रायपुर: विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने विधायक धरमजीत सिंह के सवालों का सामना किया. स्वास्थ्य मंत्री ने जेसीसी (जे) विधायक धरमजीत के सवालों की तारीफ करते हुए कहा कि कई बार ऐसे प्रश्न सामने आते हैं कि विभागों के काम-काज को परखने और समीक्षा करने में मदद मिलती है. धरमजीत सिंह ने चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती और उपस्थिति के संबंध में हेल्थ मिनिस्टर से सवाल पूछा था.
जेसीसी (जे) विधायक धरमजीत सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा कि छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षकों के 1377 पद स्वीकृत हैं. इसमें से 784 पद भरे हैं और 593 पद रिक्त हैं. यानी मेडिकल कॉलेज में 80 फीसदी सीट खाली हैं. 45 फीसदी चिकित्सा शिक्षक के पद रिक्त हैं. उन्होंने कहा कि जो एमबीबीएस और एमडी हैं उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने के लिए दो वर्षों का नियम है. 563 में से आधे लोगों ने ज्वॉइन किया, आधे लोगों ने नहीं किया. इसमें दंड देने के लिए क्या सिर्फ आर्थिक प्रावधान है या कोई और भी कड़े नियम हैं ?
सिंहेदव ने धरमजीत के सवालों की तारीफ की
इस सवाल के जवाब में हेल्थ मिनिस्टर टीएस सिंहदेव ने इस प्रश्न की तारीफ करते हुए प्रक्रियाओं के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि हर साल नियम बनते हैं. 2011 से जो नियम शुरु हुए वो ये थे कि स्नातकोत्तर में अगर आपने बॉन्ड भरा और सेवा में उपस्थित नहीं हुए तो वसूली की कार्रवाई होती थी. 2011 से 2014 तक स्नातकोत्तर की डिग्री के अनारक्षित वर्ग के लिए 10 लाख रुपए और आरक्षित वर्ग के लिए 5 लाख रुपए. आरक्षित ओपन के लिए 5 लाख रुपए और इन सर्विस के लिए 2.5 लाख रुपए का प्रावधान था. सिंहदेव ने कहा कि 2015 में राशि ये बढ़ाकर 50 और 40 लाख की गई. ये पिछली सरकार का फैसला है, जो अब तक लागू है.
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राशि बढ़ाने से उपस्थिति बढ़ी: सिंहदेव
टीएस सिंहदेव ने कहा कि जैसा कि धरमजीत सिंह ने कहा कि इतने बच्चे पढ़कर तैयार होते हैं लेकिन ज्वॉइन नहीं करते. बहुत से बच्चे पहले बॉन्ड राशि पटा देते थे और सेवा में उपस्थित नहीं होते थे. बॉन्ड की राशि बढ़ाने पर उपस्थिति बढ़ी है. अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों में अटेंडेंस बढ़ी है.
धरमजीत सिंह ने पूछे नियम
धरमजीत सिंह ने पूछा कि क्या ये सही है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए ये नियम नहीं है सिर्फ सरकारी कॉलेज के छात्रों के लिए है ? धरमजीत सिंह ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करके बच्चे मेडिकल की पढ़ाई करते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा नहीं देते. गांव में बिना डॉक्टर के लोग मर जाते हैं तो क्या कोई ऐसा नियम बनेगा कि चाहे सिर्फ एक साल के लिए ही सही लेकिन डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना जरूरी हो. क्या डॉक्टर्स के रहने की व्यवस्था के बारे में कुछ सोचा गया है ?
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एक डॉक्टर बनने में लगते हैं 97 लाख रुपए: सिंहदेव
इस सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा कि एक बच्चे को पढ़ाने में, डॉक्टर बनाने में माना जाता है कि पब्लिक के करीब 97 लाख रुपए लगते हैं. फिर वो सेवा के लिए नहीं उपस्थित होते तो ये वेकैंसी आती हैं. सिंहदेव ने कहा कि जैसे-जैसे मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं, डॉक्टर की संख्या बढ़ रही है. हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि इन परिस्थितियों में ये समय आएगा जब 2 साल के बॉन्ड की जरूरत इसलिए नहीं पड़ेगी क्योंकि उतने पद ही नहीं खाली होंगे. ये पद भरते जा रहे हैं. निजी कॉलेजों के बॉन्ड की जानकारी नहीं है.