नई दिल्ली: महा विकास अघाड़ी (MVA) महाराष्ट्र की हर एक विधानसभा सीट पर वोटर्स के बीच एक-एक लाख गारंटी कार्ड वितरित करेगा. एमवीए का मानना है कि 6 नवंबर को जारी की गई पांच गारंटियां 20 नवंबर को होने वाले महत्वपूर्ण चुनाव को विपक्षी गठबंधन के पक्ष में मोड़ सकती हैं. ठीक उसी तरह जैसे कांग्रेस को कर्नाटक और तेलंगाना में सामाजिक कल्याण गारंटी से लाभ मिला था. हालांकि, राज्य के मतदाताओं को इसके बारे में समझाने की जरूरत है.
इस संबंध में महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरण सिंह सपरा ने ईटीवी भारत से कहा, "हमने महाराष्ट्र के लिए पांच गारंटी की घोषणा की है, लेकिन हमें वोटर्स तक इसका मैसेज ले जाने की जरूरत है. यह एक बड़े अभियान के जरिए किया जाएगा, जिसके तहत हमारे गठबंधन के कार्यकर्ता सभी 288 विधानसभा सीटों पर डोर-टू-डोर अभियान चलाएंगे और वोटर्स को 1 लाख से अधिक गारंटी कार्ड वितरित करेंगे."
चुनाव परिणाम पर होगा असर
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस को पहले कर्नाटक और तेलंगाना में इसी तरह की गारंटी का फायदा मिला था. अगर यह काम अच्छी तरह से किया जाता है, तो इसका महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ेगा.
वहीं, महाराष्ट्र के लिए एआईसीसी पर्यवेक्षक अविनाश पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि इससे मतदाताओं को पता चल जाएगा कि हम भविष्य में क्या करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा, "सभी 288 सीटों पर एमवीए की समन्वय समितियां गठित की गई हैं और वे लोगों तक पहुंच बनाने का काम करेंगी. वे चुनाव प्रबंधन के अन्य पहलुओं में भी योगदान देंगी."
पांडे ने कहा, "इससे भाजपा द्वारा हमारे वादों के खिलाफ किए जा रहे सभी झूठे प्रचार का पर्दाफाश हो जाएगा. वह हमारे घोषणापत्रों की नकल करते हैं, लेकिन हमारी गारंटी को फ्रीबीज कहते हैं."
कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, मतदाताओं को समझाने में सबसे बड़ी समस्या यह है कि क्या वादे पूरे किए जाएंगे या सिर्फ कागजों पर ही रह जाएंगे. इस मुद्दे से निपटने के लिए कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सुखविंदर सुखू, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिव कुमार को यह बताने के लिए बुलाया कि उन्होंने अपने राज्यों में चुनाव से पहले किए गए वादों को कैसे लागू किया था.
BJP की रियल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश
चरण सिंह सपरा ने भगवा पार्टी पर आरोप लगाया कि वह 'बटेंगे तो कटेंगे' और 'एक हैं तो सुरक्षित हैं' जैसे सांप्रदायिक बयानों के जरिए नौकरियों और महंगाई और किसानों की दुर्दशा जैसे रियल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा, "इस तरह की टिप्पणियां भाजपा के लिए एक आत्मघाती गोल साबित होंगी और उनके सहयोगियों को भी परेशान करेंगी. महाराष्ट्र के लोग विभाजनकारी एजेंडे के बजाय अपने कल्याण के बारे में अधिक चिंतित हैं. "
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