रायपुर: राजनांदगांव के एक 63 साल के शख्स की छाती की चमड़ी से बाहर निकले पेसमेकर के संक्रमित को लेजर लीड एक्सट्रैक्शन से हटाया गया है. डॉक्टर ने पत्थर के समान कठोर हो चुके वायर को लेजर लीड एक्सट्रैक्शन तकनीक से भाप बनाकर बाहर निकाला. first laser pacemaker lead extraction
डॉ. स्मित श्रीवास्तव की टीम की कामयाबी: अंबेडकर हॉस्पिटल रायपुर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्टव की टीम को यह कामयाबी मिली है. इस टीम के नेतृत्वकर्ता कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के मुताबिक ''अब तक किसी भी शासकीय हृदय चिकित्सा संस्थान में किया गया यह पहला ऑपरेशन है. इससे पहले देश के गवर्नमेंट ऑफ कर्नाटक के ऑटोनॉमस (स्ववित्तपोषित) संस्थान जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च, मैसूर में वायर को निकालने के लिए ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई थी.
राजनांदगांव के मरीज का सफल ऑपरेशन: डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि ''राजनांदगांव निवासी मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित पेसमेकर अपने मूल स्थान से हट गया था. पेसमेकर का जो वायर हृदय तक जाता है, वह संक्रमित हो चुका था. काफी स्टडी के बाद इस मरीज के पेसमेकर के संक्रमित वायर को निकालने के लिए यह तकनीक अपनाई गई.''
यह प्रक्रिया क्यों अपनाई गई: डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि "10 साल पहले रायपुर के एक निजी अस्पताल में इस मरीज को पेसमेकर लगा था. 10 साल बाद यानी 2020 में पेसमेकर की आयु पूर्ण हो गई. 17 अगस्त 2020 को एक निजी अस्पताल में पेसमेकर में एक और बैटरी डाली गई. बैटरी डालने के बाद पाया गया कि पेसमेकर छाती की चमड़ी से बाहर आ गया है. उसको प्लास्टिक सर्जन के माध्यम से 3 बार ऑपरेट किया गया. इसके बाद भी पेसमेकर चमड़ी से बाहर निकल गया. प्लास्टिक सर्जन ने कहा कि पेसमेकर को निकालना है. पेसमेकर के साथ ही उसके अंदर लगा तार (वायर) संक्रमित हो गया था. यह जरूरी था कि तार को निकालें लेकिन हमारे सामने चुनौती यह थी कि उसे किस तरीके से निकालें ? इंडिया में जो विधि चल रही है, वह मैकेनिकल विधि है. इंडिया में प्रतिवर्ष लगभग 100 वायर लीड मेकेनिकल तरीके से निकाले जाते हैं. अभी पहली बार एसीआई में लेजर द्वारा लीड एक्सट्रैक्शन किया गया."
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लीड के चारों तरफ का मांस,पत्थर की तरह हुआ कठोर: डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया " पेसमेकर जहां नहीं लगा था, वहां चीरा लगाया. वहां से पुराने पेसमेकर और पुराने लीड को छाती के पास लगाया. उसके बाद लीड लॉकिंग डिवाइस को उसके अंदर डाला और उसको लॉक कर दिया ताकि वह लेजर कैथेटर को फंसाकर रखे. इस सारी प्रक्रिया में काफी कठिनाई आई क्योंकि वायर 12 साल पुरानी थी. ऑपरेशन होने के बाद पेसमेकर और लीड के चारों तरफ का मांस हड्डी व पत्थर के समान कठोर हो गया था. वह इतना कठोर था कि डिसेक्शन करने वाली ब्लेड प्रक्रिया के दौरान 2 बार टूट गई और उसकी धार बोथरी हो गई. इसके बाद एक बड़ी शीथ के माध्यम से ग्लाइड लाइट लेजर कैथेटर को पुरानी पेसमेकर की लीड के ऊपर चढ़ाया गया. 15 से अधिक लेजर के उच्च उर्जा युक्त विकिरण देकर यह पत्थर सी सख्त फाइब्रोसिस और मांसपेशी को भाप में परिवर्तित किया गया ताकि वह लीड आसानी से बाहर निकाली जा सके.'' ऑपरेशन के दौरान पेशेंट को टेंपरेरी पेसमेकर पर रखा गया. प्रक्रिया के बाद मरीज का रक्तचाप सामान्य था. हार्ट की झिल्ली में किसी प्रकार का पानी नहीं था. आगे मरीज के छाती की दूसरी तरफ पेसमेकर पुनः डालने का और प्लास्टिक सर्जरी विभाग डीकेएस के द्वारा दाहिनी तरफ की पुरानी जगह को फ्लैप विधि द्वारा बंद करने की योजना है. अगली प्रक्रिया तीन चार दिन बाद संपन्न की जाएगी.
क्या है लेजर लीड एक्सट्रैक्शन: लेजर लीड एक्सट्रैक्शन एक लेजर तकनीक है, जिसका उपयोग हृदय के अंदर से पेसमेकर या डिफाइब्रिलेटर तार या तारों को हटाने के लिए किया जाता है. हृदय गति या हृदय ताल / रिदम को विनियमित करने के लिए हृदय रोगियों में एक कार्डियक पेसमेकर या एक इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) लगाया जाता है.