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अंबिकापुर सीट पर कांग्रेस के लिए बुरी खबर, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव चुनाव हारे, बीजेपी के राजेश अग्रवाल की हुई जीत - अंबिकापुर सीट पर कांग्रेस के लिए बुरी खबर

Ambikapur BJP Rajesh Aggarwal Won: अंबिकापुर विधानसभा सीट के चुनावी नतीजों में बड़ा उलटफेर हुआ है. यहां से छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव चुनाव हार गए है. बीजेपी के राजेश अग्रवाल को उन्होंने मात दी.

Ambikapur BJP Rajesh Aggarwal Won
डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव चुनाव हारे
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 3, 2023, 9:50 PM IST

अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सबसे चौकाने वाला रिजल्ट अंबिकापुर विधानसभा सीट से आया है. यहां से छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव चुनाव हार गए है. करीब 94 वोटों से उन्हें हार मिली है. बीजेपी के राजेश अग्रवाल ने सिंहदेव को पटखनी दी है.

अपने ही गढ़ में मिली करारी हार: सरगुजा संभाग टीएस सिंहदेव का गढ़ रहा है. लेकिन यहां पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. यहां से खुद अपना किला बचाने में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव नाकामयाब रहे.

राजनीति से रिटायरमेंट का दिया था बयान: दोनों चरणों के मतदान के ठीक बाद टीएस सिंहदेव ने अपने एक बयान से सबको चौंका दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर इस बार जीत गया तो अपनी सेवा 5 सालों तक दूंगा. उसके बाद फिर चुनाव नहीं लड़ूंगा. यानी कि उन्होंने साफ कर दिया था कि वो राजनीति से रिटायरमेंट लेने वाले हैं. हार के बाद कहीं न कहीं ये तय हो गया है कि सिंहदेव अब आगे चुनाव नहीं लड़ेंगे.

गुरु को चेले ने दी मात: दरअसल, राजेश अग्रवाल पहले कांग्रेस के नेता थे. हालांकि उन्होंने साल 2018 में बीजेपी का दामन थाम लिया था. पार्टी ने उस समय उन्हें टिकट नहीं दिया था. इस बार टीएस सिंहदेव का काट निकालने के लिए बीजेपी ने अंबिकापुर जैसे हाईप्रोफाइल सीट से उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था. इस सीट से जब राजेश नामांकन दाखिल करने जा रहे थे. उस समय उन्होंने टीएस सिंहदेव का पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया था. इस हार के बाद ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि चेला से गुरु हार गए. चेले ने गुरु को चुनाव में मात दे दी.

एक नजर टीएस सिंहदेव के सियासी सफर पर: सरगुजा रियासत के 118वें महाराज टीएस सिंहदेव हैं. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर विधानसभा सीट से लगातार सिंहदेव जीत हासिल करते आए हैं. हालांकि इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. सिंहदेव के जीवन पर अगर हम गौर करें तो उनका जन्म 31 अक्टूबर 1952 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. सरगुजा राजपरिवार का शुरू से ही कांग्रेस से जुड़ाव रहा है. टीएस सिंहदेव की मां राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव ने सरगुजा रियासत की बागडोर अपने हाथ में ले रखी थी. वो कांग्रेस में सक्रिय रहीं. अविभाजित मध्यप्रदेश की 2 बार विधायक और मंत्री भी वो रह चुकी हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनके खास संबंध भी रहे. साल 1983 में सिंहदेव कांग्रेस के सदस्य बने. इसी साल वो अंबिकापुर नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष भी बनाए गए. साल 2003 में छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष बने. कैबिनेट मंत्री का दर्जा उन्हें मिला. साल 2013 और 2018 में लगातार वो विधायक रहे. फिर छत्तीसगढ़ में पहले उपमुख्यमंत्री भी बने.

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अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सबसे चौकाने वाला रिजल्ट अंबिकापुर विधानसभा सीट से आया है. यहां से छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव चुनाव हार गए है. करीब 94 वोटों से उन्हें हार मिली है. बीजेपी के राजेश अग्रवाल ने सिंहदेव को पटखनी दी है.

अपने ही गढ़ में मिली करारी हार: सरगुजा संभाग टीएस सिंहदेव का गढ़ रहा है. लेकिन यहां पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. यहां से खुद अपना किला बचाने में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव नाकामयाब रहे.

राजनीति से रिटायरमेंट का दिया था बयान: दोनों चरणों के मतदान के ठीक बाद टीएस सिंहदेव ने अपने एक बयान से सबको चौंका दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर इस बार जीत गया तो अपनी सेवा 5 सालों तक दूंगा. उसके बाद फिर चुनाव नहीं लड़ूंगा. यानी कि उन्होंने साफ कर दिया था कि वो राजनीति से रिटायरमेंट लेने वाले हैं. हार के बाद कहीं न कहीं ये तय हो गया है कि सिंहदेव अब आगे चुनाव नहीं लड़ेंगे.

गुरु को चेले ने दी मात: दरअसल, राजेश अग्रवाल पहले कांग्रेस के नेता थे. हालांकि उन्होंने साल 2018 में बीजेपी का दामन थाम लिया था. पार्टी ने उस समय उन्हें टिकट नहीं दिया था. इस बार टीएस सिंहदेव का काट निकालने के लिए बीजेपी ने अंबिकापुर जैसे हाईप्रोफाइल सीट से उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था. इस सीट से जब राजेश नामांकन दाखिल करने जा रहे थे. उस समय उन्होंने टीएस सिंहदेव का पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया था. इस हार के बाद ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि चेला से गुरु हार गए. चेले ने गुरु को चुनाव में मात दे दी.

एक नजर टीएस सिंहदेव के सियासी सफर पर: सरगुजा रियासत के 118वें महाराज टीएस सिंहदेव हैं. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर विधानसभा सीट से लगातार सिंहदेव जीत हासिल करते आए हैं. हालांकि इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. सिंहदेव के जीवन पर अगर हम गौर करें तो उनका जन्म 31 अक्टूबर 1952 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. सरगुजा राजपरिवार का शुरू से ही कांग्रेस से जुड़ाव रहा है. टीएस सिंहदेव की मां राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव ने सरगुजा रियासत की बागडोर अपने हाथ में ले रखी थी. वो कांग्रेस में सक्रिय रहीं. अविभाजित मध्यप्रदेश की 2 बार विधायक और मंत्री भी वो रह चुकी हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनके खास संबंध भी रहे. साल 1983 में सिंहदेव कांग्रेस के सदस्य बने. इसी साल वो अंबिकापुर नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष भी बनाए गए. साल 2003 में छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष बने. कैबिनेट मंत्री का दर्जा उन्हें मिला. साल 2013 और 2018 में लगातार वो विधायक रहे. फिर छत्तीसगढ़ में पहले उपमुख्यमंत्री भी बने.

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