सरगुजा: सरगुजा में बैंक सखी योजना से जुड़ी 106 महिलायें लैपटॉप, इंटरनेट और फिंगरप्रिंट डिवाइस अपने बैग में लेकर चलती हैं और कहीं भी ऑनलाइन बैंकिंग सहित अन्य ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं. बीते 5 वर्ष में इन महिलाओ ने 124 करोड़ रुपये का लेन देन किया है.
जिला पंचायत में हुई ट्रेनिंग: बैंक सखी फगनी सिंह बताती हैं "पहले ये सब काम के बारे में कुछ नही जानते थे. लेकिन जिला पंचायत में इंटरव्यू हुआ फिर वहां ट्रेनिंग दिये. काम आने लगा फिर गावँ में जाकर ये कैसे मिलना है. कैसे पैसा जमा करना है, निकलना है, कैसे खाता खोलना है यर सब सीखे. अब बहुत अच्छा लगता है क्योंकी कभी सोंचे भी नही थे कि गावँ में हम लोगों को इस तरह का काम मिल जायेगा. की गावँ में जाकर कम्प्यूटर चलाएंगे"
मिलती है इज्जत: फगनी सिंह कहती हैं "गांव वाले भरोसा भी करते हैं इज्जत भी मिलता है. हम लोग लोगों का हिसाब भी लिखकर बता देते हैं. फायदा है अगर अच्छा मेहनत कर रहे हैं तो महीने में 10 हजार आ जाता है. ज्यादा मेहनत करने पर 10 हाजर से अधिक भी आ जाता है. इस काम से कमाई के अलावा हम लोग डिजिटल भी हो गए हैं. अच्छा लगता है"
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लॉक डाउन में बनी मसीहा: शहर में भी बहोत से लोग ऐसे हैं जो पढ़े लिखे हैं और उन्हें भी ढंग से ऑनलाइन ट्रांजक्शन की सही जानकारी नहीं होती है. लेकिन सरगुज़ा के गावँ की इन महिलाओं ने मिशाल पेश की है. बीते 5 वर्षों में जिले में बैंक सखी के माध्यम से 124 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया है. जिसमें से 24 करोड़ का ट्रांजेक्शन सिर्फ लॉक डाउन अवधी में किया गया है. जब लोग लॉक डाउन की वजह से परेशान थे, बैंक आम लोगों के लिये बंद थे तब भी इन महिलाओं ने लोगों के खाते के पैसे उन्हें निकालकर दिए हैं.
मनरेगा मजदूरी का ट्रांजेक्शन: जिले में 106 बैंक सखी 439 ग्राम पंचायतों को कवर करती हैं. 21 मई 2020 से मनरेगा मजदूरी का भुगतान भी मजदूरी स्थल पर शुरू किया गया यह मजदूरी का ट्रांजेक्शन भी बैंक सखी ही करती हैं, अब तक 7 करोड़ 13 लाख रुपये मनरेगा की मजदूरी का लेन देन बैंक सखी के माध्यम से हुआ है.
ऐसे हुई डिजिटल साक्षर: 106 बैंक सखियों में से 40 ऐसी हैं की वो हर महीने 6 हजार से अधिक आमदनी कमा रही हैं. जबकी 60 बैंक सखी ऐसी हैं जो 3 से 6 हजार के बीच का इंसेंटिव कमा रही हैं. बड़ी बात यह है की इन 106 बैंक सखियों में से 93 बैंक सखी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग फाइनेंस की परीक्षा पास कर चुकी हैं. मतलब अब इन्हें अकुशल भी नही कहा जा सकता, कम शिक्षित होने बावजूद बैंक सखी लैपटॉप चलाती हैं. ऑनलाइन ट्रांजैक्सन करती हैं. अब बैंकिंग परीक्षा पास कर इन्होंने यह भी साबित किया है की वो अपने कार्य मे कुशल हैं.
वृद्धा पेंशन घर तक: बैंक की तमाम सुविधाओं के साथ बैंक सखी अब आयुष्मान कार्ड और ई श्रम कार्ड भी बना रही हैं और सबसे बड़ी बात ये है की 15 करोड़ 59 लाख रुपये पेंशन की राशि बैंक सखी लोगों तक पहुंचा चुकी हैं, मतलब अब वृद्ध जनों को बैंक की लंबी लाइन से मुक्ति मिली है और उन्हें घर बैठे पेंशन पहुँच रही है. किसान सम्मान निधि का 82 लाख 78 हजार रुपये. स्थानीय लेन देन 67 करोड़ 9 लाख का हो चुका है.