बिलासपुर: खदान खोलने के विरोध में ग्रामीणों की पदयात्रा (Hansdev Pad Yatra in Bilaspur) बिलासपुर पहुंची. प्रदर्शनकारी हसदेव कैचमेंट में बसे सरगुजा, कोरबा के दो दर्जन गांवों के आदिवासी ग्रामीण है. जो खदान खोलने के विरोध में पैदल मार्च (protest against opening mines )कर रहे हैं. ग्रामीण इस समय बिलासपुर पहुंचे हैं. जहां से वे पैदल यात्रा कर रायपुर जाएंगे. राजधानी में प्रदर्शनकारियों की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) से मिलने की योजना है. ग्रामीण मदनपुर से 4 अक्टूबर को पैदल निकले थे. इसी जगह राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सभा कर खदान नहीं खुलने देने की बात कही थी.
हरदेव अरण्य के बचाव में उतरे हजारों किसान
जल जंगल और जमीन (jal jangal jameen) बचाने की लड़ाई के लिए हसदेव बचाओ पदयात्रा सोमवार को हसदेव अरण्य क्षेत्र से शुरू हुई. दस दिनों तक 300 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए ये यात्रा 13 अक्टूबर को रायपुर पहुंचेगी. जिले के अंतिम छोर पर स्थित मोरगा के समीप गांव मदनपुर में एक सभा का भी आयोजन किया गया था. जहां हरदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ग्रामीणों को संबोधित किया था. यात्रा की शुरुआत मदनपुर गांव के उस ऐतिहासिक स्थान से की गई थी जहां पर साल 2015 में राहुल गांधी ने हसदेव अरण्य के समस्त ग्राम सभाओं के लोगों को संबोधित करते हुए उनके जल- जंगल -जमीन को बचाने के लिए संकल्प लिया था. यह भी कहा था कि वे इस संघर्ष में उनके साथ हैं.
जल, जंगल जमीन को बचाने के लिए कोरबा से हसदेव पदयात्रा शुरू
बिलासपुर हसदेव कैचमेंट एरिया (Bilaspur Hasdeo Catchment Area) की गोद में बसे सरगुजा और कोरबा जिले के करीब दो दर्जन गांवों से आदिवासी एक बड़ा संकल्प लेकर मदनपुर से 4 अक्टूबर को निकले. इनका संकल्प है कि हसदेव अरण्य (Hasdeo Aranya) को उजड़ने नहीं देंगे. आखिरी सांस तक अपनी जमीन, जंगल और पानी को बचाने के लिये लड़ेंगे. 4 अक्टूबर को निकले पैदल यात्री 11 दिन का सफर कर रायपुर पहुंचेंगे. जहां कांग्रेस नेताओं को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और उनके वादोंं को याद दिलाएंगे. राहुल गांधी ने वादा किया था कि एक भी खदान वो हसदेव अरण्य क्षेत्र में नहीं खुलने देंगे.
खनिज संपदा की खुदाई का विरोध शुरू
हसदेव अरण्य (Hasdeo Aranya) क्षेत्र में लगभग 20 खदान प्रस्तावित है. यहां से खनिज संपदा की खुदाई की जाएगी. खदान खुलने से हसदेव अरण्य (Hasdeo Aranya) पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा. इसी बर्बादी को रोकने करीब 12 गावों के 300 ग्रामीण पैदल यात्रा कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि मदनपुर पंचायत से उनका सफर शुरू हुआ है, ये वही पंचायत है जहां कांग्रेस के तब राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ग्रामीणों को सभा लेकर आश्वस्त किया था कि यहां एक भी खदान नहीं खुलने देंगे.
सरकार को हमारी मांगें माननी ही पड़ेगी
प्रदेश कांग्रेस के तमाम बड़े नेता भी इस जगह पर मौजूद थे और उन्होंने हामी भरी थी. यहीं वादा याद दिलाने के लिये ये आदिवासी अपनी सीमित संसाधनों से यात्रा शुरू कर चुके हैं. 11 दिन तक पैदल चलते हुए करीब 300 किलोमीटर दूर राजधानी रायपुर पहुंचने के लिये एक बड़े हौसले की जरूरत थी. उनके पास एक छोटी मालवाहक गाड़ी में गांव से इकट्ठा किया गया. वहीं पैदल यात्री राम लालसिंह ने बताया कि जब खुद मुख्यमंत्री ने 2015 में वदा किया था तो कैसे वादा भूल गए है. उन्हें हमारी मांगों को मानना ही पड़ेगा.
हसदेव बचाओ संघर्ष समिति की ये हैं मांगें
•हसदेव अरण्य क्षेत्र की समस्त कोयला खनन परियोजना को निरस्त करना
•बिना ग्रामसभा सहमति के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत किए गए सभी भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त किया जाना
•पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी कानून से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमति के प्रावधान को लागू करना
•परसा कोल ब्लॉक के लिए फर्जी प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति को तत्काल निरस्त करो एवं ग्रामसभा का फर्जी प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी और कम्पनी पर FIR दर्ज करना.
•घाट्बर्रा के निरस्त सामुदायिक वनाधिकार को बहाल करते हुए सभी गांव में सामुदायिक वन संसाधन और व्यक्तिगत वन अधिकारों को मान्यता देना.