कृष्ण जन्माष्टमी 2022 : भाद्र पक्ष मास कृष्ण पक्ष रोहिणी नक्षत्र योग तथा लगन में आठवीं तिथि को आधी रात के समय चंद्रोदय काल की काली अंधियारी रात जेल कारागार में देवकी के गर्भ से साक्षात श्री हरी प्रकट (Krishna Janmashtami Story) हुए. श्री हरी चारभुजाओं सहित प्रकट हुए थे. उनका चार भुजाओं वाला रूप देखकर वासुदेव और देवकी माता बहुत ही चकित हुए. उनके नेत्रों के आगे अद्बभुत चमत्कारी रौशनी के बीचो-बीच श्री चतुर्भुज धारी स्वरुप का दर्शन किया. चारों हाथों में शंक , गदा , चक्र , पदम धारण किये हुए थे. इस रुप को देखने के बाद श्रीहरि ने वासुदेव को गोकुल में नंदलाल के घर छोड़कर वहां से योगमाया को लाने को कहा. वासुदेव ने ठीक ऐसा ही किया. जिसके बाद योगमाया कंस को चेतावनी देकर अदृश्य हो गई और माया से मोहित होकर इस घटना को वासुदेव और देवकी भूल गए. इस दिवस के दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रुप में मनाया जाता है.
श्री कृष्ण (Shri Krishna ) की लीला अपरंपार (Krishna Janmashtami 2022) है. उनकी लीलाओं ने कुछ ना कुछ सीख दी. बात हो खुशी की तो भी कृष्ण लीला ने सिखाया और प्रेम करना भी कृष्ण ने ही सीखाया. जब भी कृष्ण के जीवन काल के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले उनकी लीलाएं ही होती (Unheard stories of Krishna) हैं. इन्हीं लीलाओं में दो बार श्री कृष्ण को किन्नर बनना पड़ा था. पहली बार प्रेम के लिए मजबूरी थी जिसने उन्हें किन्नर बनाया और दूसरी हार धर्म के लिए वे किन्नर (Krishna became eunuch) बने थे.
धर्म के लिए बनें किन्नर : महाभारत युद्ध के दौरान पाण्डवों की जीत के लिए रणचंडी को प्रसन्न करना था. इसके लिए राजकुमार की बली दी जानी थी. ऐसे में अर्जुन के पुत्र इरावन ने कहा कि वह अपना बलिदान देने के लिए तैयार है. लेकिन इरावन ने इसके लिए एक शर्त रख दी, जिसके अनुसार वह एक रात के लिए विवाह करना चाहता था. लेकिन कोई भी कन्या किन्नर इरावन से विवाह करने को तैयार नहीं हुई, क्योंकि उसकी मौत निश्चित थी. अंत में भगवान श्री कृष्ण को ही मोहिनी रूप धारण करके इरावन से विवाह करना पड़ा. विवाह के अगली सुबह मोहिनी रूपी कृष्ण ने विधवा बनकर पति की मृत्यु पर विलाप भी किया. तभी से हर साल बड़ी संख्या में किन्नर तमिलनाडु के ‘कोथांदवर मंदिर’ में इस परंपरा को निभाते हैं. किन्नर अपने देवता इरावन से विवाह करके अगले दिन विधवा बन जाते हैं.
राधा का तोड़ा अभिमान : एक बार देवी राधा अपने पर स्वयं पर बहुत मान हो गया. उस मान के कारण राधा का स्वभाव बदलने लगा था, सखियों ने राधा को समझाने का बहुत बार प्रयास किया लेकिन राधा नहीं समझीं. सखियां जितना राधा को समझातीं राधा का मान उतना ही बढ़ता जा रहा था. भगवान श्रीकृष्ण राधा से मिलना चाह रहे थे लेकिन मिल नहीं पा रहे थे. ऐसे में सखियों की सलाह के बाद कान्हा ने किन्नर रुप बना लिया और नाम रखा श्यामरी सखी. श्यामरी सखी वीणा बजाते हुए राधा के घर के करीब आए तो राधा वीणा की स्वर लहरियों से मंत्रमुग्ध होकर घर से बाहर आयीं और श्यामरी सखी के अद्भुत रूप को देखकर देखती रह गईं. राधा ने श्यामरी सखी को अपने गले का हार भेंट करना चाहा तो कान्हा ने मना कर दिया. इसके बाद कान्हा ने कहा देना है तो अपने मानरूप रत्न दे दो. यह हार नहीं चाहिए मुझे. राधा समझ गईं की यह श्यामरी कोई और नहीं श्याम हैं. राधा का मान समाप्त हो गया और राधा कृष्ण का मिलन (Krishna Janmashtami 2022 Jhoola) हुआ.