हैदराबाद : केंद्र सरकार पूंजीगत लाभ कर प्रणाली (capital gains tax system) में बदलाव की तैयारी कर रही है. सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ाने के लिए लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (एलटीसीजी) में सुधार करना चाहती है. इससे उसका राजस्व बढ़ेगा और वह जनकल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा खर्च कर सकेगी. वित्त मंत्रालय के दो अधिकारियों ने बजट के बाद ही इसके संकेत दे दिए थे. उनके मुताबिक कई देशों में लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 25 से 30 फीसदी है. ऐसे में भारत इससे अलग नहीं हो सकता. जाहिर है कि आने वाले समय में एलटीसीजी टैक्स बढ़ सकता है.
वित्त मंत्रालय इसे लागू किए जाने पर अध्ययन कर रहा है. प्रस्ताव के केंद्र में सरकार का मानना है कि पूंजी बाजार से अर्जित निष्क्रिय आय पर व्यापार करने से अर्जित आय की तुलना में कम दर पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए, जिसमें उद्यमशीलता का जोखिम उठाना और रोजगार सृजन शामिल है. यह योजना सरकार के कल्याणवाद के विचार में भी निहित है जिसके लिए राजस्व को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. हालांकि एक अधिकारी का कहना है कि पूंजीगत लाभ कर प्रणाली को ज्यादा किफायती बनाने के लिए विधायी बदलावों की आवश्यकता है. इसमें अगले बजट तक का समय लग सकता है.
जानिए क्या होता है कैपिटल गेन : एक साल से अधिक समय के म्यूचुअल फंड इक्विटी में निवेश पर रिटर्न को लांग टर्म कैपिटल गेन्स कहा जाता है और इस पर किसी वित्त वर्ष में एक लाख रुपये से अधिक की रकम पर 10 फीसदी कर लगता है. पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था यह निर्धारित करने के लिए होल्डिंग अवधि निर्धारित करती है कि संपत्ति बेचते समय प्राप्त लाभ अल्पावधि या दीर्घकालिक है या नहीं.
सूचीबद्ध शेयरों के मामले में एक वर्ष से कम समय के लिए रखे गए सूचीबद्ध इक्विटी पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर 15% कर लगाया जाता है और यदि यह असूचीबद्ध है तो लागू कर स्लैब. 2004-05 के बजट में तब के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को हटाकर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) लगाया था. फिर पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे 2016 में दोबारा शुरू किया था. टैक्स पेयर्स को उम्मीद थी कि 2022 के बजट के समय इसे हटा दिया जाएगा लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसा नहीं किया था.
बजट के समय वित्तमंत्री ने ये कहा था : फरवरी 2022 में इस कर को नहीं हटाने को लेकर पूछे गए सवाल पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) कर हटाने का फैसला इसलिए नहीं लिया गया, क्योंकि सरकार को इससे अब तक कोई फायदा नहीं मिला. उन्होंने कहा था कि बाजार की स्थिति खराब रहने के कारण इस कर की उपयोगिता की जांच नहीं हो पाई, इसलिए सरकार इससे प्राप्त रिटर्न का आकलन नहीं कर पाई है.
एलटीसीजी को यथावत रखने के फैसले के संबंध में वित्तमंत्री ने बताया, 'बाजार ही नहीं बल्कि अनेक दूसरे लोगों की भी मांग थी. हमने कुछ समायोजन करने की कोशिश की. हमने डीडीटी का समायोजन किया, लेकिन एलटीसीजी का नहीं.' उन्होंने कहा, 'एलटीसीजी दो साल पहले लाई गई थी. इससे कुछ फायदा हम देखते हैं कि इससे पहले बाजार ने गोता लगाया और इससे हमें कोई बड़ा रिटर्न नहीं मिला.' बाजार में अधिकांश लोगों को अनुमान था कि सरकार इसे वापस ले सकती है.
जानिए क्या कहना है एक्सपर्ट्स का : हालांकि टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने से दूसरी व्यावहारिक दिक्कतें भी आ सकती हैं. पूंजीगत लाभ और लाभांश पर कर शेयरधारकों के हाथ में कराधान की दूसरी लेयर है क्योंकि कॉर्पोरेट इकाई पहले ही अपने मुनाफे पर कर चुका चुकी है. सभी पूंजीगत लाभ को निष्क्रिय आय के रूप में संदर्भित करना सटीक नहीं हो सकता है. क्योंकि शुरुआत से एक कंपनी बनाने वाले उद्यमी शेयरधारक होंगे, हालांकि शेयरों को असूचीबद्ध किया जाएगा. देश में उद्यमशीलता की गति को देखते हुए, इक्विटी होल्डिंग से सभी लाभ को निष्क्रिय आय के रूप में संदर्भित करना सही नहीं है. कराधान में कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले वैश्विक प्रतिस्पर्धी माहौल को ध्यान में रखना होगा क्योंकि लोग और पूंजी दोनों अत्यधिक गतिशील हैं.
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(इनपुट एजेंसियां)