सरगुजा: बलरामपुर जिले के चांदो क्षेत्र में हाथियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है. 24 हाथियों का दल झारखंड के रास्ते चांदो पहुंचा है. 30 साल बाद इस क्षेत्र में हाथियों ने दस्तक दी है. यहां पहुंचने के बाद हाथी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है.
फसल बर्बाद करने के साथ घर भी तोड़ा: वन विभाग के अनुसार 24 सदस्यीय हाथियों का दल झारखंड से चुनचुना पुंदाग के रास्ते छत्तीसगढ़ पहुंचा है. वर्तमान में हाथी चांदो जंगल में ही घूम रहे हैं. साथ ही धान की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे है. अब तक हाथियों ने चार किसानों के धान की फसल को को नुकसान पहुंचाने के साथ ही एक घर को भी तोड़ दिया है. एक बकरी भी हाथी के पैर से दबकर घायल हो गई है. वन विभाग ने ग्रामीणों को उनके नुकसान का मुआवजा देने के लिए प्रकरण तैयार किया है.
झारखंड के हाथी पहुंचे बलरामपुर के चांदो: हाथियों का यह दल बिलकुल नया है. फिलहाल ये दल कितना खतरनाक है इसकी जानकारी भी वन विभाग के पास नहीं है. ऐसे में वन विभाग लोगों को सतर्क रहने और जंगल से दूर रहने की सलाह दे रहा है. वन विभाग की टीम लगातार हाथियों के मूवमेंट पर नजर रख रही है और लोगों को हाथियों से छेड़छाड़ नहीं करने की समझाइस दी गई है.
चांदो क्षेत्र में पहली बार हाथियों का दल पहुंचा है। पिछले तीन दशक में कभी इस क्षेत्र में हाथी नहीं आए थे. 24 हाथियों का दल झारखंड से चुनचुना पुंदाग के रास्ते पहुंचा है और वन विभाग द्वारा हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है.- अशोक तिवारी, उप वन मंडलाधिकारी
सरगुजा रेंज की सीमा में करीब 115 हाथी अमूमन रहते हैं. सीमा पार कर ये कभी कोरबा और अन्य वन मंडलों में चले जाते हैं. अब झारखंड से 24 हाथियों के दल के आने से इनकी संख्या सरगुजा में बढ़ चुकी है. छत्तीसगढ़ में हाथियों के इतिहास की बात की जाए तो 1989 के में पहली बार झारखंड से ही सरगुजा के रास्ते हाथी प्रदेश में पहुंचे थे और इसके बाद से ही लगातार हाथियों की संख्या बढ़ती गई. सरगुजा संभाग के ज्यादातर इलाकों में हाथियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है लेकिन बलरामपुर जिले का चांदो क्षेत्र पिछले तीन दशक से हाथियों से सुरक्षित था. वन विभाग के अनुसार चांदो क्षेत्र में कभी भी हाथी नहीं आए थे लेकिन अब चांदो भी हाथियों का विचरण क्षेत्र बन गया है.