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संदेश भेजने का एकमात्र जरिया थे डाकघर, वक्त के साथ बदलती गई तस्वीर

छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में डाकघर संचालित हैं. लेकिन बदलते वक्त के साथ डाकघर भी बदले हैं. परंपरागत सेवाओं के लिए आज भी डाकघर की सेवा याद की जाती (Post office serving people through hitech in Ambikapur) है.

Internet changed post office service in Ambikapur
संदेश भेजने का एकमात्र जरिया थे डाकघर
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Published : Jun 30, 2022, 3:01 PM IST

Updated : Jul 6, 2022, 9:02 PM IST

सरगुजा : आज के दौर में जितना जरूरी इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइड हैं कभी इससे ज्यादा प्रभावी भारतीय डाक सेवा हुआ करती थी. लेकिन इंटरनेट क्रांति ने इसके प्रभाव को कम कर दिया. अन्तर्देशीय, पोस्टकार्ड, पोस्ट बॉक्स जैसी जरूरी चीजें अनुपयोगी हो चलीं हैं. लेकिन भारतीय डाक विभाग अब भी परंपरागत सेवाओं को जारी रखे हुए है. आप आज भी अपनी पोस्ट आफिस से ये सुविधा ले सकते हैं.

इंटरनेट ने लाई क्रांति : एक समय था जब एक दूसरे से संपर्क का माध्यम सिर्फ डाक विभाग हुआ करता (ambikapur post office) था. पोस्ट एंड टेलीग्राफ के जरिए संदेश या चिट्ठी भेजी जाती थी. ये यादें उस दौर के लोगों के दिल मे बसती हैं. हालांकि युवा पीढ़ी को इससे कोई सरोकार नही, क्योंकि आज इंटरनेट के उपयोग से सेंकेंड से भी कम समय मे संदेश भेजे जा रहे हैं. लेकिन फिर भी भारतीय डाक विभाग अपनी सेवाएं जारी रए हुए हैं.

संदेश भेजने का एकमात्र जरिया थे डाकघर

आज भी उपलब्ध हैं अन्तर्देशीय और पोस्टकार्ड : संभागीय डाक घर के अधीक्षक आलोक गोमस्ता बताते हैं कि " डाक विभाग ने अपनी परंपरागत सेवाओं को बंद नही किया है. आज भी पोस्ट आफिस में आपको ढाई रुपए में अन्तर्देशीय और 50 पैसे में पोस्टकार्ड मिल (Old services continue in Ambikapur post office) जायेगा. लेटर बॉक्स भी शहर में लगे हुए हैं. लोगों ने उपयोग भले ही कम कर दिया हो लेकिन विभाग इसे चालू रखा है.''

आधुनिक सुविधाएं से लैस है डाकघर : आलोक गोमस्ता आगे बताते हैं कि "भारतीय डाक विभाग तेजी से नई तकनीकों के साथ आगे बढ़ रहा है. इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक चालू किया गया, जिसके तहत पोस्ट ऑफिस मे जमा पैसे कहीं से भी निकाले जा सकते हैं. कॉमन सर्विस सेंटर शुरू किए गए हैं. जिसमें रिजर्वेशन, आधारकार्ड, पेन कार्ड बनवाया जा सकता है. आज चिट्ठी मोबाइल से भेजी जा रही है. डाक विभाग लगातार तकनीक का इस्तेमाल कर के लोगों को सहूलियत दे रहा है"

1914 से सरगुजा में है डाक घर : पोस्ट ऑफिस के इतिहास और उससे जुड़ी यादों के संदर्भ में इतिहासकार गोविंद शर्मा बताते हैं कि " ब्रिटिश शासन में समय 1914 में सरगुजा में पोस्ट एंड टेलीग्राफ की शुरूआत की (Pre independence post office in Ambikapur) गई. उस समय ट्रेन और बस के माध्यम से डाक आती थी. फिर पोस्टमैन डाक को शॉर्ट करके हरकारों को देता था. हरकारे गांव गांव तक चिट्ठियां पहुंचाया करते थे. जब स्टेट मर्जर हुआ तब पोस्ट आफिस की बिल्डिंग राज्य सरकार के अधीन हो गई और पोस्ट ऑफिस किराये के भवन में चला गया. पुराने पोस्ट आफिस को मलेरिया विभाग बना दिया गया.

"टेलीग्राफ बंद होने की खबर ने रुलाया'' : गोविन्द शर्मा बताते हैं कि "बाद में सरगुजा में पोस्ट ऑफिस बिल्डिंग के लिये राशि स्वीकृत हुई और बाग फुलवारी के पास भवन बनाया गया.आज उसी स्थान पर संभागीय डाक घर संचालित (Internet changed post office service in Ambikapur) है. संचार क्रांति से भले ही आज एक सेकेंड में ईमेल भेजा जा सकता है लेकिन वो समय याद आते हैं. जब पता चला कि टेलीग्राफ आज से बंद हो जायेंगे तो यह खबर सुनकर रोना आ गया था"

परंपरागत सेवाएं अब भी चालू : बहरहाल इंटरनेट सोशल नेटवर्किंग साइड ने बड़ी क्रान्ति लाई है मैसेंजर के रूप में बहोत बड़ा बदलाव हुआ है. लेकिन फिर भी उस दौर के लोग उन चीजों को मिस करते हैं. जब एक संदेश का जवाब आने में सप्ताह भर का समय लग जाता था और लोग अपने खत के जवाब का इंतजार करते रहते थे. बड़ी बात ये है कि डाक विभाग ने उन सेवाओं को अब भी चालू रखा है.

