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सरगुजा हसदेव अरण्य आंदोलन : PEKB परियोजना की पर्यावरणीय जनसुनवाई रुकी

छत्तीसगढ़ में परसा कोल ब्लॉक और हसदेव अरण्य मामले में एक नया मोड़ ले लिया है. स्थानीय प्रशासन ने परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना फेस 2 (Parsa East Kete Basen Project) के लिए होने वाली जनसुनवाई रोक दी गई है.

Surguja Hasdeo Aranya Movement
PEKB परियोजना की पर्यावरणीय जनसुनवाई रुकी
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Published : Jun 11, 2022, 1:13 PM IST

सरगुजा : कोल खदानों को दी गई स्वीकृति के विरोध और हसदेव अरण्य को बचाने के लिए चल रहे आंदोलन ने अजब मोड़ ले लिया है. प्रशासन ने परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना फेस 2 के तहत निजी भूमि के अधिग्रहण के साथ ही केते एक्सटेंशन की पर्यावरणीय की जनसुनवाई को भी स्थगित कर दिया (Environmental public hearing of PEKB project halted in surguja) है. पर्यावरण विभाग ने जिला प्रशासन सरगुजा के पत्र के आधार पर यह रोक लगाई है.


किसने जनसुनवाई की स्थगित : कलेक्टर सरगुजा ने पुष्ट किया कि ''पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई निरस्त कर दी गई है.पेड़ों की कटाई की स्वीकृति भारत सरकार की इन्वायरमेंट एवं फारेस्ट देती है. इसलिए स्थानीय स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है.''


स्वास्थ्यमंत्री और मुख्यमंत्री के बयान के बाद बदला रुख : प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) द्वारा 6 जून को कोल प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के साथ ही दिए गए बयान और उसके बाद सीएम भूपेश बघेल द्वारा दिए गए बयान के बाद प्रशासन ने यह निर्णय लिया है और स्थानीय स्तर इस मामले के शासकीय कार्य को पूरी तरह से रोक दिया गया है. लेकिन पूर्व से स्वीकृत खदानों का काम जारी रहेगा.


सिंहदेव ने किया था खुला समर्थन : कोल खदानों को मिली पर्यावरणीय स्वीकृति और पेड़ों की कटाई का आदेश जारी होने के बाद हसदेव अरण्य को बचाने चल रहे आंदोलन को समर्थन देने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने पेड़ कटाई का विरोध करते हुए कहा था कि ''ग्रामीण एकजुट रहे और यदि लाठी डंडा और गोली चलने की नौबत आती है तो सबसे पहले डंडा, गोली वे खाएंगे.''

सीएम भूपेश ने क्या दिया था बयान : मंत्री के इस बयान के बाद 7 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी स्पष्ट किया था कि ''स्वास्थ्य मंत्री यदि चाहते है तो हसदेव क्षेत्र में एक पेड़ क्या डंगाल भी नहीं काटने दिया जाएगा.'' सीएम के इस बयान के बाद ही प्रशासन भी हरकत में आ गया था और स्थानीय स्तर पर चल रही जन सुनवाई और ग्राम सभा को स्थगित कर दिया (CM Bhupesh had supported Singhdeo) था.

पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त : हालांकि 8 जून को परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना फेज 2 (Parsa East Kete Basen Project) के निजी भूमि अधिग्रहण को लेकर आयोजित ग्राम सभा को स्थगित करने का आदेश 7 जून को ही जारी कर दिया था. लेकिन यह आदेश 9 जून को सामने आ सका. इस आदेश के बाद अब प्रशासन की ओर से एक और आदेश जारी किया गया है जिसके तहत 13 जून को तीसरे प्रोजेक्ट केते एक्सटेंशन के लिए ग्राम परसा में होने वाली पर्यावरणीय जनसुनवाई को भी स्थगित कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें- हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का विरोध जारी


लेकिन कैसे रुकेगी पेड़ों की कटाई : सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा (Surguja Collector Sanjeev Kumar Jha) ने इस संबंध में बताया कि "परसा केते बासेन परियोजना फेज 2 की निजी भूमि के लिये आयोजित ग्राम सभा और केते एक्सटेंशन के लिए पर्यावरणीय जन सुनवाई को स्थगित करने का आदेश जारी किया गया है. पेड़ों की कटाई रोकना प्रशासन के हाथ में नहीं है. इसके लिए इन्वायरमेंट एवं फॉरेस्ट से स्वीकृति मिलती है और यह जटिल प्रक्रिया है. फिलहाल ग्रामसभा और जन सुनवाई को रोका गया है क्योंकि जनसुनवाई होने के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया एक चरण और आगे बढ़ जाती.''

