सरगुजा: कोरोना संक्रमण के बढ़ते केसों को देखते हुए सरगुजा प्रशासन मुस्तैद नजर आ रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर के लिए प्रशासन अलर्ट मोड पर है. जिला प्रशासन ने इससे जुड़ी सभी तैयारियां शुरू कर दी है.
कलेक्टर ने इस बाबत अधिकारियों की एक बैठक ली. जिसमे कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सभी अस्पतालों में बेड और मानव संसाधन की क्षमता को दोगुना करने के निर्देश दिए गए हैं. जिससे की तीसरी लहर में प्रभावित होने वाले बच्चों के इलाज के लिए बेड सहित जरूरी संसाधन उपलब्ध हो सके.
बच्चों के इलाज के लिए कैसे हैं इंतजाम ?
कलेक्टर ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक और प्लांट लगाया जाएगा. उन्होंने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोविड वार्ड में बच्चों के लिए ऑक्सीजन बेड और ICU बेड बढ़ाने के भी निर्देश दिए. इसके साथ ही उन्होंने सभी निजी अस्पतालों को भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने या एलएमओ टैंकर की व्यवस्था करने को कहा है. शहर के गंगापुर स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एकेडमिक ब्लॉक में कोविड मरीजों के लिए करीब 400 अतिरिक्त बेड का इंतजाम किया जाएगा. इसके लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दे दिए गए हैं. कलेक्टर ने कोविड इलाज के लिए चयनित किए गए सभी अस्पतालों में कम से कम 30-30 ऑक्सीजन बेड के साथ 10-10 ICU बेड बच्चों के लिए आरक्षित करने की बात कही है. इस बाबत कलेक्टर ने जिम्मेदार अधिकारियों को व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं.
महिला मरीजों के लिए कैसी हैं व्यवस्थाएं ?
कलेक्टर ने कहा कि निजी अस्पतालों के अलावा मैटरनिटी अस्पतालों में भी अब कोरोना संक्रमित गर्भवती महिला की डिलीवरी होगी. उन्होंने कहा कि अब निजी अस्पताल या मैटरनिटी अस्पताल गर्भवती महिला की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर सरकारी अस्पताल में रेफर नहीं कर सकेंगे. उन्हें अपने अस्पताल में ही महिला मरीज का इलाज करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जब तक गर्भवती महिला कोविड पॉजिटिव नहीं थी, तब तक निजी अस्पताल उसका इलाज करती रही. लेकिन जैसे ही वह पॉजिटिव आ गई तब उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया. इस तरह का कदम निजी अस्पताल अब नहीं उठा सकते. संबंधित अस्पतालों को रेफर करने की वजह बतानी होगी.
बेड अलॉटमेंट का क्या है सिस्टम ?
कलेक्टर ने शासकीय और निजी कोविड अस्पतालों में बेड अलॉटमेंट को पारदर्शी बनाने के लिए मेडिकल कॉलेज में सेंट्रलाइज सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि कोई भी कोविड मरीज सीधे किसी भी अस्पताल में भर्ती नहीं होगा. बल्कि उसे पहले मेडिकल कॉलेज आना होगा और यहां से उसकी स्थिति के मुताबिक ICU ऑक्सीजन बेड जिस संस्थान में उपलब्ध होगा, उसे अलॉट किया जाएगा. जिससे पूरे संस्थान में बेड की वास्तविक स्थिति स्पष्ट रहे.
मरीजों को ऑक्सीमीटर कहां से मिलेगा ?
कलेक्टर ने कुछ जरूरी उपकरणों और दवाईयों के अचानक मेडिकल स्टोर से गायब होने और ज्यादा कीमत पर बेचने की शिकायत को गंभीरता से लिया है. उन्होंने इस केस में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारिंयो को फटकार लगाई. अधिकारियों को आदेश देते हुए कलेक्टर ने सभी मेडिकल दुकानों से पल्स ऑक्सीमीटर कलेक्ट कर रेडक्रॉस दफ्तर में जमा कराने को कहा है. रेडक्रॉस उसे जन सामान्य को निर्धारित दर पर बेचकर संबंधित मेडिकल स्टोर को राशि देंगे. उन्होंने कहा कि जो मेडिकल स्टोर उपकरण या दवाई स्टोर कर ज्यादा दर पर बेच रहे हैं, उन पर कार्रवाई होगी. इस तरह जिले में सभी मरीजों को ऑक्सीमीटर रेड क्रॉस दफ्तर से सामान्य दर पर मिल सकेगा.
कलेक्टर ने अधिकारियों से क्या कहा ?
कलेक्टर संजीव कुमार झा ने कहा कि 'कोरोना की तीसरी लहर से पहले हमारे पास दो महीने का समय है. इस दो महीने के भीतर अस्पताल को अपनी क्षमता का विस्तार करना है. इसमें सिविल वर्क से लेकर मानव संसाधन से जुड़े उपकरण भी शामिल हैं.' उन्होंने कहा कि 'सभी अस्पताल स्वयं आकलन करें कि उन्हें अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए क्या उपाय करना है. मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए. अब तक के इलाज में यदि कोई गलती और चूक हुई है तो उसको न दोहराया जाए. क्योंकि यह जीवन मौत का सवाल है.
कलेक्टर ने कोविड संबधित हेल्प डेस्क को स्ट्रीमलाइन कर बेसिक प्रोटोकॉल को विकसित करने की बात ही है. उन्होंने अस्पतालों को जरूरी उपकरण के स्टॉक की निगरानी करने और उसे पूरा करने का निर्देश दिया है'