सरगुजा : रंगों का त्योहार होली की धूम हर बाजार में देखने को मिल रही है. इस बीच सरगुजा में भी रंगों का बाजार सज चुका है. रंगों के बाजार के साथ-साथ सरगुजा में मटन और चिकन का मार्केट भी गुलजार है. होली के त्योहार में मटन-चिकन की बिक्री भी काफी बढ़ जाती है. यहां होली के दिन घर आने वाले अतिथियों का स्वागत स्थानीय पकवान पुआ, धुसका और चिकन या मटन से किया जाता है. लगभग सभी घरों में इस दौरान खाने में चिकन या मटन बनाया जाता है. यही कारण है की सरगुजा में होली के बाजार में रंगों के अलावा मटन मार्केट की भी रौनक बढ़ जाती है.
होली में होगा अधिक उछाला
ईटीवी भारत ने अम्बिकापुर के मैरिन ड्राइव तालाब के सामने स्थित मटन मार्केट में जाकर यह जाना कि इस बार होली में खपत कितनी बढ़ गई है. चिकन और मटन के दाम कितने हैं? ऐसे में पता चला कि होली के 4 दिन पहले ही चिकन का दाम काफी तेजी से बढ़ चुका है. होली के दिन इसके और बढ़ने की संभावना है. अनुमान है कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बिक्री में तेज उछाल रहेगा.
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रेट उपर के व्यापारी करते हैं तय
इस दौरान मुर्गा के व्यवसायी संतोष ने बताया कि मुर्गे का दाम बहुत बढ़ गया है. होली आने के पहले हर वर्ष रेट बढ़ जाता है. ये रेट ऊपर के थोक व्यापारी ही बढ़ा देते हैं. वर्तमान में एक किलो चिकन 220 रुपए में मिल रहा है, जो होली तक 250 रुपए किलो तक हो सकता है. जबकि आम दिनों में चिकन का रेट 150 रुपए किलो सबसे अधिक माना जाता है.
वेस्टेज की नहीं होती बिक्री
इधर, बकरा व्यवसायी अमित बताते हैं कि बकरे का मीट 600 रुपए किलो है, लेकिन होली में ये 700 रुपए किलो हो जाता है. इस समय बकरे भी महंगे मिलते हैं. दूसरे बकरा व्यवसायी ने बताया कि आम दिनों में बकरे के शरीर से निकलने वाला वेस्टेज भी बिक जाता है, लेकिन होली के समय कोई वेस्टेज नहीं खरीदता. भीड़ भी अधिक होती है, जिस वजह से वेस्टेज को फेंकना पड़ता है. ऐसे में वेस्टेज से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये मटन का दाम बढ़ाना पड़ता है.