ETV Bharat / city

जानिए क्या है भूलन कांदा, जिस पर बनी फिल्म को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार - संजीव बख्शी

'भूलन द मेज' (Bhulan The Maze ) पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म है, जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. 'भूलन' एक तरह की जड़ी बूटी है. लोगों का मानना है कि इस पर पैर पड़ने से ही लोग अपना होश खो बैठते हैं. आइये आपको बताते है कि भूलन कांदा क्या है.

know-about-bhulan-kanda-found-in-chhattisgarh-bhulan-the-maze
भूलन
author img

By

Published : Oct 24, 2021, 11:38 AM IST

हैदराबाद\रायपुर: भूलन कांदा (Bhulan Kanda ) छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाने वाला एक पौधा है. जिसपर पैर पड़ने से इंसान सब कुछ भूलने लगता है. रास्ता भूल जाता है. वहीं भटकने लगते हैं. इस दौरान कोई दूसरा इंसान जब आकर जब उस इंसान को छूता है तो फिर वो होश में आता है. केशकाल के कुछ जड़ी बूटी के विशेषज्ञों की माने तो भूलन कांदा का वैज्ञानिक नाम 'डायलो फोरा रोटोन डिफोलिया' है.

इसी भूलन कांदा पर 'भूलन द मेज' (Bhulan The Maze ) फिल्म बनी है. जिसके जरिए आज के सामाजिक, इंसानी, सरकारी व्यवस्था में आए भटकाव को दिखाया गया है. 'भूलन दा मेज' फिल्म 'भूलन कांदा' उपन्यास पर आधारित है. इसके लेखक संजीव बख्शी (Sanjeev Bakshi) हैं. उनकी माने तो नौकरी के दौरान वे बस्तर और गरियाबंद जैसे इलाकों में पदस्थ थे. उसी दौरान उन्होंने आदिवासियों से भूलन पौधे की बात सुनी थी. उन्हें ये काफी रोचक लगा. जिसके बाद उन्होंने इस पर लिखना शुरू किया. जिस पर काम करते हुए 3 से 4 साल में उन्होंने भूलन कांदा उपन्यास लिखा. इसी उपन्यास को 'भूलन द मेज' फिल्म के रूप में बनाया गया. जिसे 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के दौरान बेस्ट छत्तीसगढ़ी फिल्म का अवॉर्ड दिया गया.

शूटिंग के समय शेड में रही पूरी यूनिट, सांप-तेंदुए की आहट के बीच 34 दिन में पूरी हुई 'भूलन द मेज': मनोज वर्मा

इस फिल्म की शूटिंग गरियाबंद के भुजिया गांव में हुई थी. इसमें एक्टर ओंकार दास मानिकपुरी ने काम किया है. इस फिल्म के टाइटल सॉन्ग का म्यूजिक कैलाश खेर ने दिया है. इस फिल्म को कोलकाता और कैलिफोर्निया फिल्म फेस्ट में अवार्ड मिल चुका है.

हैदराबाद\रायपुर: भूलन कांदा (Bhulan Kanda ) छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाने वाला एक पौधा है. जिसपर पैर पड़ने से इंसान सब कुछ भूलने लगता है. रास्ता भूल जाता है. वहीं भटकने लगते हैं. इस दौरान कोई दूसरा इंसान जब आकर जब उस इंसान को छूता है तो फिर वो होश में आता है. केशकाल के कुछ जड़ी बूटी के विशेषज्ञों की माने तो भूलन कांदा का वैज्ञानिक नाम 'डायलो फोरा रोटोन डिफोलिया' है.

इसी भूलन कांदा पर 'भूलन द मेज' (Bhulan The Maze ) फिल्म बनी है. जिसके जरिए आज के सामाजिक, इंसानी, सरकारी व्यवस्था में आए भटकाव को दिखाया गया है. 'भूलन दा मेज' फिल्म 'भूलन कांदा' उपन्यास पर आधारित है. इसके लेखक संजीव बख्शी (Sanjeev Bakshi) हैं. उनकी माने तो नौकरी के दौरान वे बस्तर और गरियाबंद जैसे इलाकों में पदस्थ थे. उसी दौरान उन्होंने आदिवासियों से भूलन पौधे की बात सुनी थी. उन्हें ये काफी रोचक लगा. जिसके बाद उन्होंने इस पर लिखना शुरू किया. जिस पर काम करते हुए 3 से 4 साल में उन्होंने भूलन कांदा उपन्यास लिखा. इसी उपन्यास को 'भूलन द मेज' फिल्म के रूप में बनाया गया. जिसे 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के दौरान बेस्ट छत्तीसगढ़ी फिल्म का अवॉर्ड दिया गया.

शूटिंग के समय शेड में रही पूरी यूनिट, सांप-तेंदुए की आहट के बीच 34 दिन में पूरी हुई 'भूलन द मेज': मनोज वर्मा

इस फिल्म की शूटिंग गरियाबंद के भुजिया गांव में हुई थी. इसमें एक्टर ओंकार दास मानिकपुरी ने काम किया है. इस फिल्म के टाइटल सॉन्ग का म्यूजिक कैलाश खेर ने दिया है. इस फिल्म को कोलकाता और कैलिफोर्निया फिल्म फेस्ट में अवार्ड मिल चुका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.