सुकमा: ताड़मेटला इलाके में सर्चिंग पर निकले जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई. मुठभेड़ में नक्सलियों को भारी नुकसान का अनुमान है. मुठभेड़ थमने के बाद जवानों ने नक्सलियों के शव बरामद किए हैं. एक डबल बैरल 12 बोर रायफल व एक पिस्टल भी बरामद हुई है. सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने ताड़मेटला में मुठभेड़ की पुष्टि की है.
ताड़मेटला में मुठभेड़: ताड़मेटला में बड़ी संख्या में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. जिसके बाद डीआरजी और सीआरपीएफ की 223वीं बटालियन के जवान संयुक्त टीम के साथ सर्चिंग पर निकले. जैसे ही जवान ताड़मेटला के जंगल में पहुंचे, नक्सलियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी. जवानों ने भी मोर्चा संभालाते हुए नक्सलियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई. करीब 1 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली पीछे हटने लगे. हालांकि अभी भी रुक रुक कर इलाके में फायरिंग हो रही है. जवान घटनास्थल पर मौजूद हैं. Tadmetla naxal encounter
दो नक्सलियों के शव मिले: इस मुठभेड़ में कई नक्सलियों को गोली लगने की खबर है. सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि फायरिंग के बाद सर्चिंग के दौरान जवानों को 2 पुरुष नक्सलियों के शव मिले हैं. प्राथमिक तौर पर उनकी पहचान जगरगुंडा एरिया कमेटी के अंतर्गत नक्सली मिलिशिया कैडर सोढ़ी देवा ताड़मेटला निवासी और रवा देवा के रूप में हुई है. दोनों ही ताड़मेटला के रहने वाले थे. दोनों पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था. दोनों नक्सली चिंतागुफा क्षेत्र में 28 जून को शिक्षादूत कवासी सुक्का और वर्तमान उप सरपंच ताड़मेटला पंचायत माड़वी गंगा की हत्या में शामिल है. 31 अगस्त को मिनपा के पास कोरसा कोसा की पुलिस मुखबिरी के शक में हत्या में भी ये नक्सली शामिल रह चुके हैं.
2010 में हुआ था ताड़मेटला कांड: सुकमा जिले का ताड़मेटला वही इलाका है. जो 2010 में देशभर में चर्चा में था. इस ताड़मेटला में नक्सल इतिहास में नक्सलियों ने सबसे बड़ी वारदात को अंजाम दिया था. 6 अप्रैल 2010 में सुरक्षा कैम्प पर गोलियां बरसाई. इस नक्सल कांड में 76 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. आज भी जब भी ताड़मेटला कांड का जिक्र होता है तो लोगों का दिल दहल उठता है.Chhattisgarh Naxal News