सरगुजा : किसानों की हितैषी बनकर लंबे समय बाद सत्ता में वापस आई कांग्रेस अब किसानों का दर्द नहीं बांट पा रही है. ETV भारत ने किसान मटरू से बातचीत की तो मटरू का दर्द आंखों से छलक गया. मटरू ने अपने साथ सभी किसानों का दर्द साझा किया. बाकि किसानों की तरह मटरू को भी सरकार से उम्मीद थी कि उसका सारा धान बिकेगा, लेकिन गलत एंट्री के कारण मटरू का 15 क्विटंल धान अब भी धरा का धरा रह गया है.
किसानों की हितैषी बनकर लंबे समय बाद सत्ता में वापस आई कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने का वादा किया, हालांकि वो भी किस्तों में दिया गया, लेकिन इस बीच एक नई कवायद प्रदेश में शुरू हुई और वो थी गिरदावरी की. गिरदावरी एक सरकारी हथकंडे के रूप में उपयोग किया जा रहा है. पटवारी अपनी मर्जी से बिना फसल का आंकलन किये यह तय कर देते हैं की कौन सा किसान कितने एकड़ में धान लगाया है. इसका खामियाजा किसान को तब भुगतना पड़ता है जब वह अपना धान बेचने धान खरीदी केंद्र में पहुंचता है.
मटरू के साथ भी ऐसी ही हुआ. पटवारी ने गिरदावरी में एक एकड़ जमीन में धान की फसल दर्ज की, लेकिन समिति ने 9 क्विंटल धान का ही टोकन काटा है, लिहाजा अब वो बाकी धान बेचने के लिये दर दर भटक रहा है, एक तो वैसे ही एक एकड़ में 22 क्विंटल धान की पैदावार हुई है और सरकारी नियम के तहत 15 क्विंटल भी धान नही बेच पा रहे हैं
धान और रकबे को लेकर बार-बार मंत्री और प्रशासन त्रुटि सुधार की बात करते नजर आते हैं, लेकिन एक के बाद एक रोज गड़बड़ी के नए मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में कई किसानों ने धान की खरीदी पूरी नहीं होने के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठाएं हैं.
हाल की घटनाओं पर नजर-
- पहला मामला- राजनांदगांव में मंगलवार को घुमका धान खरीदी केंद्र में धान बेचने पहुंचे किसान करण साहू की मौत हो गई है. मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है. परिजनों ने आरोप लगाया है कि रिश्वत लेने के चक्कर में धान को खराब बताया गया. किसान के बेटे ने इसके लिए धान खरीदी केंद्र के प्रभारी को दोषी ठहराया है और जांच की मांग की है.
- दूसरा मामला- ETV भारत से जांजगीर-चंपा के किसानों ने उनके केसीसी कार्ड से लाखों रुपए के गबन की जानकारी दी थी. किसानों ने मंत्री से मुलाकात कर आत्महत्या की चेतावनी भी दी है.
- तीसरा मामला- कोंडागांव के बड़ेराजपुर ब्लॉक में एक किसान ने रकबे में भारी भरकम कटौती के कारण आत्महत्या कर ली थी. जानकारी के अनुसार गिरदावरी रिपोर्ट में कई प्रकार की गलती की बात सामने आ रही है. इसके कारण किसान ने आत्महत्या कर ली है. इस घटना में कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने कार्रवाई करते हुए पटवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. वहीं तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
- चौथा मामला- महीने की शुरुआत में ही दुर्ग में फसल खराब होने की वजह से अन्नदाता ने मौत को गले लगा लिया था. किसान डुगेश प्रसाद निषाद अपने पीछे सुसाइड नोट छोड़ कर गया है, जिसमें उसने दवा का छिड़काव करने के बाद फसल खराब होने की बात लिखी थी. पिता ने कहा था कि उसके बेटे ने तीन बार खेतों में दवा का छिड़काव किया था. करीब 5 एकड़ में लगी खड़ी फसल बर्बाद हो गई और उसका बेटा खेत में ही फांसी के फंदे पर झूल गया.
किसान आत्महत्या के मामले में पांचवें स्थान पर छत्तीसगढ़- NCRB ने सितंबर महीने में 2019 की रिपोर्ट जारी की है, इसके बाद भी किसान और कृषि से जुड़े लोगों की आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें स्थान पर है. NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या के 998 मामले सामने आए थे.
'एक साल में 234 किसानों ने की आत्महत्या'
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर मंच पर सरकार को किसान हितैषी बताते हैं. सीएम ने केंद्र सरकार से तीनों विवादित कानूनों को वापस लेकर देश से माफी मांगने की मांग की. वहीं सीएम के बयान पर प्रदेश बीजेपी प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने भी करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में 234 किसानों ने आत्महत्या की है. ऐसे में सीएम को ये अधिकार नहीं है कि वे किसानों के हितैषी हैं