कोरबा: छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरबा जैसे महत्वपूर्ण जिले की कानून व्यवस्था की कमान अब 2011 बैच के आईपीएस संतोष कुमार सिंह को सौंपी है. संतोष बेसिक पुलिसिंग के साथ ही रचनात्मक कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं. उन्हें हाल ही में 40 साल से कम उम्र वाले पुलिस अधिकारियों को दिए जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिला है. यह अवार्ड देशभर में सिर्फ 2 आईपीएस अधिकारियों को मिला है. IPS संतोष कुमार की तरफ से चलाए गए ऑपरेशन निजात को भी देश के 30 बेस्ट स्मार्ट पुलिसिंग प्रैक्टिसेस में शामिल किया गया है. यह अभियान नशा के विरोध में है. कोरबा जिला कोयला और डीजल चोरी के लिए भी प्रदेश भर में कुख्यात रहा है. ऐसे में रचनात्मक कार्य और कानून व्यवस्था के बीच संतोष कुमार किस तरह तालमेल बिठाएंगे. इस पर उन्होंने ETV भारत से खास बातचीत की. (ETV Bharat talks with IPS Santosh Kumar Singh)
सवाल - आपने बीएचयू के साथ ही जेएनयू से भी पढ़ाई की है, वहां से होते हुए यहां तक के सफर के बारे में बताइए ?
जवाब - मेरी स्कूलिंग नवोदय विद्यालय से हुई है. इसके बाद मैंने ग्रेजुएशन और पीजी की डिग्री बीएचयू (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) से की. मेरा विषय पॉलिटिकल साइंस था. इसके बाद मैंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर एमफिल किया है. साथ ही साथ अभी भी मैं अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पीएचडी कर रहा हूं. 2011 में मेरा चयन संघ लोक सेवा आयोग के लिए हुआ. आईपीएस के तौर पर चयनित होने के बाद मैं छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में अपनी सेवाएं दे रहा हूं. (IPS Santosh Kumar Singh studies)
सवाल - हाल ही में आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आईएसीपी सम्मान मिला है, हम उसके बारे में भी जानना चाहेंगे?
जवाब - जी हां मुझे अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर चीफ्स ऑफ पुलिस(IACP) यह दुनिया भर के पुलिस अधिकारियों का संगठन है. जिसका मुख्यालय यूएसए में है. उन्होंने लीडरशिप के लिए अंडर 40 के तहत ये सम्मान दिया. देशभर से 2 पुलिस अधिकारियों को सिलेक्ट किया गया है. जिसमें से एक मैं हूं और मैं खुद को इसके लिए भाग्यशाली मानता हूं. दुनिया भर से 40 पुलिस अधिकारियों को यह सम्मान मिला है. यह सम्मान पुलिस कर्मियों के लीडरशिप के साथ ही जो क्रिएटिव काम है. उसके लिए दिया जाता है. यह सम्मान सिर्फ मुझे ही नहीं जिस जिले में मैं पदस्थ रहा, वहां की पूरी टीम का है. निश्चित तौर पर जब ऐसा कोई सामान मिलता है तो सभी इससे प्रोत्साहित होते हैं. (International Award to IPS Santosh Kumar Singh)
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सवाल - आपके द्वारा चलाए गए ऑपरेशन निजात को अच्छा प्रतिसाद मिला, कोरबा में न सिर्फ शराब बल्कि अन्य तरह के नशे का भी कारोबार है। यहां आपका अभियान कितना कारगर रहेगा?
