रायपुर : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 6 महीने पूरे हो गए हैं. किसान संगठन पूरे देश में काला दिवस मना रहे हैं. छत्तीसगढ़ में भी किसान काला दिवस मना रहे हैं. छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ और दूसरे किसान संगठनों ने घरों पर काला झंडा फहराने और पुतला जलाकर विरोध जताने की भी तैयारी की है.
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने बताया कि 'संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संगठन 26 मई को काला दिवस मनाएंगे. इस दौरान किसान अपने घरों और गाड़ियों पर काला झंडा लगाएंगे. जगह-जगह पीएम मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का पुतला भी जलाएंगे.' लोगों ने काले झंडे बनवा लिए हैं. कार्डबोर्ड और कागज पर स्लोगन और नारे लिखे गए हैं. रायपुर, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, दुर्ग, बेमेतरा जैसे जिलों में इस संबंध में बैठक भी हुई है.
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किसानों का आक्रोश
किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि 'केंद्र सरकार ने 5 जून 2020 को अध्यादेश के जरिए किसान और कृषि विरोधी कानून थोपा है. उसके खिलाफ किसानों के आंदोलन को छह महीने हो गए. अब मोदी सरकार रेलवे, बैंक, बीमा, भेल, विमान कंपनियों जैसे सार्वजनिक उद्यमों को निजी हाथों में बेच रही है. कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूर विरोधी चार कानून बनाए गए.'
कोरोना को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नाराजगी
किसान संगठनों ने कहा कि 'भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कोरोना जैसी महामारी के पहले चरण में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम किया और दूसरे चरण में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बहाने कोरोना का संक्रमण बढ़ाया. देश के लाखों लोग कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं, आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है, उसके बावजूद सरकार करोड़ों रुपए का अनावश्यक खर्च कर सेंट्रल विस्टा बनाने में लगी हुई है.'