गौरेला पेंड्रा मरवाही : जिले के अंतिम छोर में बसा गौरेला जनपद पंचायत का पुटा ग्राम पंचायत का डांडजमडी गांव जहा पर विकास खोजने में भी नहीं (Lack of facilities in Dandjamdi village of Gaurela) मिलता. मगर विकास के नाम पर यहां रहने वाले ग्रामीणों के साथ मजाक जरूर किया जाता है. इस गांव के एक ओर महज 500 मीटर की दूरी में कोरबा जिले की सीमा तो दूसरी ओर 300 मीटर की दूरी पर बिलासपुर जिले की सीमा लगती है. उसके बाद भी यहां रहने वाले ग्रामीण आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओ से वंचित हैं. आज भी गांव में सड़क, पानी, बिजली की समस्या को लेकर यहां रहने वाले लोगों को दो चार होना पड़ता है.
क्यों है गांव की हालत खराब : यहां के ग्रामीणों को 15 किलोमीटर जंगल पगडंडियों के उबड़खाबड़ पहाड़ी रास्ते से होकर जाना पड़ता (Gaurela Dandjamdi Gram Panchayat) है. जिसमें दो से तीन घंटे का समय जाने में तो 2 से 3 घंटे का समय वापसी के लिए लगता है.वहीं ग्रामीणों की माने तो अगर वे लोग बस या बाइक से ग्राम पंचायत मुख्यालय जाना चाहे तो उंसमे भी बड़ी समस्या होती है. इन्हें डांडजमडी से पुटा गांव जाने के लिए डांडजमडी से केन्दा,कारीआम,बसंतपुर कोडगार गांव होते हुए जाना पड़ता है. जिसमें उन्हें लगभग 70 किलोमीटर की दूरी एक तरफ की पड़ती है. जिसमें आने जाने में पूरा दिन निकल जाता है. काम हुआ तो ठीक नही हुआ तो फिर वापस होना पड़ता (no roads in Dandjamdi village) है.
शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं : ग्रामीणों की माने तो ग्राम पंचायत मुख्यालय से डांडजमडी गांव तक सड़क बनाने की मांग कई बार की गई पर आज तक सड़क नही बनाई गई. ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर भी वादाखिलाफी का आरोप लगाया (Dandjamdi village of Gaurela block in marwahi) है. ग्रामीणों की माने तो चुनाव के दौरान सड़क बनाने का आश्वासन जरूर दिया जाता है. पर चुनाव निकलने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि यहां पर पलट कर नहीं देखता. वही ग्रामीणों की माने तो वो यहां पर बहुत बुरे हाल में रहने को मजबूर हैं. सड़क पानी को लेकर उन्हें संघर्ष करना पड़ता है.
नाले का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण : यहां के ग्रामीण बरसात में भी नदी के किनारे बने ठोड़ी का पानी पीने को मजबूर है. ग्रामीणों की माने तो कोई ऐसा दिन भी नही निश्चित किया गया है जिस दिन यहां रहने वाले लोगों की समस्या सुनने के लिए जनप्रतिनिधि और अधिकारी गांव में लोगों से मिले उनकी समस्या सुने. ग्रामीणों की माने तो स्थानीय समस्या की जानकारी गांव में रहने वाले लोगों के द्वारा सरपंच सचिव को दी जाती है. लेकिन बाद में समस्या का निराकरण नहीं होता. वहीं हैरानी की बात ये भी सामने आई कि कुछ दिन पहले गांव में पीने के पानी के लिए टंकी लगाई गई थी. पर आज तक उसमें से उन्हें पानी नहीं मिला.
बारिश में पानी की समस्या : इस गांव में बरसात में पानी की समस्या है. तो सोचिए गर्मी में क्या स्थिति रहती होगी. सावन सिंह कहते हैं कि आज तक उनके गांव में कोई नेता उनकी समस्या सुनने नही पहुंचे हैं. ना ही कोई अधिकारी उनकी सुध लेने गांव तक आया है. वहीं ग्रामीणों को उनके क्षेत्र के विधायक का नाम भी नही मालूम. उनसे हमने जब उनके क्षेत्रीय विधायक का नाम जानना चाहा तो उन्होंने बड़े ही मासूमियत से विधायक का नाम बघेल बतलाया. हालांकि कौन बघेल क्या नाम उन्हें नहीं पता बस उन्हें ये पता है कि उनके विधायक बघेल हैं. हालांकि जब पूर्व विधायक अजीत जोगी को जानने की बात कही तो जरूर बतलाए वो एक बार हेलीकाप्टर में जरूर उनके गांव आए थे. शासन प्रशासन का दावा है कि हर अंतिम छोर तक विकास हर अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचे और उन्हें उनकी मूलभूत सुविधाएं मिले पर जिले के अंतिम छोर में बसा यह गांव सरकार के दावे की हकीकत सामने लाकर रख रही (gaurela pendra marwahi news) है.