जवाब - राज्य शासन ने भी हमें यह निर्देश दिया है कि नशे के विरोध में ठोस कदम उठाया जाए। सीएम साहब ने खुद भी कहा था कि गांजे की एक पत्ती भी प्रदेश में नहीं आनी चाहिए. इसके लिए हम कटिबद्ध हैं. उनके निर्देश पर ही हमने राजनांदगांव और कोरिया में निजात अभियान शुरू किया था. जिसमें सिर्फ अवैध शराब ही नहीं बल्कि सभी तरह के नशे के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले पदार्थ फिर चाहे वह गांजा हो नारकोटिक्स द्वारा अधिसूचित पदार्थ, कोडिन सिरप सभी शामिल हैं. इनके कारोबार में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करेंगे. नाश न सिर्फ अपराध को बढ़ाता है बल्कि यह एक बड़ी सामाजिक बुराई भी है. जिसके लिए पब्लिक अवेयरनेस के प्रोग्राम हम बहुत ही बेहतर ढंग से संचालित कर रहे हैं जो नशे के हाईली एडिक्टेड लोग हैं. उनके लिए डीएडिक्शन प्रोग्राम भी हमने चलाया. यह अभियान काफी चर्चित रहा. देश के सर्वश्रेष्ठ 30 स्मार्ट पुलिसिंग प्रैक्टिस में भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे शामिल किया और इसके हमें बड़े सकारात्मक परिणाम देखने को मिले.कोरबा में भी निजात अभियान मैं चलाऊंगा. यहां बड़ी-बड़ी कोयले की खदानें हैं. जहां श्रमिक हो या कर्मचारी हो कई सारे लोग नशे के आदी हैं. दो-तीन दिनों की पोस्टिंग में ही मैं देख रहा हूं कि कुछ बड़ी घटनाएं यहां नशे की वजह से हुई हैं. इसलिए कोरबा के हिसाब से कुछ परिवर्तन करना पड़े तो उसमें परिवर्तन करके हम निजात अभियान को यहां भी जोर शोर से चलाएंगे.
सवाल - खदानों का आपने जिक्र किया, कोरबा में एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है. कोयले से होने वाले अपराध, फिर चाहे वह कोयला चोरी हो या डीजल चोरी इसके लिए कोरबा बदनाम रहा है. इसे कैसे रोकेंगे?
जवाब - कोरबा जिले की जो तासीर है या अलग अलग जो चीजें हैं उसमें अगर हम कोयले की बात ना करें तो यह बेमानी होगा. जो बड़ी-बड़ी कोयले की खदानें यहां संचालित हैं. उससे जुड़े हुए तमाम पावर प्लांट, सेंट्रल उद्योग हैं. तो यह लाजमी है कि उससे जुड़े अपराध भी यहां पर गठित होंगे. फिर चाहे वह कोयला चोरी हो डीजल चोरी हो और नशे को भी मैं उसमें शामिल करूँगा. संगठित और असंगठित तौर पर जो गुंडागर्दी के प्रकरण सामने आते हैं, उसमें हम लोग सख्ती बरतेंगे. आप आने वाले समय में देखेंगे कि यह सब बेसिक पुलिसिंग का काम है. इस पर हम पूरी तरह से रोक लगाएंगे.
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सवाल - हम देखते हैं कि इक्रिएटिव काम करने के प्रयास में बेसिक पुलिसिंग ढीली पड़ने लगती है, तो आप बेसिक पुलिसिंग और क्रिएटिव एक्टिविटीज में कैसे तालमेल बिठाते हैं?
जवाब - हम जो भी काम करते हैं, जो अभियान होते हैं. वह सभी लोगों के हित में होते हैं. हमारी सबसे पहली प्राथमिकता कानून व्यवस्था को संभालना और अपराध को नियंत्रित करना है. वह हमें करना ही है. यह बेसिक पुलिसिंग है. लेकिन इसी बीच अगर हम कोई प्रोग्राम ऐसा चलाते हैं. जिससे हमें पुलिसिंग में मदद मिले, जब कम्युनिटी को हम पुलिस से जोड़ते हैं. तब हम इसे कम्युनिटी पुलिसिंग कहते हैं. एक छोटा सा उदाहरण मैं आपको दूंगा। जब मैं महासमुंद में था तब हमने चाइल्ड फ्रेंडली पुलिसिंग कि शुरुआत की. बच्चों के प्रति वहां अधिक अपराध होते थे. लेकिन जब हमने लोगों को इसमें शामिल किया, तब बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों में कमी आई. लोग भी हमसे जुड़ें.उसके लिए भी महासमुंद की पुलिस को एक राष्ट्रीय अवार्ड मिला. इसी तरह जब हम रायगढ़ में थे तब कोविड का दौर था. उस समय मास्क के प्रति सख्ती बरतनी थी. लेकिन जब हम सख्ती बरत रहे हैं, तो अवेर्नेस प्रोग्राम भी चलाना चाहिए.हमने रक्षा सूत्र एक मास्क का कार्यक्रम चलाया और एक ही दिन में साढ़े 11 लाख मास्क बांटे. इससे पुलिसिंग भी हुई और मास्क के प्रति अवेयरनेस भी. इसी तरह से जो ऑपरेशन निजात है उसकी जड़ नशा है. हर 10 अपराधों में से 4 में उसका मूल कारण नशा होता है. इसलिए इसे हम क्राइम की तरह डील करें और साथ ही साथ अगर हम इसमें कम्युनिटी को भी शामिल करें तो हमारा दोनों काम हो जाएगा. इसमें दोनों काम होते हैं. कोई विरोधाभास नहीं होता, लोग जुड़ते हैं. कम्युनिटी और पुलिस दोनों का काम होता है. अपराध नियंत्रण में भी निश्चित तौर पर मदद मिलती है.