सरगुजा : कोल खदानों को दी गई स्वीकृति के विरोध और हसदेव अरण्य को बचाने के लिए चल रहे आंदोलन ने अजब मोड़ ले लिया है. प्रशासन ने परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना फेस 2 के तहत निजी भूमि के अधिग्रहण के साथ ही केते एक्सटेंशन की पर्यावरणीय की जनसुनवाई को भी स्थगित कर दिया (Environmental public hearing of PEKB project halted in surguja) है. पर्यावरण विभाग ने जिला प्रशासन सरगुजा के पत्र के आधार पर यह रोक लगाई है.


किसने जनसुनवाई की स्थगित : कलेक्टर सरगुजा ने पुष्ट किया कि ''पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई निरस्त कर दी गई है.पेड़ों की कटाई की स्वीकृति भारत सरकार की इन्वायरमेंट एवं फारेस्ट देती है. इसलिए स्थानीय स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है.''


स्वास्थ्यमंत्री और मुख्यमंत्री के बयान के बाद बदला रुख : प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) द्वारा 6 जून को कोल प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के साथ ही दिए गए बयान और उसके बाद सीएम भूपेश बघेल द्वारा दिए गए बयान के बाद प्रशासन ने यह निर्णय लिया है और स्थानीय स्तर इस मामले के शासकीय कार्य को पूरी तरह से रोक दिया गया है. लेकिन पूर्व से स्वीकृत खदानों का काम जारी रहेगा.


सिंहदेव ने किया था खुला समर्थन : कोल खदानों को मिली पर्यावरणीय स्वीकृति और पेड़ों की कटाई का आदेश जारी होने के बाद हसदेव अरण्य को बचाने चल रहे आंदोलन को समर्थन देने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने पेड़ कटाई का विरोध करते हुए कहा था कि ''ग्रामीण एकजुट रहे और यदि लाठी डंडा और गोली चलने की नौबत आती है तो सबसे पहले डंडा, गोली वे खाएंगे.''

सीएम भूपेश ने क्या दिया था बयान : मंत्री के इस बयान के बाद 7 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी स्पष्ट किया था कि ''स्वास्थ्य मंत्री यदि चाहते है तो हसदेव क्षेत्र में एक पेड़ क्या डंगाल भी नहीं काटने दिया जाएगा.'' सीएम के इस बयान के बाद ही प्रशासन भी हरकत में आ गया था और स्थानीय स्तर पर चल रही जन सुनवाई और ग्राम सभा को स्थगित कर दिया (CM Bhupesh had supported Singhdeo) था.

पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त : हालांकि 8 जून को परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना फेज 2 (Parsa East Kete Basen Project) के निजी भूमि अधिग्रहण को लेकर आयोजित ग्राम सभा को स्थगित करने का आदेश 7 जून को ही जारी कर दिया था. लेकिन यह आदेश 9 जून को सामने आ सका. इस आदेश के बाद अब प्रशासन की ओर से एक और आदेश जारी किया गया है जिसके तहत 13 जून को तीसरे प्रोजेक्ट केते एक्सटेंशन के लिए ग्राम परसा में होने वाली पर्यावरणीय जनसुनवाई को भी स्थगित कर दिया गया है.

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लेकिन कैसे रुकेगी पेड़ों की कटाई : सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा (Surguja Collector Sanjeev Kumar Jha) ने इस संबंध में बताया कि "परसा केते बासेन परियोजना फेज 2 की निजी भूमि के लिये आयोजित ग्राम सभा और केते एक्सटेंशन के लिए पर्यावरणीय जन सुनवाई को स्थगित करने का आदेश जारी किया गया है. पेड़ों की कटाई रोकना प्रशासन के हाथ में नहीं है. इसके लिए इन्वायरमेंट एवं फॉरेस्ट से स्वीकृति मिलती है और यह जटिल प्रक्रिया है. फिलहाल ग्रामसभा और जन सुनवाई को रोका गया है क्योंकि जनसुनवाई होने के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया एक चरण और आगे बढ़ जाती.''

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