सरगुजा : आज के दौर में जितना जरूरी इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइड हैं कभी इससे ज्यादा प्रभावी भारतीय डाक सेवा हुआ करती थी. लेकिन इंटरनेट क्रांति ने इसके प्रभाव को कम कर दिया. अन्तर्देशीय, पोस्टकार्ड, पोस्ट बॉक्स जैसी जरूरी चीजें अनुपयोगी हो चलीं हैं. लेकिन भारतीय डाक विभाग अब भी परंपरागत सेवाओं को जारी रखे हुए है. आप आज भी अपनी पोस्ट आफिस से ये सुविधा ले सकते हैं.

इंटरनेट ने लाई क्रांति : एक समय था जब एक दूसरे से संपर्क का माध्यम सिर्फ डाक विभाग हुआ करता (ambikapur post office) था. पोस्ट एंड टेलीग्राफ के जरिए संदेश या चिट्ठी भेजी जाती थी. ये यादें उस दौर के लोगों के दिल मे बसती हैं. हालांकि युवा पीढ़ी को इससे कोई सरोकार नही, क्योंकि आज इंटरनेट के उपयोग से सेंकेंड से भी कम समय मे संदेश भेजे जा रहे हैं. लेकिन फिर भी भारतीय डाक विभाग अपनी सेवाएं जारी रए हुए हैं.

संदेश भेजने का एकमात्र जरिया थे डाकघर

आज भी उपलब्ध हैं अन्तर्देशीय और पोस्टकार्ड : संभागीय डाक घर के अधीक्षक आलोक गोमस्ता बताते हैं कि " डाक विभाग ने अपनी परंपरागत सेवाओं को बंद नही किया है. आज भी पोस्ट आफिस में आपको ढाई रुपए में अन्तर्देशीय और 50 पैसे में पोस्टकार्ड मिल (Old services continue in Ambikapur post office) जायेगा. लेटर बॉक्स भी शहर में लगे हुए हैं. लोगों ने उपयोग भले ही कम कर दिया हो लेकिन विभाग इसे चालू रखा है.''

आधुनिक सुविधाएं से लैस है डाकघर : आलोक गोमस्ता आगे बताते हैं कि "भारतीय डाक विभाग तेजी से नई तकनीकों के साथ आगे बढ़ रहा है. इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक चालू किया गया, जिसके तहत पोस्ट ऑफिस मे जमा पैसे कहीं से भी निकाले जा सकते हैं. कॉमन सर्विस सेंटर शुरू किए गए हैं. जिसमें रिजर्वेशन, आधारकार्ड, पेन कार्ड बनवाया जा सकता है. आज चिट्ठी मोबाइल से भेजी जा रही है. डाक विभाग लगातार तकनीक का इस्तेमाल कर के लोगों को सहूलियत दे रहा है"

1914 से सरगुजा में है डाक घर : पोस्ट ऑफिस के इतिहास और उससे जुड़ी यादों के संदर्भ में इतिहासकार गोविंद शर्मा बताते हैं कि " ब्रिटिश शासन में समय 1914 में सरगुजा में पोस्ट एंड टेलीग्राफ की शुरूआत की (Pre independence post office in Ambikapur) गई. उस समय ट्रेन और बस के माध्यम से डाक आती थी. फिर पोस्टमैन डाक को शॉर्ट करके हरकारों को देता था. हरकारे गांव गांव तक चिट्ठियां पहुंचाया करते थे. जब स्टेट मर्जर हुआ तब पोस्ट आफिस की बिल्डिंग राज्य सरकार के अधीन हो गई और पोस्ट ऑफिस किराये के भवन में चला गया. पुराने पोस्ट आफिस को मलेरिया विभाग बना दिया गया.

"टेलीग्राफ बंद होने की खबर ने रुलाया'' : गोविन्द शर्मा बताते हैं कि "बाद में सरगुजा में पोस्ट ऑफिस बिल्डिंग के लिये राशि स्वीकृत हुई और बाग फुलवारी के पास भवन बनाया गया.आज उसी स्थान पर संभागीय डाक घर संचालित (Internet changed post office service in Ambikapur) है. संचार क्रांति से भले ही आज एक सेकेंड में ईमेल भेजा जा सकता है लेकिन वो समय याद आते हैं. जब पता चला कि टेलीग्राफ आज से बंद हो जायेंगे तो यह खबर सुनकर रोना आ गया था"

परंपरागत सेवाएं अब भी चालू : बहरहाल इंटरनेट सोशल नेटवर्किंग साइड ने बड़ी क्रान्ति लाई है मैसेंजर के रूप में बहोत बड़ा बदलाव हुआ है. लेकिन फिर भी उस दौर के लोग उन चीजों को मिस करते हैं. जब एक संदेश का जवाब आने में सप्ताह भर का समय लग जाता था और लोग अपने खत के जवाब का इंतजार करते रहते थे. बड़ी बात ये है कि डाक विभाग ने उन सेवाओं को अब भी चालू रखा है.

Last Updated : Jul 6, 2022, 9:02 PM IST
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