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बच्चों में त्यौहारों को लेकर उत्साह हुआ कम, मोबाइल से नजदीकियां बनी बड़ी वजह

ganesh chaturthi 2022 इस बार गणेश चतुर्थी का उत्सव 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. लेकिन पहले के मुकाबले आज बच्चों में त्यौहारों को लेकर उत्साह कम दिखाई देता है. पैरेंट्स इसकी मुख्य वजह मोबाइल की लत और बच्चों पर बढ़ते पढ़ाई के बोझ को मानते हैं.

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Published : Aug 30, 2022, 8:56 PM IST

Children less excited about festivals
त्यौहारों को लेकर बच्चों में कम उत्साह

रायपुर: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है. इस बार यह त्यौहार 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस बार गणेश चतुर्थी को पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाने की तैयारी की जा रही है. गणेश भगवान को बच्चों का प्रिय भगवान भी माना जाता है. यही वजह है कि शहर के हर गली हर मोहल्ले में बड़ों से लेकर छोटे छोटे बच्चे भी गणेश भगवान को विराजते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में बच्चों में गणेश उत्सव का उत्साह खत्म होते हुए नजर आ रहा है. मोबाइल की आदत और पढ़ाई के बोझ ने कहीं ना कहीं तीज त्यौहार को लेकर बच्चों के उत्साह कम (mobile is keeping children away from festivals) कर दिया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने कुछ पैरेंट्स, बच्चे और गणेश समिति के लोगों से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

मोबाइल की गिरफ्त में घिरते जा रहे बच्चे: अभिभावक संध्या शर्मा ने बताया "बच्चों में त्यौहारों को लेकर उत्साह धीरे धीरे कम होता जा रहा है. मोबाइल की आदत बच्चों को काफी नुकसान पहुंचा रही है. बच्चों की पढ़ाई मोबाइल पर हो रही है. मोबाइल में वह गेम भी खेल रहे हैं. दोस्त भी आजकल वह मोबाइल में ही बना रहे हैं. बच्चों के लिए मोबाइल उनकी दुनिया हो गई है.. पहले ऐसा रहता था कि त्यौहार के समय मार्केट चले गए कुछ खरीदारी कर लिए. अब ऐसा हो गया है कि बच्चे घर में बैठे रहते हैं. पैरेंट्स कुछ लाकर बच्चों को दे दो, तो ठीक है. नहीं तो वह अपने मोबाइल में लगे हुए हैं. हमारे समय में हम घरों में ही शंकर जी की मूर्ति बनाते थे. घर में गणेश भगवान को बैठाकर खुद उनकी पूजा करते थे. लेकिन अब बच्चों में यह एक्साइटमेंट कम हो गया है."

त्यौहारों को लेकर बच्चों में कम उत्साह


यह भी पढ़ें: झारखंड में सियासी संकट, झारखंड के विधायकों को लाया जाएगा छत्तीसगढ़


पढ़ाई का बोझ बच्चों को तीज त्यौहार से कर रहा दूर: अभिभावक धीरज दुबे ने बताया "बच्चों में पढ़ाई का बोझ भी काफी ज्यादा बढ़ गया है. एक तो टीचर स्कूल में पढ़ाते हैं. जो सिलेबस छूट गया, उसको बच्चों को होमवर्क के लिए दे देते हैं. उसके बाद बच्चों के घर में पढ़ाई, ट्यूशन, मोबाइल से पढ़ाई, बच्चे इससे इतना बिजी हो गए हैं कि वह बाहर खेलना कूदना तक छोड़ चुके हैं. उनकी दुनिया मोबाइल में सिमट गई है. लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था से बच्चों की पढ़ाई छूटे ना इस वजह से बनी थी. लेकिन अब यह सुविधा धीर धीरे बच्चों में मोबाइल की आदत में बदलता जा रहा है. जो बच्चों के साथ साथ अभिभावकों के लिए भी काफी खतरनाक है."