सवाल - कोरबा जैसा जिले में जहां कोयले से संबंधित अपराध हैं, कटघोरा वाला बेल्ट एक्सीडेंट प्रोन एरिया है. पुलिसकर्मियों का शेड्यूल काफी हेक्टिक होता है. उनके स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए क्या कोई प्लान है?
जवाब - इस संबंध में हमें पुलिस मुख्यालय से भी लगातार निर्देश मिलते रहते हैं. वेलफेयर की जो एक्टिविटीज है उसे लगातार चलाया जाए. पुलिस कर्मियों का शेड्यूल काफी कड़ा होता है. 24 घंटे का काम होता है. कई बार तो लोग अपने परिवार को पूरी तरह से इग्नोर कर देते हैं. वेलफेयर की जो एक्टिविटीज पहले से चल रही हैं. वह चलती रहेंगी और मेरी जो योजना है कि पुलिसकर्मियों से जो उनकी समस्या है, उस पर उनसे एक एक करके बात की जाए. प्रोफेशनल है तो प्रोफेशनल स्तर पर उसे डील किया जाए.
सवाल - छत्तीसगढ़ में क्रिप्टो करेंसी के लिए छत्तीसगढ़ में पहला अपराध आपने राजनांदगांव में दर्ज किया, तो जो लोग इसमें इन्वेस्ट कर रहे हैं, उन्हें आप क्या सलाह देना चाहेंगे?
जवाब - साइबर से संबंधित कई तरह के अपराध हो रहे हैं. पहले साइबर क्राइम होते थे. अब साइबर फ्रॉड होने लगा है.कई बार यह अपराध इतनी तकनीकी होते हैं कि विवेचक को भी समझ में नहीं आता है. थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है. क्रिप्टो के मामले में न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में केवल दो या तीन अपराध दर्ज हो सके हैं. अचानक से क्रिप्टो करेंसी में लोग बहुत ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करने लगे हैं. लेकिन इसकी कोई रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं है. पैसा कहां जा रहा है, कहां इन्वेस्ट हो रहा है. कुछ पता नहीं चलता.आप इसे वापस पाने के लिए क्लेम भी नहीं कर सकते. तो राजनांदगांव वाले प्रकरण में हमने काफी मेहनत की काफी प्रयास करना पड़ा, जिसके बाद हमने न सिर्फ राशि को ट्रेस किया ट्रेल किया. उस अकाउंट को भी फ्रीज़ करवाया. अब पैसे वापसी की प्रक्रिया जारी है. लेकिन मैं तो कहूंगा कि क्रिप्टो करेंसी में अभी यदि इन्वेस्ट करना ही है तो बहुत समझ बूझ के बहुत सतर्कता से निवेश करें. आपका पैसा कीमती है, कई बार जोखिम के चक्कर में हम अपना पैसा गंवा देते हैं. बल्कि मेरी तो यह सलाह रहेगी कि क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने से अभी लोगों को बचना चाहिए.