रायपुर: देश सहित प्रदेश की जनता पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है, इस बार यह मार कमर्शियल एलपीजी पर देखने को मिली है. कमर्शियल गैस के दाम में 105 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. हालांकि इस दौरान घरेलू गैस की कीमतें जस की तस बनी हुई है. उसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. लेकिन अचानक से हुई कमर्शियल गैस के दामों में की गई बढ़ोतरी से जहां एक ओर उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को बैठे-बैठे मुद्दा भी मिल गया है.
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'दाम बढ़ना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया'
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP State Spokesperson Sanjay Srivastava) का कहना है कि 'यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध का असर स्वभाविक तौर पर दिखना था. इसकी वजह से क्रूड आयल के दामों में बढ़ोतरी हुई है. जिस वजह से कमर्शियल गैस के दाम बढ़ाए गए हैं. कई बार व्यवस्थाओं को बनाने के लिए ना चाहते हुए भी कुछ चीजों के दामों में बढ़ोतरी की जाती है. महंगाई की बात कांग्रेस ना करें, क्योंकि उस दौरान जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी तो महंगाई दर काफी कम थी. लेकिन जैसे ही 10 साल के बाद मनमोहन सिंह की सरकार गई, तो महंगाई 3 गुना बढ़ चुकी थी'.
पांच राज्यों में चुनाव खत्म होते ही दिखेगा असर
अर्थशास्त्री प्रोफेसर तपेश गुप्ता (Economist Professor Tapesh Gupta) का कहना है कि 'एलपीजी सहित पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में हुई बढ़ोतरी का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था सहित आम लोगों के बजट पर पड़ता है. क्योंकि गैस, डीजल, पेट्रोल के दाम बढ़ने से उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी होगी और ऐसा यदि होता है तो स्वभाविक है महंगाई भी पड़ती है. तपेश ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया, उन्होंने कहा कि सरकार पर तभी तक अंकुश लगा रहता है जब तक की चुनाव पास में हो और चुनाव खत्म होते ही इसका प्रभाव देखने को मिलने लगता है. वर्तमान में पांच राज्य में चुनाव हो रहे हैं और अभी यहा तो सिर्फ कमर्शियल गैस के दाम बढ़े हैं आने वाले समय में घरेलू गैस और पेट्रोल डीजल के दामों में भी बढ़ोतरी होगी.
तपेश ने कहा कि '5, 10, 20 और 50 रुपये की बढ़ोतरी तक तो ठीक था लेकिन अब यह बढ़ोतरी सैकड़ों में होने लगी है जो चिंता का विषय है. इससे कहीं ना कहीं सरकार की लोकप्रियता पर भी असर देखने को मिलेगा. यह माना जा सकता है कि इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए बढ़ोतरी जरूरी है लेकिन उसकी भी एक सीमा होनी चाहिए.
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भूपेश बघेल ने दाम बढ़ने को लेकर पहले ही दे दिए थे संकेत
ऐसा नहीं है कि इस बढ़ोतरी की आशंका राज्य सरकार को पहले से नहीं थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा था कि टयूक्रेन और रूस में चल रहे युद्ध का असर आने वाले समय में गैस सहित पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में देखने को मिलेगा. इस दौरान उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि 'युद्ध का परिणाम तो बाद में देखने को मिलेगा उसके पहले चुनाव का असर देखने को मिलेगा. 7 मार्च बीतने दीजिए उसका असर तत्काल देखने को मिलेगा. सबसे पहले डीजल पेट्रोल और गैस के दामों में बढ़ोतरी होगी'.
पेट्रोल डीजल के दाम 4 महीने से हैं स्थिर
छत्तीसगढ़ की बात कि जाए तो यहां पेट्रोल डीजल के दाम लगभग 4 महीने से ज्यादा समय से स्थिर बने हुए हैं. 4 नवंबर को छत्तीसगढ़ सरकार ने वेट में कुछ कमी की थी. उसके बाद से लेकर अब तक पेट्रोल डीजल के दाम स्थिर है. लगभग 4 महीने से यही स्थिति बनी हुई है. वर्तमान में पेट्रोल 101.11 रुपये और डीजल 92 33 रुपये प्रति लीटर है.