पहले पैरेंट्स के साथ घूमते थे शहर, अब घूमने का मन नहीं करता: स्टूडेंट ऐश्वर्या शर्मा ने बताया " सुबह स्कूल में पढ़ाई, इसके बाद घर में आकर मोबाइल से पढ़ना, होमवर्क करना, उसके बाद ट्यूशन. इससे बाहर निकलने का टाइम ही नहीं मिलता. तीज त्यौहार के समय दो तीन साल पहले हम काफी ज्यादा एक्साइटेड रहते थे. अपने माता पिता के साथ हम शहर घूमने भी जाते थे. लेकिन अब लगता है कि घर पर ही बैठे रहे, टीवी मोबाइल देख लें. कहीं ना कहीं एक्साइटमेंट पिछले दो तीन सालों में कम हो गई है."



पहले समिति के लोग साथ मिलकर बनाते थे पंडाल: गणेश समिति के सदस्य सौरभ ठाकुर ने बताया " जब से मोबाइल की आदतें बच्चों बड़ों में पड़ी है. तब से लोग एक्टिव नहीं हो रहे हैं. पहले हम लोग की समिति में 30 40 लोग सभी इकट्ठा होकर पंडाल बनवाते थे, एक साथ समय बिताते थे. इससे हमें खुद अच्छा लगता था. हम पुराने दोस्तों से मिलते थे, शहर घूमते थे, पूजा की पूरी तैयारी करते थे. लेकिन अब धीरे धीरे समिति में लोग कम होते जा रहे हैं. मोबाइल से सारे काम हो जाने से गेट टुगेदर भी नहीं हो पा रहा है."



गणेश पूजा बच्चों का प्रिय त्योहार, फिर भी बच्चों में कम हो रहा एक्साइटमेंट: गणेश समिति के सदस्य विनीत देवांगन ने बताया "जब हम खुद छोटे थे तो अपने माता पिता के साथ पूरा शहर घूमने जाते थे. जब हम बड़े हुए तो हमने खुद गणेश भगवान का पंडाल लगाने लगे. शुरू शुरू में काफी लोग समिति में भी आते थे और लोगों में एक्साइटमेंट देखने को मिलता था. बच्चे भी पहले काफी एक्साइटेड रहते थे. अपने माता पिता के साथ वह गणेश पंडाल घूमने आते थे. लेकिन अब बच्चों में एक्साइटमेंट काफी कम हो गया है. कुछ बच्चे अभी भी आते हैं. लेकिन पहले जितना माहौल नहीं रहा है.

रायपुर: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है. इस बार यह त्यौहार 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस बार गणेश चतुर्थी को पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाने की तैयारी की जा रही है. गणेश भगवान को बच्चों का प्रिय भगवान भी माना जाता है. यही वजह है कि शहर के हर गली हर मोहल्ले में बड़ों से लेकर छोटे छोटे बच्चे भी गणेश भगवान को विराजते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में बच्चों में गणेश उत्सव का उत्साह खत्म होते हुए नजर आ रहा है. मोबाइल की आदत और पढ़ाई के बोझ ने कहीं ना कहीं तीज त्यौहार को लेकर बच्चों के उत्साह कम (mobile is keeping children away from festivals) कर दिया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने कुछ पैरेंट्स, बच्चे और गणेश समिति के लोगों से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

मोबाइल की गिरफ्त में घिरते जा रहे बच्चे: अभिभावक संध्या शर्मा ने बताया "बच्चों में त्यौहारों को लेकर उत्साह धीरे धीरे कम होता जा रहा है. मोबाइल की आदत बच्चों को काफी नुकसान पहुंचा रही है. बच्चों की पढ़ाई मोबाइल पर हो रही है. मोबाइल में वह गेम भी खेल रहे हैं. दोस्त भी आजकल वह मोबाइल में ही बना रहे हैं. बच्चों के लिए मोबाइल उनकी दुनिया हो गई है.. पहले ऐसा रहता था कि त्यौहार के समय मार्केट चले गए कुछ खरीदारी कर लिए. अब ऐसा हो गया है कि बच्चे घर में बैठे रहते हैं. पैरेंट्स कुछ लाकर बच्चों को दे दो, तो ठीक है. नहीं तो वह अपने मोबाइल में लगे हुए हैं. हमारे समय में हम घरों में ही शंकर जी की मूर्ति बनाते थे. घर में गणेश भगवान को बैठाकर खुद उनकी पूजा करते थे. लेकिन अब बच्चों में यह एक्साइटमेंट कम हो गया है."

