐसे में प्रचार प्रसार का बेहतर जरिया सोशल मीडिया बन चुका है. इसलिए राजनीतिक चुनाव प्रचार के लिए बैनर और पोस्टर लगाने के बजाय अब सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी सोशल मीडिया पर ज्यादा प्रचार-प्रसार पर विश्वास कर रहे हैं.

हर दल कर रहे प्रचार-प्रसार का दावा

फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर हर प्लेटफार्म पर जमकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसके लिए बकायदा सभी पार्टियों ने आईटी सेल बना रखा है. पार्टी के प्रत्याशियों के हर हलचल और दौरे को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. हर पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है.

प्रिंटिंग प्रेस के संचालक नौशाद अली बताते हैं, 'जब से डिजिटल इंडिया और संचार क्रांति का दौर शुरू हुआ है, लोग प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. जन्मदिन हो या शादी प्रचार-प्रसार का माध्यम सोशल मीडिया बन गया है. ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टी अपने पार्टी का प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं. इस कारण प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार लगभग न के बराबर हो गया है.'

Intro:अम्बिकापुर- लोक सभा का चुनाव का बिगुल बज चुका है ,लोक सभा का चुनाव सात चरणों मे सम्पन्न होंगे , एक दशक पहले की अगर बात करें तो चुनाव प्रचार के लिए प्रिंटिंग प्रेस कितना महत्वपूर्ण था चुनाव आते ही प्रिंटिंग प्रेस में पोस्टरों और हार्डिंग की छपाई एक महीने पहले से शुरू हो जाती थी सभी पार्टियां चुनाव प्रचार के लिए अपने अपने चुनाव चिन्ह के साथ पोस्टर बैनर छपवाने में लग जाते थे ,लेकिन अब तो प्रिंटिंग प्रेस के कारोबार में एकदम गिरावट आ गई है प्रत्यासी पोस्टर बैनर की छपाई के लिए बहुत ही कम आ रहे है ।

दरअसल संचार युग में जहां अपना ज्यादातर समय लोग टेलीविजन और मोबाइल के जरिए बिता रहे हैं हर हाथ में मोबाइल हो चुका है गांव हो या शहर हर जगह संचार क्रांति की होड़ मची हुई है वैसे में प्रचार प्रसार का बेहतर जरिया सोशल मीडिया हो चुका है इसलिए राजनीतिक चुनाव प्रचार के लिए बैनर और पोस्टर लगाने के बजाय सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी सोशल मीडिया पर ज्यादा प्रचार प्रसार पर विश्वास कर रहे हैं ,चाहे फेसबुक , व्हाट्सएप हो या ट्विटर हो जमकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है , इसके लिए बकायदा आईटी सेल बनाया गया है जिससे पार्टियों के प्रत्याशी के हर हलचल दौरा को लोगों तक परोसा जा रहा है और हर पार्टी अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं,, हालांकि चुनाव आयोग की माने तो इस तरह के प्रचार प्रसार में नजर बनाए हुई है।

प्रिंटिंग प्रेस के संचालक नौशाद अली का कहना है कि जब से डिजिटल इंडिया और संचार क्रांति का दौर शुरू हुआ है और हर हाथ मे जब से मोबाइल हो गया है , लोक प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया ,फेसबुक , टि्वटर जैसे चीजों से कर रहे हैं जन्मदिन हो या शादी प्रचार प्रसार का माध्यम सोशल मीडिया हो गया है, ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टी अपने पार्टी का प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं जिसके कारण प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार लगभग न के बराबर हो गया है।


बाईट 01- नौशाद अली( प्रिंटिंग प्रेस संचालक)




Body:110419_SURGUJA_CHUNAW_SAMGRI


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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