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बस्तर गोंचा पर्व पर कोरोना का असर, एक ही रथ में सवार हुए भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बालभद्र

बस्तर में 613 साल से चली आ रही परंपरा का पालन करते हुए धूमधाम के साथ गोंचा पर्व मनाया गया. कोरोनाकाल की वजह से केवल एक ही रथ में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा ,बलभद्र की रथ यात्रा निकाली गई. बस्तर राजकुमार कमल चंद भंजदेव ने इस रथ यात्रा से पूर्व भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि विधान से की.

बस्तर गोंचा पर्व
बस्तर गोंचा पर्व
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Published : Jul 12, 2021, 10:32 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 11:11 PM IST

जगदलपुर: बस्तर में भी गोंचा पर्व धूमधाम से मनाया गया. करीब 613 वर्षों से बस्तर में चली आ रही परंपरा को आज भी बस्तरवासी उसी उत्साह के साथ मनाते दिखाई दिए. गोंचा पर्व के दौरान इस बार कोरोनाकाल की वजह से केवल एक ही रथ में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा ,बलभद्र की रथ यात्रा निकाली गई. भगवान जगन्नाथ को बस्तर की पारंपरिक तुपकी से सलामी दी गई. इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचे.

बस्तर गोंचा पर्व पर कोरोना का असर

वहीं गोंचा पर्व समिति ने कोरोना से बचावा के सारे नियमों का पालन किया. इसके साथ ही रथ यात्रा निकाली गई. इस मौके पर स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक भी मौजूद रहीं. किरणमई पहली बार गोंचा पर्व में शामिल हुईं.बस्तर में आरण्यक ब्राह्मण समाज द्वारा पिछले 613 वर्षों से गोंचा का पर्व मनाया जा रहा है. इस पर्व पर कोरोना का असर दिखा. कोरोना के कारण इस बार गोंचा पर्व में तीन रथ की जगह एक रथ था. एक ही रथ पर भगवान जगन्नाथ ,माता सुभद्रा और बलभद्र की रथ यात्रा निकाली गई. रियासत काल से चली आ रही यह परंपरा बस्तर में आज भी कायम है.

बस्तर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व के बाद गोंचा पर्व को दूसरा बड़ा पर्व माना जाता है. करीब 613 वर्ष पूर्व बस्तर के तत्कालीन महाराजा पुरुषोत्तम देव पदयात्रा कर पुरी गए थे. जिसके बाद पुरी के तत्कालीन राजा गजपति द्वारा उन्हें रथपति की उपाधि दी गई थी. प्राचीन समय में बस्तर के महाराजा रथ यात्रा के दौरान रथ पर सवार होते थे, तब से ही बस्तर में यह पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है. परंपरा अनुसार रथ यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा को अपने साथ गुंडेचा मंदिर ले जाकर 7 दिनों तक वहां विश्राम करते हैं. बस्तर राजकुमार कमल चंद भंजदेव ने आज भी इस रथ यात्रा से पूर्व भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि विधान से की.

इस रथ यात्रा में बस्तर सांसद दीपक बैज भी शामिल हुए. दीपक बैज ने इस गोंचा पर्व की बधाई देते हुए कहा कि, कोरोना की वजह से बीते सालों की तुलना में इस वर्ष भक्तों की संख्या कम होने की वजह से पर्व थोड़ी फीकी जरूर पड़ी है. लेकिन इस पर्व के सारे रस्मों को धूमधाम से मनाया गया है. रथ यात्रा के बाद अब अगले सप्ताह भर तक भगवान जगन्नाथ ,देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रह को शहर के सिरहासार भवन में स्थापित किया जाएगा. यहां सप्ताह भर श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे ,वहीं इस दौरान 56 भोग और अन्य रस्म भी निभाई जाएगी. आज से 10 वें दिन के बाद वापस फिर से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र को रथारूढ़ कर वापस जगन्नाथ मंदिर पहुंचाया जाएगा

जगदलपुर: बस्तर में भी गोंचा पर्व धूमधाम से मनाया गया. करीब 613 वर्षों से बस्तर में चली आ रही परंपरा को आज भी बस्तरवासी उसी उत्साह के साथ मनाते दिखाई दिए. गोंचा पर्व के दौरान इस बार कोरोनाकाल की वजह से केवल एक ही रथ में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा ,बलभद्र की रथ यात्रा निकाली गई. भगवान जगन्नाथ को बस्तर की पारंपरिक तुपकी से सलामी दी गई. इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचे.

बस्तर गोंचा पर्व पर कोरोना का असर

वहीं गोंचा पर्व समिति ने कोरोना से बचावा के सारे नियमों का पालन किया. इसके साथ ही रथ यात्रा निकाली गई. इस मौके पर स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक भी मौजूद रहीं. किरणमई पहली बार गोंचा पर्व में शामिल हुईं.बस्तर में आरण्यक ब्राह्मण समाज द्वारा पिछले 613 वर्षों से गोंचा का पर्व मनाया जा रहा है. इस पर्व पर कोरोना का असर दिखा. कोरोना के कारण इस बार गोंचा पर्व में तीन रथ की जगह एक रथ था. एक ही रथ पर भगवान जगन्नाथ ,माता सुभद्रा और बलभद्र की रथ यात्रा निकाली गई. रियासत काल से चली आ रही यह परंपरा बस्तर में आज भी कायम है.

बस्तर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व के बाद गोंचा पर्व को दूसरा बड़ा पर्व माना जाता है. करीब 613 वर्ष पूर्व बस्तर के तत्कालीन महाराजा पुरुषोत्तम देव पदयात्रा कर पुरी गए थे. जिसके बाद पुरी के तत्कालीन राजा गजपति द्वारा उन्हें रथपति की उपाधि दी गई थी. प्राचीन समय में बस्तर के महाराजा रथ यात्रा के दौरान रथ पर सवार होते थे, तब से ही बस्तर में यह पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है. परंपरा अनुसार रथ यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा को अपने साथ गुंडेचा मंदिर ले जाकर 7 दिनों तक वहां विश्राम करते हैं. बस्तर राजकुमार कमल चंद भंजदेव ने आज भी इस रथ यात्रा से पूर्व भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि विधान से की.

इस रथ यात्रा में बस्तर सांसद दीपक बैज भी शामिल हुए. दीपक बैज ने इस गोंचा पर्व की बधाई देते हुए कहा कि, कोरोना की वजह से बीते सालों की तुलना में इस वर्ष भक्तों की संख्या कम होने की वजह से पर्व थोड़ी फीकी जरूर पड़ी है. लेकिन इस पर्व के सारे रस्मों को धूमधाम से मनाया गया है. रथ यात्रा के बाद अब अगले सप्ताह भर तक भगवान जगन्नाथ ,देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रह को शहर के सिरहासार भवन में स्थापित किया जाएगा. यहां सप्ताह भर श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे ,वहीं इस दौरान 56 भोग और अन्य रस्म भी निभाई जाएगी. आज से 10 वें दिन के बाद वापस फिर से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र को रथारूढ़ कर वापस जगन्नाथ मंदिर पहुंचाया जाएगा

Last Updated : Jul 12, 2021, 11:11 PM IST
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