त्यौहारों को लेकर बच्चों में कम उत्साह


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पढ़ाई का बोझ बच्चों को तीज त्यौहार से कर रहा दूर: अभिभावक धीरज दुबे ने बताया "बच्चों में पढ़ाई का बोझ भी काफी ज्यादा बढ़ गया है. एक तो टीचर स्कूल में पढ़ाते हैं. जो सिलेबस छूट गया, उसको बच्चों को होमवर्क के लिए दे देते हैं. उसके बाद बच्चों के घर में पढ़ाई, ट्यूशन, मोबाइल से पढ़ाई, बच्चे इससे इतना बिजी हो गए हैं कि वह बाहर खेलना कूदना तक छोड़ चुके हैं. उनकी दुनिया मोबाइल में सिमट गई है. लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था से बच्चों की पढ़ाई छूटे ना इस वजह से बनी थी. लेकिन अब यह सुविधा धीर धीरे बच्चों में मोबाइल की आदत में बदलता जा रहा है. जो बच्चों के साथ साथ अभिभावकों के लिए भी काफी खतरनाक है."


पहले पैरेंट्स के साथ घूमते थे शहर, अब घूमने का मन नहीं करता: स्टूडेंट ऐश्वर्या शर्मा ने बताया " सुबह स्कूल में पढ़ाई, इसके बाद घर में आकर मोबाइल से पढ़ना, होमवर्क करना, उसके बाद ट्यूशन. इससे बाहर निकलने का टाइम ही नहीं मिलता. तीज त्यौहार के समय दो तीन साल पहले हम काफी ज्यादा एक्साइटेड रहते थे. अपने माता पिता के साथ हम शहर घूमने भी जाते थे. लेकिन अब लगता है कि घर पर ही बैठे रहे, टीवी मोबाइल देख लें. कहीं ना कहीं एक्साइटमेंट पिछले दो तीन सालों में कम हो गई है."



पहले समिति के लोग साथ मिलकर बनाते थे पंडाल: गणेश समिति के सदस्य सौरभ ठाकुर ने बताया " जब से मोबाइल की आदतें बच्चों बड़ों में पड़ी है. तब से लोग एक्टिव नहीं हो रहे हैं. पहले हम लोग की समिति में 30 40 लोग सभी इकट्ठा होकर पंडाल बनवाते थे, एक साथ समय बिताते थे. इससे हमें खुद अच्छा लगता था. हम पुराने दोस्तों से मिलते थे, शहर घूमते थे, पूजा की पूरी तैयारी करते थे. लेकिन अब धीरे धीरे समिति में लोग कम होते जा रहे हैं. मोबाइल से सारे काम हो जाने से गेट टुगेदर भी नहीं हो पा रहा है."



गणेश पूजा बच्चों का प्रिय त्योहार, फिर भी बच्चों में कम हो रहा एक्साइटमेंट: गणेश समिति के सदस्य विनीत देवांगन ने बताया "जब हम खुद छोटे थे तो अपने माता पिता के साथ पूरा शहर घूमने जाते थे. जब हम बड़े हुए तो हमने खुद गणेश भगवान का पंडाल लगाने लगे. शुरू शुरू में काफी लोग समिति में भी आते थे और लोगों में एक्साइटमेंट देखने को मिलता था. बच्चे भी पहले काफी एक्साइटेड रहते थे. अपने माता पिता के साथ वह गणेश पंडाल घूमने आते थे. लेकिन अब बच्चों में एक्साइटमेंट काफी कम हो गया है. कुछ बच्चे अभी भी आते हैं. लेकिन पहले जितना माहौल नहीं रहा है.

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